Updated: Jan, 30 2021

अध्याय 9

गिरफ्तारी तथा विचारण के पूर्व की कार्यवाहियां

101. अपराधियों की अभिरक्षा - (1) इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति जिस पर किसी अपराध का आरोप है, सैनिक अभिरक्षा में लिया जा सकेगा।

(2) ऐसे किसी व्यक्ति को सैनिक अभिरक्षा में लिए जाने का आदेश किसी भी वरिष्ठ आफिसर द्वारा दिया जा सकेगा।

(3) कोई आफिसर यह आदेश दे सकेगा कि किसी भी आफिसर को, भले ही वह उच्चतर रैंक का हो, जो झगड़ा, दंगा या उपद्रव करने में लगा हो, सैनिक अभिरक्षा में लिया जाए।

102. निरोध के सम्बन्ध में कमान आफ़िसर का कर्तव्य - (1) हर कमान आफिसर का यह कर्तव्य होगा कि वह इस बात की सतर्कता बरते कि जो व्यक्ति उसके समादेश के अधीन है, उस पर किसी अपराध का आरोप लगाए जाने पर वह व्यक्ति उस आरोप का अन्वेषण किए गए बिना उस समय के पश्चात्, जब उस व्यक्ति की अभिरक्षा में सुपुर्द किए जाने की रिपोर्ट ऐसे आफिसर को की गई है, तब के सिवाय जब कि अड़तालीस घंटे के अन्दर ऐसे अन्वेषण का किया जाना लोक सेवा की दृष्टि से उसे असाध्य प्रतीत होता हो, अड़तालीस घंटे से अधिक के लिए अभिरक्षा में निरुद्ध किया जाए।

(2) हर ऐसे व्यक्ति के मामले की, जो अड़तालीस घंटों से अधिक की कालावधि के लिए अभिरक्षा में निरुद्ध किया हुआ है और ऐसे निरुद्ध किए जाने के कारण की रिपोर्ट कमान आफिसर द्वारा उस जनरल या अन्य आफिसर को की जाएगी जिससे उस व्यक्ति का जिस पर आरोप है विचारण करने के लिए जनरल या डिस्ट्रिक्ट सेना-न्यायालय संयोजित करने का आवेदन किया जाएगा।

(3) उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट अड़तालीस घंटों की कालावधि की गणना करने में रविवार और अन्य लोकावकाश दिन अपवर्जित किए जाएंगे।

(4) इस अधिनियम के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुए, केन्द्रीय सरकार वह रीति और वह कालावधि उपबन्धित करने वाले नियम बना सकेगी जिसमें और जिसके लिए कि वह कोई भी व्यक्ति, जो इस अधिनियम के अध्यधीन है, उसके द्वारा किए गए किसी

अपराध के लिए किसी सक्षम प्राधिकारी द्वारा किए जाने वाले विचारण के लम्बित रहने तक सैनिक अभिरक्षा में लिया और निरुद्ध किया जा सकेगा।

103. सुपुर्दगी और सेना-न्यायालय के समवेत होने के आदेश के बीच का अन्तराल - हर ऐसे मामले में जिसमें ऐसा कोई व्यक्ति जो धारा 101 में वर्णित है और सक्रिय सेवा पर नहीं है, उसके विचारण के लिए सेना-न्यायालय के समवेत होने का आदेश हुए बिना, ऐसी अभिरक्षा में आठ दिन से दीर्घतर कालावधि के लिए रहे तो उसके कमान आफिसर द्वारा विलम्ब का कारण देने वाली एक विशेष रिपोर्ट, विहित रीति में की जाएगी और ऐसी ही रिपोर्ट हर आठ दिन के अन्तरालों पर तब तक भेजी जाएगी जब तक सेनान्यायालय समवेत हो जाए या उस व्यक्ति को अभिरक्षा से निर्मुक्त कर दिया जाए।

104. सिविल प्राधिकारियों द्वारा गिरफ्तारी - जब कभी इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का अभियुक्त है, किसी मजिस्ट्रेट या पुलिस आफिसर की अधिकारिता के अन्दर है तब ऐसा मजिस्ट्रेट या पुलिस आफिसर उस व्यक्ति के पकड़े जाने और सैनिक अभिरक्षा में दिए जाने में सहायता उसके कमान आफिसर द्वारा हस्ताक्षरित उस भाव के लिखित आवेदन की प्राप्ति पर करेगा।

