Posted on 29 Jul, 2019 4:48 pm

मध्य प्रदेश में छोटे-छोटे कार्य और प्रयास महिला सशक्तिकरण को गति दे रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र की कई महिलाओं ने स्व-सहायता समूहों से जुड़कर छोटे-छोटे कार्यों से आर्थिक आत्म-निर्भरता प्राप्त की है। कल तक जो महिलाएँ मजदूरी के लिए भी मोहताज थीं वे अब स्वयं का रोजगार सफलता से चला रही हैं। ऐसी ही उद्यमी महिला रीवा जिले की टिकुरी-37 गाँव की श्रीमती प्रेमलता कुशवाहा हैं। उन्होंने सब्जी उत्पादन से अपनी तकदीर सँवारी है। मजदूरी करने वाली प्रेमलता अब हर महीने 10 से 15 हजार रूपये की कमाई कर रही हैं।

प्रेमलता गाँव में मजदूरी कर का भरण-पोषण करती थी। किसानों से बँटाई पर जमीन लेकर थोड़ी बहुत खेती ही कर पाती थीं। इससे उनके परिवार का गुजारा बड़ी मुश्किल से चल पाता था। शासन की ग्रामीण आजीविका परियोजना ने प्रेमलता को स्व-रोजगारी बनने का अवसर दिया। आजीविका मिशन द्वारा संचालित सरस्वती स्व-सहायता समूह से जुड़कर प्रेमलता ने सब्जी उत्पादन की उन्नत तकनीकें सीखी। उन्होंने स्वयं की जमीन तथा बँटाई पर जमीन लेकर विभिन्न सब्जियों का उत्पादन शुरू किया। खेतों से टमाटर, बैंगन, मिर्च, लौकी, कद्दू, भिण्डी, करेला, तोरई जैसी सब्जियों की अच्छी फसल मिलने लगी। गाँव में तथा आस-पास के हाट बाजारों में सब्जी बेचकर प्रेमलता आर्थिक रूप से आत्म-निर्भर हो गई हैं।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश