Posted on 14 Apr, 2018 6:38 pm

 

डेढ़ हजार साल पहले का भारतीय सामाजिक परिवेश, वस्त्रों की बनावट एवं उनका उपयोग, तरह-तरह के आभूषणों और वाद्य-यंत्रों सहित तमाम पहलुओं की ज्ञानवर्घक जानकारी और ऐतिहासिक तथ्यों की प्रमाणिकता श्यामला हिल्स स्थित राज्य संग्रहालय में देखी जा सकती है। बाबड़िया कलाँ भोपाल के शासकीय हाई स्कूल के 75 विद्यार्थियों ने प्राचार्य श्रीमती गीता वर्मा के नेतृत्व में शनिवार को राज्य संग्रहालय में वीथिकाओं में यह सब देखा।

यहाँ प्रदर्शित प्राचीन मूर्तियाँ, पवाया स्थल की मृणमयी कृतियों को देखकर विद्यार्थी हतप्रभ हुए। उनकी जिज्ञासाओं का समाधान संग्रहालय के कीपर श्री बी.के. लोखण्डे ने किया। संग्रहालय की लघुचित्र वीथी में प्रदर्शित मराठा- मुगल, राजपूताना, कांगड़ा और बुंदी शैली के चित्रों में प्रयुक्त रंगों का समावेश अद्वितीय है। विद्यार्थी दल के सदस्य अजय एकले, आकाश कुशवाहा, इकरान खॉन एवं आरती कुशवाहा ने संग्रहालय में उपलब्ध प्राचीन दुर्लभ प्रतिमाएँ, शैलचित्र, बाघचित्र बीथी और लघुचित्रों को अध्ययन के लिए उपयुक्त स्थल बताया।

उत्तराखण्ड के पुरा-विध दल ने किया अवलोकन

उत्तराखण्ड राज्य के हल्दवानी और नैनीताल से पुराविध के सदस्यों के दल ने भी राज्य संग्रहालय में प्रदर्शित प्राचीन प्रतिमाओं के इतिहास की जानकारी में गहरी दिलचस्पी दिखाई। दल ने भगवान शिव-पार्वती के अनेक रूप, शिवजी विषपान करते हुए, बीणा हाथ में लिए, शिव-विवाह, रावण का अनुग्रह का दृश्य जैसे धार्मिक स्त्रोतों में वर्णित आख्यानों की कृतियों का दिग्दर्शन किया। सदस्य दल के प्रमुख डॉ. पी.सी. शर्मा और जगदीश अरोड़ा ने बताया कि यहाँ की वीथिकाओं में प्रदर्शित देवी-देविताओं की मूर्तियाँ और अन्य सामग्री का संरक्षण और संवर्धन की गुणवत्ता को देखकर आनंदित हुए हैं।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश