Updated: Aug, 20 2019

अध्याय 34: संपत्ति का व्ययन

451. कुछ मामलों में विचारण लंबित रहने तक संपत्ति की अभिरक्षा और व्ययन के लिए आदेश --

जब कोई संपत्ति, किसी दण्ड न्यायालय के समक्ष किसी जांच या विचारण के दौरान पेश की जाती है तब वह न्यायालय उस जांच या विचारण के समाप्त होने तक ऐसी संपत्ति की उचित अभिरक्षा के लिए ऐसा आदेश, जैसा वह ठीक समझे, कर सकता है और यदि वह संपत्ति शीघ्रतया या प्रकृत्या क्षयशील है या यदि ऐसा करना अन्यथा समीचीन है तो वह न्यायालय, ऐसा साक्ष्य अभिलिखित करने के पश्चात् जैसा वह आवश्यक समझे, उसके विक्रय या उसका अन्यथा व्ययन किए जाने के लिए आदेश कर सकता है।

स्पष्टीकरण -- इस धारा के प्रयोजन के लिए “संपत्ति” के अन्तर्गत निम्नलिखित है--

(क) किसी भी किस्म की संपत्ति या दस्तावेज जो न्यायालय के समक्ष पेश की जाती है या जो उसकी अभिरक्षा में है,

(ख) कोई भी संपत्ति जिसके बारे में कोई अपराध किया गया प्रतीत होता है या जो किसी अपराध के करने में प्रयुक्त की गई प्रतीत होती है।

CHAPTER XXXIV: DISPOSAL OF PROPERTY

451. Order for custody and disposal of property pending trial in certain cases -

When any property is produced before any Criminal Court during an inquiry or trial, the Court may make such order as it thinks fit for the proper custody of such property pending the conclusion of the inquiry or trial and, if the property is subject to speedy and natural decay, or if it is otherwise expedient so to do, the Court may, after recording such evidence as it thinks necessary, order it to be sold or otherwise disposed of.

Explanation — For the purposes of this section, "property” includes—

(a) property of any kind or document which is produced before the Court or which is in its custody.

(b) any property regarding which an offence appears to have been committed or which appears to have been used for the commission of any offence.