Posted on 05 Sep, 2020 7:24 pm

स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री इंदर सिंह परमार ने शिक्षक दिवस पर प्रदेश के सभी शिक्षकों को शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा कि कोरोना संकटकाल जैसी चुनौती को भी प्रदेश के शिक्षकों ने अवसर में बदला है। इस दौरान प्रत्येक बच्चा बिना स्कूल जाये अपने घर में रहकर नियमित रूप से अध्ययन कर रहा है। प्रत्येक बच्चा ऑनलाइन शिक्षा से जुड़ गया है। ऑनलाइन शिक्षा को अभियान के रूप में बच्चे-बच्चे तक पहुँचाने में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

इस अवसर पर मंत्री श्री परमार ने भारत के राष्ट्रपति, भारत रत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को नमन करते हुए कहा कि उन्होंने शिक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित किया। उनका जन्म दिवस शिक्षकों के लिय आदर्श के रूप में है, जिसका सभी शिक्षकों को अनुसरण करना चाहिए। शिक्षक राष्ट्र का निर्माता होता है। इसलिये उसे समाज में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है।

मंत्री श्री परमार ने कहा कि वर्तमान संकट काल की चुनौती को शिक्षक ही अवसर में बदलने की ताकत रखते हैं, जिसे उन्होंने कर दिखाया। मंत्री श्री परमार ने उत्कृष्ट विद्यालयों के प्राचार्यों से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से नई शिक्षा नीति पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि सभी शिक्षक राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप बेहतर कार्य करें और बच्चों में राष्ट्रभाषा एवं मातृभाषा तथा संस्कृति के लिये स्वाभिमान की भावना जाग्रत करें। उन्होंने उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्यों से राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर विस्तृत चर्चा की और कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संबंध में एक अभियान चलाकर व्यापक रूप से चर्चा करें। मंत्री श्री परमार ने कहा कि नई शिक्षा नीति के संबंध में समाज में विस्तृत चर्चा एवं प्रचार-प्रसार किया जाए। ताकि नई शिक्षा नीति के संबंध में लोगों को सही जानकारी मिले। साथ ही इसके बेहतर क्रियान्वयन में वे सहयोगी बनें।

नई शिक्षा नीति में पूर्व प्राथमिक एवं प्राथमिक शिक्षा को मजबूत बनाने पर विशेष जोर दिया गया है, जिससे बच्चे को सही उम्र से ही शिक्षित किया जा सके। नई शिक्षा नीति के अनुरूप संसाधनों एवं शिक्षकों की पूर्ति की जायेगी। उपर्युक्त कार्य योजना के साथ इस तरह आगे बढ़ेंगे कि प्रदेश अगले तीन साल में विकसित राज्यों की श्रेणी में शामिल होगा। शिक्षकों को प्रत्येक कार्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं विद्यार्थियों के हित को ध्यान में रखकर करना होगा। मंत्री श्री परमार ने विभाग के नवाचारों में बढ़-चढ़ कर कार्य करने वाले शिक्षकों की प्रशंसा की। संसाधनों की कमी के बावजूद प्रत्येक बच्चे को शिक्षा से जोड़ने के लिए आशातीत कार्य करने वाले सभी शिक्षकों की सराहना की। उन्होंने मोहल्ला क्लास, पाठ पढ़ाया पत्थरों ने, लाउड स्पीकर से प्रत्येक बच्चे तक स्कूल पहुँचाने, दिव्यांग होने के बावजूद तिपहिया स्कूटर से बच्चों तक पहुँच कर शिक्षित करने जैसे कई उत्कृष्ट कार्यों का जिक्र किया।

मंत्री श्री परमार ने जानकारी दी कि 5 से 25 सितम्बर तक सभी शिक्षक नई शिक्षा नीति पर अपने-अपने स्तर पर ऑनलाइन या ऑफलाइन विस्तृत चर्चा करेंगे तथा इसका वीडियो बनाकर विभाग के पोर्टल पर अपलोड करेंगे। मंत्री श्री परमार ने बताया कि 25 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक नई शिक्षा नीति पर आधारित प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस तरह नई शिक्षा नीति पर जितना अधिक चिन्तन-मनन, विचार होगा उतना ही बेहतर तरीक से लागू करने में मदद मिलेगी।

प्रमुख सचिव श्रीमती रश्मि अरूण शमी ने कहा कि बच्चे के भविष्य निर्माण में माता-पिता के बाद शिक्षकों का सबसे महत्वपूर्ण योगदान होता है। शिक्षक ही बच्चों को ज्ञानवान, संस्कारवान एवं सदाचारी बनाते हैं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों के साथ बच्चों को वैश्विक स्तर पर चुनौतियों का सामना करने के लायक बनायेगी।

आयुक्त लोक शिक्षण श्रीमती जयश्री कियावत ने नई शिक्षा नीति के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति में प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा पर जोर दिया गया है। नई शिक्षा नीति का लक्ष्य भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना है। ड्रापआउट बच्चों की संख्या को कम करना एवं शिक्षा की सार्वभौमिक पहुँच बनाना है। इसके तहत स्कूलों में 5+3+3+4 पाठ्यक्रम को लागू किया जायेगा। विषय विकल्पों की संख्या को बढ़ाया जायेगा, जिससे बच्चे अब आर्टस और साइंस के अलावा शारीरिक शिक्षा, कला, शिल्प और व्यावसायिक विषय भी चुन पायेंगे।

नई शिक्षा नीति में पाठ्यक्रम एवं शिक्षण शास्त्र जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजाईन थिकिंग, होलिस्टिक हेल्थ, ऑर्गेनिक लिविंग, वैश्विक नागरिकता शिक्षा जैसे समसामयिक विषयों की शुरूआत होगी, जिससे स्कूल बैग एवं पाठ्य-पुस्तकों का बोझ कम होगा। विद्यार्थियों को कम उम्र में सही नैतिक निर्णय के महत्व को सिखाया जायेगा। समतामूलक एवं समावेशी शिक्षा की शुरूआत की जायेगी। व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल पर ध्यान दिया जायेगा। व्यावसायिक, प्रौढ़ साक्षरता और जीवन-संवर्धन कार्यक्रम प्रारंभ किये जायेंगे। ऑनलाइन एवं डिजिटल शिक्षा के लिये डिजिटल इन्फ्रा-स्ट्रक्चर का विकास किया जायेगा, वर्चुअल लेब्स बनाई जायेंगी, विश्व-स्तरीय डिजिटल इन्फ्रा-स्ट्रक्चर, शैक्षिक डिजिटल कन्टेंट और क्षमता का निर्माण करने के लिये एक समर्पित इकाई का सृजन किया जायेगा। श्रीमती कियावत ने बताया कि नई शिक्षा नीति को कई चरण में वर्ष 2040 तक लागू करने का लक्ष्य रखा गया है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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