Posted on 23 Feb, 2019 5:05 pm

 

प्रदेश में पंचायत राज व्यवस्था लागू होने से पंचायत प्रतिनिधि ग्रामीण विकास में अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित कर रहे है। स्थानीय स्व-शासन संस्थाओं में महिलाओं के लिये 50 प्रतिशत स्थान आरक्षित होने से महिला प्रतिनिधि भी विकास से सहभागी बन रही है। भोपाल में आयोजित पंचायत राज प्रतिनिधियों की कौशल संवर्धन कार्यशाला में संरपचों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सरकार से अपनी बात खुलकर कहीं।

नरसिंहपुर जिले के चावरमाढ़ा विकासखण्ड की ग्राम पंचायत सडूयर की युवा सरपंच कु. मोना कौरव एम.एस.सी., एल.एल.बी. तक पढ़ी हैं। इन्होंने पंचायत राज में महिलाओं की भागीदारी पर शासन का आभार व्यक्त किया है। कु. मोना ने अपने कार्य काल में गाँव के 200 वर्ष पुराने तालाब को ग्रामीणों के सहयोग से पुनर्जीवित किया है। पंचायत को ओडीएफ बनाने के साथ, 100 गोबर गैस प्लांट और 100 प्रधानमंत्री आवास का निर्माण भी करवाया है।

मंदसौर जिले की दलोदा चौपाटी ग्राम पंचायत प्रदेश की एक मात्र ऐसी ग्राम पंचायत है, जिसे 8 राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। सरपंच श्री विपिन जैन बताते है कि उनकी पंचायत विभिन्न स्रोतों से प्रति वर्ष 60 लाख रुपये की आय अर्जित करती है। जन सहयोग से 570 स्ट्रीट लाइट पोल लगाकर ग्राम पंचायत का शत-प्रतिशत ऊर्जीकरण किया गया है। यह पहली ग्राम पंचायत है, जिसने वॉटर एडीएम, सॉलिड मैनेजमेंट सिस्टम लागू करने में सफलता हासिल की है।

 

 

दमोह जिले की कुंवरपुर ग्राम पंचायत के सरपंच सोमेश गुप्ता बताते है कि उन्होंने ने गाँव के साढ़े तीन सौ परिवारों को भिक्षावृत्ति की प्रवृत्ति से मुक्ति दिलाकर स्व-रोजगार गतिविधियों से जोड़ा है।

रायसेन जिले के सलामतपुर विकासखण्ड के सुवारी ग्राम पंचायत के सरपंच मूलचंद यादव ने अपने गाँव को अतिक्रमण से मुक्त किया है। 90 प्रतिशत सड़कों को सी.सी. रोड में बनाया है।

रायसेन जिले की ओबेदुल्लागंज विकासखण्ड की ग्राम पंचायत खपरियाखापा के सरपंच अशोक कुमार चौकसे ने ग्राम में महिला सशक्तिकरण, नशामुक्ति और स्वच्छता अभियान में नये कीर्तिमान स्थापित किये हैं। सभी पंचायत प्रतिनिधि मानते हैं कि जमीनी स्तर पर विकास सुनिश्चित करने लोगों में और सामाजिक चेतना विकसित करने में ग्राम पंचायत महत्वपूर्ण इकाई है।

 

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश​

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