Posted on 07 Jun, 2018 6:06 pm

 

नीमच जिले में जावद तहसील के ग्राम हनुमंतिया के किसान दीपक धाकड़ कृषि विषय में स्नातक हैं। इन्होंने पढ़ाई के बाद नौकरी करने की बजाय खेती करने का निर्णय लिया। इनके परिवार में परम्परागत रूप से खेती होती थी। दीपक ने कृषि विभाग के अधिकारी से चर्चा की, तो इन्हें परम्परागत खेती के साथ उद्यानिकी खेती करने की सलाह मिली। विभाग ने इन्हे जिले में अध्ययन भ्रमण करवाया।

दीपक ने ग्राम तुम्बा में स्ट्रॉबेरी की खेती देखकर एक हेक्टेयर भूमि में मल्चिंग विधि से स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाये। इस कार्य में इनके पौधों मल्च, खाद और दवा पर 4 लाख 80 हजार रुपये खर्च हुए। इस प्रकार लागत 10 लाख रुपये तक पहुँच गई। ड्रिप ऐरीगेशन की सुविधा खेत में पूर्व से ही थी। इस विधि से स्ट्रॉबेरी की अच्छी फसल हुई। उन्होंने 50 रुपये किलो के हिसाब से स्ट्रॉबेरी दिल्ली भेजना शुरू किया। पहले साल में ही दीपक को 20 लाख रुपये का मुनाफा हुआ।

अब दीपक अपने क्षेत्र के अन्य युवा किसानों को आधुनिक तकनीक अपनाने की सलाह देते हैं। जोर देकर कहते हैं कि बाजार की माँग के अनुसार खेती की जाये, तो खेती को आसानी से लाभ का धंधा बनाया जा सकता है।

वनाधिकार पट्टे की जमीन पर महिला कृषक ने लगाया संतरे का बगीचा

छिंदवाड़ा जिले में मोहखेड़ विकासखंड के ग्राम विजयगढ़ की महिला किसान किसनी उईके आधुनिक कृषि को अपनाकर बेहतर आजीविका की दिशा में आगे बढ़ रही है। उसका यह सपना वन अधिकार पट्टे से साकार हुआ है। किसनी उइके ने पट्टे में मिली कृषि भूमि पर नंदन फलोद्यान में संतरे के 200 पौधों का रोपण किया। इसे कृषि कार्य के लिये किसान क्रेडिट-कार्ड भी मिला। कार्ड के माध्यम से इसने संतरे के बगीचे में मेढ़-बंधान का कार्य किया।

किसनी बाई के बगीचे की बढ़त देखकर क्षेत्र के अन्य किसान भी प्रभावित हुए हैं। सभी को उम्मीद है कि आगे चलकर संतरे का बगीचा किसनी बाई की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने में कारगर साबित होगा।

सक्सेस स्टोरी (नीमच, छिन्दवाड़ा)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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