Posted on 26 Nov, 2018 2:15 pm

 

राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने संविधान दिवस पर आज राजभवन में आयोजित समारोह में कहा कि संविधान की प्रस्तावना में जो बातें कही गयी हैं, उनकी सही व्याख्या ही संविधान की आत्मा है। उन्होंने कहा कि संविधान की आत्मा को जनता की आत्मा बनाने के लिए जन-आंदोलन की जरूरत है। राज्यपाल ने कहा कि जनतंत्र को सबसे बड़ा खतरा अस्मितावादी उन्माद से है। भारत का संविधान अनेक धर्मों, भाषाओं और संस्कृतियों से बना है। समारोह में राज्यपाल ने उपस्थित लोगों को संविधान के उद्देश्यों का पालन करने की शपथ दिलाई।

राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि संविधान के बारे में संविधान सभा के सभी सदस्यों द्वारा दिये गये विचारों को पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जाना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि हमारा देश महिलाओं को मतदान का अधिकारी देने वाला विश्व का प्रथम देश है। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान बहुत लचीला और सरल है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसने हमें मताधिकार का दायित्व सौंपा है। इसका उपयोग कर हम अपने विचारों और दृष्टिकोण के अनुसार अपने प्रतिनिधि चुन कर सरकार बना सकते हैं। श्रीमती पटेल ने कहा कि हम सब संकल्प लें कि हम संविधान के अनुसार ही अपने देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करेंगे। संविधान हमारे समाज के लिए आज की तारीख में सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में एक है। संविधान न्यायपूर्ण समाज बनाने में कितना सफल होगा, यह केवल उसमें लिखी बातों पर निर्भर नहीं करता। इसके सही संचालन के लिए लोगों में इसके प्रति विश्वास और जागृति होनी चाहिए।

राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस वैद्य प्रकाश शर्मा ने कहा कि हमारे महापुरूषों द्वारा कठिन परिश्रम, योग्यता और अनुभव के आधार पर जो संविधान दिया है, वह एक एतिहासिक दस्तावेज है। राजनैतिक और सामाजिक उतार चढ़ाव के बावजूद आज हमारा देश प्रजातंत्र के रास्ते पर विश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है।

समारोह में मानव अधिकार आयोग के सदस्य श्री मनोहर ममतानी, प्रमुख सचिव विधि श्री सत्येंद्र सिंह, राज्यपाल के सचिव श्री डी.डी. अग्रवाल और राज्यपाल के विधिअधिकारी श्री पी. महेश्वरी ने भी अपने विचार व्यक्त किये । इस अवसर पर भोपाल के 11 विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राएँ शिक्षक, राजभवन कर्मचारी और अधिकारी उपस्थित थे।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश​

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