Posted on 15 May, 2020 6:11 pm

नौनिहालों का सुपोषण शासन की प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर बच्चों तथा महिलाओं को पौष्टिक आहार और टेक होम राशन के रूप में रेडी-टू-इट उपलब्ध कराकर उन्हें कुपोषण मुक्त रखने का प्रयास लगातार किया जा रहा है। सुपोषण की इस राह से सरकार ने महिला समूहों को जोड़कर उनके लिए स्वालंबन का नया आधार तैयार किया है। स्व-सहायता समूह की महिलाएं रेडी-टू-ईट बनाकर आंगनबाड़ी में सप्लाई का कार्य निर्बाध रूप कर रही हैं। इससे महिलाओं और बच्चों में कुपोषण मुक्ति के साथ महिलाओं की समृद्धि की नई राह खुली है। सरकार द्वारा सुपोषण और महिला स्वालंबन की एक राह करने से दोहरा लाभ महिलाओं और बच्चों को मिल रहा है।  

    राजनांदगांव जिले के ग्राम खुटेरी विकासखण्ड में भी जय माँ दुर्गा स्व सहायता समूह की महिलाएं रेडी-टू-ईट निर्माण का कार्य निर्बाध रूप से कर रही हैं। समूह में कुल 14 महिलाएं है, जिनके द्वरा प्रति माह 35 क्विंटल रेडी-टू-ईट का निर्माण किया जाता है। प्रति किलो 42 रूपए की दर से 35 क्विंटल के निर्माण पर 1 लाख 47 हजार रूपए की लागत आती है। सप्लाई के एवज में 50 रूपए की दर से 1 लाख 75 हजार रूपए का भुगतान प्राप्त होता है। इस प्रकार उन्हें लागत घटाकर प्रतिमाह 28 हजार की शुद्ध आय प्राप्त हो जाती है। समूह की महिलाएं इससे आत्मनिर्भर और सशक्त बनी है। अपने परिवार के भरण पोषण, बच्चों की शिक्षा एवं अन्य कार्य में आर्थिक सहयोग दे रही है। महिलाएं माह में करीब 15 दिन तक रेडी-टू-ईट निर्माण का कार्य करती हैं। शेष समय महिलाएं खेती,पारिवारिक कार्य या मजदूरी करती हैं। महिलाएं जब से रेडी टू ईट बनाने के कार्य से जुडी हैं तब से इन्हें अतिरिक्त आय का जरिया मिल गया है और वह अपने परिवार के भरण पोषण आसानी से कर रही हैं।
    राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत के समूह को आर्थिक सहायता के रूप में 15 हजार रूपए की चक्रीय निधि की अनुदान राशि, एक लाख 60 हजार रूपए की सी.आई.एफ. राशि और 2 लाख 10 हजार रूपए न्यूनतम ब्याज दर पर बैंक लोन दिलाया गया ताकि समूह के पास पर्याप्त राशि उपलब्ध रहे। समूह द्वारा प्रति माह लगभग 35 क्विंटल रेडी-टू-ईट का निर्माण किया जाता है। रेडी-टू-ईट के निर्माण में 42 रूपए प्रति किलो की लागत आती है। महिलाएं निर्माण सामग्री जैसे अनाज, तेल, नमक, गुड़ सभी बाजार से थोक रेट में खरीदती हैं। समूह द्वारा रेडी-टू-ईट निर्माण में साफ-सफाई का विशेष ध्यान दिया जाता है,इसके लिए सभी सदस्यों की जिम्मेदारी तय होती है। तैयार रेडी-टू-ईट को पैकेजिंग कर आबंटित आंगनबाड़ी में सप्लाई किया जाता है। सप्लाई के बाद 50 रूपए प्रति किलो ग्राम की दर से महिला बाल विकास विभाग द्वारा समूह को भुगतान किया जाता है। सभी तरह के आय व्यय का नियमित ऑडिट भी कराया जाता है। ऑडिट रिपोर्ट समूह की बैठक में प्रस्तुत की जाती है। एन.आर.एल.एम. योजना के आधिकारियों द्वारा भी नियमित अंतराल में समूह की गतिविधियों और आय व्यय का निरीक्षण कर आवश्यक सुझाव दिया जाता है। यह समूह के सुव्यवस्थित संचालन और मजबूत आर्थिक आधार को प्रदर्शित करता है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग छत्तीसगढ़

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