Updated: Jan, 30 2021

अध्याय 12

पुष्टि और पुनरीक्षण 

153. निष्कर्ष और दण्डादेश का तब तक जब तक पुष्टि न कर दी जाए विधिमान्य न होना - किसी जनरल, डिस्ट्रिक्ट या सम्मरी जनरल सेना-न्यायालय का कोई भी निष्कर्ष या दण्डादेश वहां तक के सिवाय जहां तक कि वह इस अधिनियम के उपबन्धों के अनुसार पुष्ट न कर दिया गया हो, विधिमान्य नहीं होगा।

154. जनरल सेना-न्यायालय का निष्कर्ष और दण्डादेश पुष्ट करने की शक्ति - जनरल सेना-न्यायालयों के निष्कर्ष और दण्डादेश केन्द्रीय सरकार द्वारा या किसी ऐसे आफिसर द्वारा, जो केन्द्रीय सरकार के अधिपत्र द्वारा इस निमित्त सशक्त किया गया हो, पुष्ट किए जा सकेंगे।

155. डिस्ट्रिक्ट सेना-न्यायालय का निष्कर्ष और दण्डादेश पुष्ट करने की शक्ति - डिस्ट्रिक्ट सेना-न्यायालयों के निष्कर्ष और दण्डादेश जनरल सेना-न्यायालय को संयोजित करने की शक्ति रखने वाले आफिसर द्वारा या किसी ऐसे आफिसर द्वारा जो ऐसे आफिसर के अधिपत्र द्वारा इस निमित्त सशक्त किया गया हो, पुष्ट किए जा सकेंगे।

156. पुष्टिकर्ता प्राधिकारियों की शक्तियों की परिसीमा - धारा 154 या धारा 155 के अधीन निकाले गए अधिपत्र में ऐसे निर्बन्धन, आरक्षण या शर्ते अन्तर्विष्ट हो सकेंगी जो उसे निकालने वाला प्राधिकारी ठीक समझे।

157. सम्मरी जनरल सेना-न्यायालय का निष्कर्ष और दण्डादेश पुष्ट करने की शक्ति - सम्मरी जनरल सेना-न्यायालयों के निष्कर्ष और दण्डादेश संयोजक आफिसर द्वारा, या यदि वह ऐसा निदेश दे तो उससे वरिष्ठ किसी प्राधिकारी द्वारा पुष्ट किए जा सकेंगे।

158. दण्डादेश में कमी करने, उनका परिहार करने, या उनका लघुकरण करने की पुष्टिकर्ता प्राधिकारी की शक्ति - (1) ऐसे निर्बन्धनों, आरक्षणों या शर्तों के जो धारा 154 या धारा 155 के अधीन निकाले गए किसी अधिपत्र में अन्तर्विष्ट हों, और उपधारा (2) के उपबन्ध के अध्यधीन रहते हुए, पुष्टिकर्ता प्राधिकारी किसी सेना-न्यायालय के दण्डादेश की पुष्टि करते समय उस दण्ड में, जो तद्द्वारा अधिनिर्णीत किया गया है, कमी कर सकेगा या उसका परिहार कर सकेगा या उस दण्ड को धारा 17 में अधिकथित मापमान में के निम्नतर दण्ड या दण्डों में लघुकृत कर सकेगा।

(2) निर्वासन का दण्डादेश न्यायालय द्वारा अधिनिर्णीत निर्वासन की अवधि से अधिक अवधि के कारावास के दण्डादेश में लघुकृत नहीं किया जाएगा।

159. पोत के फलक पर के निष्कर्षों और दण्डादेशों का पुष्ट किया जाना - जब कि इस अधिनियम के अध्यधीन के किसी व्यक्ति को, किसी सेना-न्यायालय द्वारा उस समय विचारित और दण्डादिष्ट किया गया है जब कि वह पोत के फलक पर है तब निष्कर्ष और दण्डादेश, वहां तक जहां तक कि पोत पर उसे पुष्ट या निष्पादित न किया गया हो, ऐसी रीति में पुष्ट और निष्पादित किया जा सकेगा मानो ऐसे व्यक्ति का विचारण उसके उतरने के पत्तन पर किया गया हो।

