Updated: Jan, 30 2021

अध्याय 4

सेवा की शर्ते

18. अधिनियम के अधीन सेवा की अवधि - हर व्यक्ति जो इस अधिनियम के अध्यधीन है वह राष्ट्रपति के प्रसाद-पर्यन्त पद धारण करेगा।

19. केन्द्रीय सरकार द्वारा सेवा का पर्यवसान - इस अधिनियम और तद्धीन बनाए गए नियमों और विनियमों के उपबंधों के अध्यधीन रहते हुए यह है कि केन्द्रीय सरकार किसी भी ऐसे व्यक्ति को, जो इस अधिनियम के अध्यधीन है पदच्युत कर सकेगी या सेवा से हटा सकेगी।

20. थल सेनाध्यक्ष द्वारा या अन्य आफिसरों द्वारा पदच्युत किया जाना, हटाया जाना या अवज्ञता किया जाना -

(1) थल सेनाध्यक्ष इस अधिनियम के अध्यधीन के किसी भी व्यक्ति को जो आफिसर से भिन्न है सेवा से पदच्युत कर सकेगा, या हटा सकेगा।

(2) थल सेनाध्यक्ष किसी वारण्ट आफिसर या किसी अनायुक्त आफिसर को निम्नतर श्रेणी या रैंक या सामान्य सैनिकों में अवनत कर सकेगा।

(3) किसी भी ब्रिगेड या समतुल्य समादेशक से अन्यून शक्ति रखने वाला आफिसर या कोई विहित आफिसर, अपने समादेश के अधीन सेवा करने वाले किसी ऐसे व्यक्ति को जो आफिसर या कनिष्ठ आयुक्त आफिसर से भिन्न हो पदच्युत कर सकेगा या हटा सकेगा।

(4) ऐसा आफिसर जैसा उपधारा (3) में वर्णित है, अपने समादेश के अधीन किसी वारण्ट आफिसर या अनायुक्त आफिसर को निम्नतर श्रेणी या रैंक में या सामान्य सैनिक श्रेणी में अवनत कर सकेगा।

(5) किन्तु इस धारा के अधीन सामान्य सैनिकों में अवनत किए गए वारण्ट आफिसर से सामान्य सैनिक श्रेणी में सिपाही के रूप में सेवा करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी।

(6) किसी कार्यकारी अनायुक्त आफिसर का कमान आफिसर उसे अनायुक्त आफिसर के रूप में अपनी स्थायी श्रेणी में या यदि सामान्य सैनिकों के ऊपर उसकी कोई स्थायी श्रेणी हो तो सामान्य सैनिक श्रेणी में प्रवर्तित होने का आदेश दे सकेगा।

(7) इस धारा के अधीन किसी शक्ति का प्रयोग इस अधिनियम में अन्तर्विष्ट उक्त उपबन्धों के और तद्धीन बनाए गए नियमों और विनियमों के अध्यधीन होगा।

21. जो व्यक्ति इस अधिनियम के अध्यधीन है उन्हें लागू होने में कतिपय मूल अधिकारों को उपान्तरित करने की शक्ति - नियमित सेना या उसकी किसी शाखा से सम्बन्धित किसी भी तत्समय प्रवृत्त विधि के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुए केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के अध्यधीन के अध्यधीन के किसी व्यक्ति के उस अधिकार को जो उसका -

() किसी व्यवसाय संघ या श्रमिक संघ के अथवा व्यवसाय या श्रमिक संघों के किसी वर्ग के, अथवा किसी सोसाइटी, संस्था या संगम के अथवा सोसाइटियों, संस्थाओं या संगमों के किसी वर्ग के, सदस्य होने या उससे किसी भी रूप में सहयुक्त होने का है;

() व्यक्तियों के किसी निकाय द्वारा किन्हीं राजनैतिक या अन्य प्रयोजनों के लिए संगठित किसी सभा में हाजिर होने या उसे संबोधित करने अथवा संगठित किसी प्रदर्शन में भाग लेने का है;

() प्रेस से कोई सम्पर्क करने या कोई पुस्तक, पत्र या अन्य दस्तावेज प्रकाशित करने या प्रकाशित कराने का है, इतने विस्तार तक, तथा ऐसी रीति से, जो आवश्यक हो, निर्बन्धित करने वाले नियम, अधिसूचना द्वारा, बना सकेगी।

22. निवृत्ति, निर्मुक्ति या उन्मोचन - किसी व्यक्ति को, जो इस अधिनियम के अध्यधीन है, ऐसे प्राधिकारी द्वारा और ऐसी रीति से, जो विहित की जाए, सेवा से निवृत्त, निर्मुक्त या उन्मोचित किया जा सकेगा।

23. सेवा के पर्यवसान पर प्रमाणपत्र - प्रत्येक कनिष्ठ आयुक्त आफिसर, वारण्ट आफिसर या अभ्यावेशित व्यक्ति को जो सेवा से पदच्युत, उन्मोचित, निवृत्त या निर्मुक्त किया जाता है या हटाया जाता है, उसके कमान आफिसर द्वारा उस भाषा में जो ऐसे व्यक्ति की मातृभाषा है और अंग्रेजी भाषा में भी, एक प्रमाणपत्र दिया जाएगा जिसमें निम्नलिखित उपवर्णि होंगे -

() उसकी सेवा का पर्यवसान करने वाला प्राधिकारी;

() ऐसे पर्यवसान का कारण; तथा

() नियमित सेना में उसकी सेवा की पूर्ण कालावधि।

24. भारत से बाहर होने की स्थिति में उन्मोचन या पदच्यति - (1) इस अधिनियम के अधीन अभ्यावेशित किया गया कोई भी व्यक्ति, जो अपने अभ्यावेशन की शर्तों के अधीन उन्मोचित किए जाने का हकदार है या जिसका उन्मोचन सक्षम प्राधिकारी द्वारा आदिष्ट किया गया है और जो उन्मोचित किए जाने के लिए ऐसे हकदार या आदिष्ट होने के समय भारत के बाहर सेवा कर रहा है, और भारत भेजे जाने की प्रार्थना करता है, उन्मोचित किए जाने के पहले सुविधानुसार पूर्ण शीघ्रता से भारत भेज दिया जाएगा।

(2) इस अधिनियम के अधीन अभ्यावेशित किया गया कोई भी व्यक्ति, जो सेवा से पदच्युत किया जाता है और जो ऐसे पदच्युत किए जाने के समय भारत के बाहर सेवा कर रहा है, सुविधानुसार पूर्ण शीघ्रता से भारत भेज दिया जाएगा।

(3) जहां कि कोई ऐसा व्यक्ति, जो उपधारा (2) में वर्णित है, किसी अन्य दण्ड के साथ-साथ पदच्युति से दण्डादिष्ट किया जाता है वहां ऐसा अन्य दण्ड अथवा निर्वासन या कारावास के दण्डादेश की दशा में, ऐसे दण्डादेश का कोई प्रभाग उसे भारत भेजे जाने से पहले भुगतवाया जा सकेगा।

(4) इस धारा के प्रयोजनों के लिएउन्मोचनशब्द के अन्तर्गत निर्मुक्ति आएगी औरपदच्युतिशब्द के अन्तर्गत हटाया जाना आएगा।