Posted on 26 Feb, 2019 3:56 pm

उच्च शिक्षा मंत्री श्री जीतू पटवारी ने कहा कि इतिहास तथ्यों, तर्कों और सच्चाई के साथ भूत और वर्तमान के बीच सेतु का काम करता है। श्री पटवारी आज प्रशासन अकादमी में तीन दिवसीय 'भारतीय इतिहास कांग्रेस' अधिवेशन को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इतिहास की गहराईका वर्तमान और अतीत के बीच तथ्यों के संवाद के रूप में माना जाना चाहिए।

मंत्री श्री जीतू पटवारी ने मध्यप्रदेश के इतिहास के संदर्भ में कहा कि प्रदेश अपने में अनेक ऐतिहासिक घटना को समेटे हुए हैं। मध्यप्रदेश की धरती आदिवासी नायकों, वीरांगनाओं की धरती है, इसका इतिहास हमें गौरवान्वित करता है। श्री पटवारी ने कहा कि धार्मिक आधार पर इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करना गलत है। उन्होंने कहा कि भारतीय इतिहास कांग्रेस अधिवेशन एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इससे भारतीय इतिहास की पुनर्सरंचना में औपनेविशिक पूर्वाग्रहों को समझने में मदद मिलेगी। मंत्री ने कहा कि राज्य में कई ऐतिहासिक महत्व के स्थान हैं, जो शोधार्थियों के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे।

मुख्य सचिव श्री एस.आर. मोहंती ने कहा कि भारतीय इतिहास के कुछ पुरोधाओं ने भारत की मिश्रित संस्कृति, विविध तरह की क्षेत्रीय परम्पराओं और सदियों से साथ-साथ रहते चले आ रहे समुदायों एवं संस्कृतियों को प्रमुखता से उजागर किया और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।  उन्होंने सभी उपस्थित विद्वानों से आग्रह किया कि वे भोपाल के जनजाति संग्रहालय का भ्रमण अवश्य करें।

म.प्र. में सबसे प्राचीन सभ्यता के साक्ष्य : श्री दिग्विजय सिंह

अधिवेशन में पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश में सबसे प्राचीन भारतीय सभ्यता के साक्ष्य मिलते हैं। इतिहास तथ्यों, दस्तावेजी साक्ष्यों तथा वैज्ञानिक प्रकृति के तथ्यों पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के विन्ध्य में मिले बौद्ध स्तूपों और बुन्देलखण्ड क्षेत्रों में ऐसी कई ऐतिहासिक धरोहर है जिन पर शोध कर तथ्यों को सही परिप्रेक्ष्य में दर्ज किया जा सकता है।

इस अवसर पर प्रो.इरफान हबीब, प्रो. श्रीमाली, प्रो. श्रीमती महालक्ष्मी तथा अन्य गणमान्य विद्वान उपस्थित थे।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश​​

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