160. निष्कर्ष या दण्डादेश का पुनरीक्षण - (1) सेना-न्यायालय का निष्कर्ष या दण्डादेश जिसकी पुष्टि अपेक्षित है, पुष्टिकर्ता आफिसर के आदेश से एक बार पुनरीक्षित किया जा सकेगा और ऐसे पुनरीक्षण पर न्यायालय, यदि वह पुष्टिकर्ता आफिसर द्वारा ऐसा करने के लिए निदेशित किया गया है तो अतिरिक्त साक्ष्य ले सकेगा।

(2) पुनरीक्षण पर, न्यायालय उन्हीं आफिसरों से जो उस समय उपस्थित थे जब कि मूल विनिश्चय पारित किया गया था, मिलकर गठित होगा जब तक कि उन आफिसरों में से कोई अपरिवर्जनीयत: अनुपस्थित न हो।

(3) ऐसी अपरिवर्जनीय अनुपस्थिति की दशा में, उसका हेतुक कार्यवाही में सम्यक् रूप से प्रमाणित किया जाएगा और न्यायालय पुनरीक्षण करने के लिए अग्रसर होगा, परन्तु यह तब जबकि यदि वह जनरल सेना-न्यायालय है, तो पांच आफिसरों से या यदि वह सम्मरी, जनरल या डिस्ट्रिक्ट सेना-न्यायालय है, तो तीन आफिसरों से मिलकर उस समय भी गठित हो।

161. सम्मरी सेना-न्यायालय का निष्कर्ष और दण्डादेश - (1) उपधारा (2) में अन्यथा उपबंधित के सिवाय, सम्मरी सेना-न्यायालय के निष्कर्ष और दण्डादेश की पुष्टि अपेक्षित नहीं होगी, पर उसे तत्काल कार्यान्वित किया जा सकेगा।

(2) यदि विचारण करने वाला आफिसर पांच वर्ष से कम की सेवा वाला है, तो वह, सक्रिय सेवा पर के सिवाय, किसी दण्डादेश को तब तक क्रियान्वित नहीं करेगा, जब तक कि उस पर कम से कम ब्रिगेड का समादेशन करने वाले आफिसर का अनुमोदन प्राप्त न हो गया हो।

162. सम्मरी सेना-न्यायालय की कार्यवाहियों का पारेषण - हर सम्मरी सेना-न्यायालय की कार्यवाहियां उस डिवीजन या ब्रिगेड के, जिसमें विचारण किया गया था, समादेशन करने वाले आफिसर को या विहित आफिसर को अविलम्ब भेजी जाएंगी, और ऐसा आफिसर या थल सेनाध्यक्ष अथवा थल सेनाध्यक्ष द्वारा इस निमित्त सशक्त किया गया आफिसर, मामले के गुणागुण पर आधारित कारणों पर, न कि केवल प्राविधिक आधारों पर, कार्यवाहियों को अपास्त कर सकेगा या उस दण्डादेश को किसी अन्य ऐसे दण्डादेश तक घटा सकेगा, जो कि वह न्यायालय पारित कर सकता था।

163. कतिपय मामलों में निष्कर्ष या दण्डादेश का परिवर्तित किया जाना - (1) जहां कि किसी सेना-न्यायालय द्वारा दोषी होने का ऐसा निष्कर्ष जिसकी पुष्टि हो चुकी है या जिसकी पुष्टि होनी अपेक्षित नहीं है, किसी कारण से अविधिमान्य पाया जाता है या साक्ष्य से उसका समर्थन नहीं होता है, वहां वह प्राधिकारी, जिसे, यदि निष्कर्ष विधिमान्य होता, दण्डादेश द्वारा अधिनिर्णीत दण्ड को लघुकृत करने की शक्ति धारा 179 के अधीन होती, नया निष्कर्ष प्रतिस्थापित कर सकेगा और ऐसे निष्कर्ष में विनिर्दिष्ट या अन्तर्वलित अपराध के लिए दण्डादेश पारित कर सकेगा :

