Posted on 18 Feb, 2019 7:06 pm

प्लास्टिक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में युवाओं के लिये स्टार्टअप की अपार संभावनाएँ हैं। युवा वर्ग इस क्षेत्र में बेहतर प्रोजेक्ट बनाकर नई शुरूआत कर सकते हैं। यह बात आज सार्थक सामुदायिक विकास एवं जन-कल्याण संगठन के श्री इम्तियाज अली ने भोपाल के गांधी नगर स्थित सागर इंस्टीट्यूट में एप्को के सहयोग से आयोजित व्याख्यान में कही।

श्री इम्तियाज अली ने बताया कि उनकी संस्था ने प्लास्टिक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन वेस्ट पिकर्स उत्थान परियोजना का भोपाल मॉडल प्रस्तुत किया है, जिसकी देश भर में प्रशंसा हुई है। श्री अली ने कहा कि उन्होंने अपने मॉडल में भोपाल शहर को 19 जोन और 85 वार्डों में बाँटा है। इसके लिए उन्होंने 3200 पंजीकृत वेस्ट पिकर्स तैयार किये और इन्हें सार्थक कर्मी का नाम दिया। इनमें महिला और पुरूष दोनों शामिल हैं। आज ये सार्थक कर्मी स्वच्छ पर्यावरण के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। इन्हें कचरा संग्रहण के लिए रिक्शा भी उपलब्ध करवाया गया है। इसके अलावा, इन कर्मियों को परिचय-पत्र भी उपलब्ध कराये गये हैं। प्लास्टिक अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए मशीनों का भी उपयोग किया जा रहा है। इनमें फटका और बेलींग मशीन प्रमुख है। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक अपशिष्ट की ग्रेडिंग कर निर्धारित साइज की चिप्स बनाकर सड़क निर्माण में उपयोग किया जा रहा है। श्री अली ने बताया कि राजा भोज सेतु की सड़क में वेस्ट प्लास्टिक मटेरियल का उपयोग किया गया है। इसके अलावा, पॉलीथिन से बने कुशन, पेपर ब्लॉक एवं अन्य सामग्री भी तैयार की जा रही है। श्री अली ने बताया कि भोपाल शहर में मानव बाल से खाद भी तैयार की जा रही है। धार्मिक स्थलों में एकत्र होने वाली फूल-पत्तियों का उपयोग भी खाद बनाने के लिए किया जा रहा है।

वक्ता श्री आशुतोष श्रीवास्तव ने बताया कि दुनिया के अनेक देश ने प्लास्टिक के उपयोग को प्रतिबंधित किया है। इन देशों में प्लास्टिक प्रतिबंधित करने में जनता की भागीदारी और जागरूकता अभूतपूर्व रही है। उन्होंने बताया कि सस्ती कीमत पर उपलब्ध होने से प्लास्टिक और पॉलीथिन का प्रचलन बढ़ा है। श्री आशुतोष बताया कि पॉलीथिन के अंधाधुध उपयोग से भारत में बड़ी संख्या में गाय समेत अन्य मवेशी और समुद्री जीव काल ग्रसित हो रहे हैं। उन्होंने युवाओं से पर्यावरण संरक्षण के लिए ब्राण्ड अम्‍बेसडर की भूमिका निभाने का आव्हान किया।

प्रारंभ में अवन्तिका संगठन की सुश्री ममता सिंह ने व्याख्यान के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश​​

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