Posted on 03 Dec, 2019 5:54 pm


 

राज्य के स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए दीक्षा एप बनाया गया है। इससे विद्यार्थियों के साथ ही शिक्षकों को विषय वस्तु की बेहतर जानकारी मिल रही है। इससे राज्य के सुदूर वनांचल क्षेत्र के विद्यार्थियों को भी उनकी बोली भाषा में पाठ्य पुस्तके पढ़ने के लिए उपलब्ध हुई है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के संचालक श्री पी. दयानंद ने उन्मुखीकरण कार्यशाला में बताया कि दीक्षा पोर्टल में बनाई गई ई-सामग्री की एक और विशेषता यह है कि राज्य की क्षेत्रीय बोलियां हल्बी, गोंड़ी, सरगुजिया, कुडुख और छत्तीसगढ़ी में भी ई-सामग्री तैयार की गई है, पूरे पाठ्य पुस्तक की विषय वस्तु को मनोरंजक ढंग से प्रस्तुत किया गया है, जो ओपन सोर्स साइट्स में उपलब्ध नहीं है।
कार्यशाला में श्री दयानंद ने कहा कि राज्य सरकार के द्वारा इस सत्र में कक्षा पहली से 10वीं तक हिन्दी माध्यम की समस्त 67 पाठ्य पुस्तकों को डिजिटाइज्ड किया गया है। इसमें क्यूआर कोड अंकित कर इनरजाइज्ड टेक्सट बुक में परिवर्तित कर दिया है। राज्य के विषय विशेषज्ञों की सहायता से 400 घंटों की ई-सामग्री विकसित की गई है। दीक्षा एप पर उपलब्ध सामग्री का उपयोग विद्यार्थी और शिक्षक कठिन अवधारणाओं को समझने के लिए अध्ययन-अध्यापन के समय अथवा अपने घर में भी कर सकते हैं। इस सामग्री को डाउनलोड कर बैगर इंटरनेट के भी देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस सामग्री को दीक्षा एप डाउनलोड कर क्यूओर कोड स्कैन कर या डेस्कटाप पर दीक्षा के छत्तीसगढ़ की साइट कपोींण्हवअण्पदध्बह में जाकर क्यूआर कोड के नीचे अंकित 6 अंको का कोड टाइपकर देख सकते हैं।
श्री दयानंद ने कहा कि दीक्षा एप के लाभ हैं कि शिक्षक अपने कौशल और पेशेवर विकास के लिए संसाधन प्राप्त कर सकेंगे। देश के अन्य शिक्षकों और आधुनिक डिजिटल प्रोद्योगिकी को समझ सकेंगे। शिक्षक अपने कार्याें, विषय की विभिन्न दक्षताओं को प्राप्त कर सकेंगे। शिक्षकों को शिक्षण कौशल विकसित करने में सहायता मिलेगी और वे अपने अध्यापन को मनोरंजक एवं रूचिपूर्ण बना सकते हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करके बच्चों के साथ-साथ पालक भी विषय से संबंधित जानकारी प्राप्त कर पाएंगे। उन्होंने ई-सामग्री के अधिक से अधिक उपयोग के लिए अकादमिक सदस्यों को जागरूक करते हुए अपने संस्थानों में आयोजित कोई भी कार्यशाला, शाला अनुभव कार्यक्रम में इसकी जानकारी शिक्षकों को देने के लिए कहा ।
कार्यशाला के समापन अवसर पर एक नवीन परंपरा के साथ संचालक द्वारा समस्त अकादमिक सदस्यों के साथ विद्यालयीन दिनचर्या में अध्ययन-अध्यापन में क्यूआर कोड का उपयोग करने के साथ ही छत्तीसगढ़ को गुणवत्तायुक्त की दिशा में अग्रसर करने में भागीदार बनने का संकल्प लिया। कार्यशाला में जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान डाईट, बुनियादी प्रशिक्षण संस्थान (बी.टी.आई), शासकीय शिक्षा महाविद्यालय रायपुर और बिलासपुर के अकादमिक सदस्य उपस्थित थे।

साभार – जनसम्पर्क विभाग छत्तीसगढ़

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