परन्तु ऐसा कोई प्रतिस्थापन तब के सिवाय, जब कि सेना-न्यायालय द्वारा उस आरोप पर ऐसा निष्कर्ष विधिमान्यतया दिया जा सकता था, और तब के सिवाय, जब कि यह प्रतीत हो कि उक्त अपराध साबित करने वाले तथ्यों के बारे में सेना-न्यायालय का समाधान आवश्यक हो गया होगा, नहीं किया जाएगा।

(2) जहां कि सेना-न्यायालय द्वारा पारित दण्डादेश, जिसकी पुष्टि हो चुकी है या जिसकी पुष्टि होनी अपेक्षित नहीं है, किन्तु जो उपधारा (1) के अधीन प्रतिस्थापित नए निष्कर्ष के अनुसरण में पारित दण्डादेश नहीं है, किसी कारण से अविधिमान्य पाया जाता है, वहां उपधारा (1) में निर्दिष्ट प्राधिकारी विधिमान्य दण्डादेश पारित कर सकेगा।

(3) उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन पारित दण्डादेश द्वारा अधिनिर्णीत दण्ड, दण्डों के मापमान में उस दण्ड से उच्चतर नहीं होगा और न उस दण्ड से अधिक होगा, जो उस दण्डादेश द्वारा अधिनिर्णीत किया गया है, जिसके लिए इस धारा के अधीन नया दण्डादेश प्रतिस्थापित किया गया है।

(4) इस धारा के अधीन प्रतिस्थापित कोई निष्कर्ष या पारित कोई दण्डादेश इस अधिनियम और तद्धीन बनाए गए नियमों के प्रयोजनों के लिए ऐसे प्रभावी होगा, मानो वह किसी सेना-न्यायालय का, यथास्थिति, निष्कर्ष या दण्डादेश हो।

164. सेना-न्यायालय के आदेश, निष्कर्ष या दण्डादेश के विरुद्ध उपचार - (1) इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो किसी सेना-न्यायालय द्वारा पारित किसी आदेश से अपने को व्यथित समझता है, उस आफिसर या प्राधिकारी को, जो उस सेना-न्यायालय के किसी निष्कर्ष या दण्डादेश की पुष्टि करने के लिए सशक्त है, अर्जी दे सकेगा, और पुष्टिकर्ता प्राधिकारी, पारित आदेश की शुद्धता, वैधता या औचित्य के बारे में या जिस कार्यवाही से वह आदेश संबद्ध है, उसकी नियमितता के बारे में अपना समाधान करने के लिए कार्यवाही कर सकेगा, जैसी आवश्यक समझी जाए।

(2) इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो सेना-न्यायालय के ऐसे निष्कर्ष या दण्डादेश से, जिसकी पुष्टि की जा चुकी है, अपने को व्यथित समझता है, केन्द्रीय सरकार [थल सेनाध्यक्ष] या समादेश में उस आफिसर से, जिसने उस निष्कर्ष या दण्डादेश की पुष्टि की है, वरिष्ठ किसी विहित आफिसर को अर्जी दे सकेगा, और, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार, [थल सेनाध्यक्ष] या अन्य आफिसर उस पर ऐसा आदेश पारित कर सकेगा, जैसा वह ठीक समझे।

165. कार्यवाहियों का बातिल किया जाना - केन्द्रीय सरकार, [थल सेनाध्यक्ष] या कोई विहित आफिसर किसी सेनान्यायालय की कार्यवाहियों को इस आधार पर बातिल कर सकेगा कि वे अवैध या अन्यायपूर्ण हैं।