105. अभित्याजकों को पकड़ना—(1) जब कभी इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति अभित्यजन करे तब उस कोर, विभाग या टुकड़ी की, जिसका वह अंग है, कमान आफिसर अभित्यजन की लिखित इत्तिला ऐसे सिविल प्राधिकारियों को देगा जो उसकी राय में अभित्याजक को पकड़ने में सहायता देने में समर्थ हों, और तदुपरि वे प्राधिकारी उक्त अभित्याजक को पकड़ने के लिए उसी रीति से कार्यवाही करेंगे मानो वह ऐसा व्यक्ति है जिसे पकड़ने के लिए किसी मजिस्ट्रेट द्वारा वारण्ट निकाला गया है और अभित्याजक के पकड़ लिए जाने पर उसे सैनिक अभिरक्षा में दे देंगे।

(2) कोई भी पुलिस आफिसर किसी ऐसे व्यक्ति को, जिसके बारे में युक्तियुक्त रूप से यह विश्वास है कि वह इस अधिनियम के अध्यधीन का है और अभित्याजक है या प्राधिकार के बिना यात्रा कर रहा है, बिना वारण्ट गिफ्तार कर सकेगा और विधि के अनुसार बरते जाने के लिए उसे अविलम्ब निकटतम मजिस्ट्रेट के समक्ष लाएगा।

106. छुट्टी बिना अनुपस्थित रहने की जांच - (1) जबकि इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति सम्यक् प्राधिकार के बिना तीस दिन की कालावधि पर्यन्त अपने कर्तव्य से अनुपस्थित रहा है तब तक जांच अधिकरण यथासाध्य शीघ्र समवेत किया जाएगा और वह अधिकरण उस व्यक्ति की अनुपस्थिति के बारे में और उसकी देखरेख के लिए न्यस्त की हुई सरकारी सम्पत्ति में या किन्हीं आयुधों, गोलाबारूद, उपस्कर, उपकरणों, कपड़ों या आवश्यक वस्तुओं में हुई कमी (यदि कोई हो) के बारे में जांच विहित रीति से दिलाई गई शपथ या कराए गए प्रतिज्ञान पर करेगा, और यदि उसका इस तथ्य की बाबत समाधान हो जाए कि अनुपस्थिति सम्यक् प्राधिकार या अन्य पर्याप्त हेतुक के बिना हुई है तो अधिकरण उस उपस्थिति और उसकी कालावधि की तथा उक्त कमी की (यदि कोई हो) घोषणा करेगा तथा उस कोर या विभाग का, जिसका वह व्यक्ति अंग है, कमान आफिसर उस घोषणा के अभिलेख को उस कोर या विभाग की सेना - न्यायालय पुस्तिका में प्रविष्ट करेगा।

(2) यदि वह व्यक्ति जो अनुपस्थित घोषित किया गया है तत्पश्चात् तो अभ्यर्पण करता है और पकड़ा जाता है तो वह इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए अभित्याजक समझा जाएगा।

107. प्रोवो मार्शल - (1) प्रोवो मार्शल थल सेनाध्यक्ष द्वारा या किसी विहित आफिसर द्वारा नियुक्त किए जा सकेंगे।

(2) प्रोवो मार्शल के कर्तव्य हैं किसी अपराध के लिए परिरुद्ध व्यक्तियों को अपने भारसाधन में लेना और उन व्यक्तियों में जो नियमित सेना में सेवा करते हैं या उससे संलग्न हैं, सुव्यवस्था और अनुशासन बनाए रखना तथा उनका उनके द्वारा भंग किया जाना निवारित करना।

(3) कोई प्रोवो मार्शल इस अधिनियम के अध्यधीन के किसी ऐसे व्यक्ति को, जो कोई अपराध करता है या जिस पर किसी अपराध का आरोप है, विचारण के लिए किसी भी समय गिरफ्तार और निरुद्ध कर सकेगा तथा किसी सेना - न्यायालय द्वारा या किसी ऐसे आफिसर द्वारा जो धारा 80 के अधीन प्राधिकार का प्रयोग कर रहा है, अधिनिर्णीत दंडादेश के अनुसरण में दिए जाने वाले दंड को कार्यान्वित भी कर सकेगा किन्तु अपने स्वयं के प्राधिकार से वह कोई दंड नहीं देगा:

परन्तु कोई आफिसर किसी अन्य आफिसर के आदेश पर गिरफ्तार या निरुद्ध किए जाने से अन्यथा ऐसे गिरफ्तार या निरुद्ध नहीं किया जाएगा।

(4) उपधारा (2) और (3) के प्रयोजनों के लिए यह समझा जाएगा कि प्रोवो मार्शल के अंतर्गत तत्समय नौसेना या वायुसेना शासन से संबंधित विधि के अधीन नियुक्त प्रोवो मार्शल और ऐसा व्यक्ति जो उससे या उसकी ओर से प्राधिकार का वैध रूप से प्रयोग कर रहा है, आता है।