Updated: Jan, 30 2021

अध्याय 13

दण्डादेशों का निष्पादन

166. मृत्यु दण्डादेश का रूप - सेना-न्यायालय मृत्यु का दण्डादेश अधिनिर्णीत करने में स्वविवेकानुसार निदेश देगा कि अपराधी की मृत्यु ऐसे घटित की जाए कि जब तक वह मर न जाए, तब तक उसे गर्दन में फांसी लगाकर लटकाए रखा जाए या उसे गोली से मार दिया जाए।

167. निर्वासन या कारावास के दण्डादेश का प्रारम्भ - जब कभी कोई व्यक्ति इस अधिनियम के अधीन किसी सेना-न्यायालय द्वारा निर्वासन या कारावास से दण्डादिष्ट किया जाता है, तब उस दण्डादेश की अवधि, चाहे पुनरीक्षित किया गया हो या नहीं, उस दिन प्रारम्भ हुई मानी जाएगी, जिस दिन की मूल कार्यवाही पीठासीन आफिसर द्वारा या सम्मरी सेना-न्यायालय की दशा में, न्यायालय द्वारा हस्ताक्षरित की गई थी।

168. निर्वासन के दण्डादेश का निष्पादन - जब कभी निर्वासन का कोई दण्डादेश इस अधिनियम के अधीन पारित किया जाता है या जब कभी मृत्यु का दण्डादेश निर्वासन में लघुकृत किया जाता है, तब दण्डादिष्ट व्यक्ति का कमान आफिसर, या ऐसा अन्य आफिसर, जो विहित किया जाए, उस सिविल कारागार के भारसाधक आफिसर को, जिसमें ऐसे व्यक्ति को परिरुद्ध किया जाना है, विहित प्ररूप में अधिपत्र भेजेगा और अधिपत्र के साथ उसे उस कारागार को भेजे जाने का प्रबंध करेगा।

169. कारावास के दण्डादेश का निष्पादन - (1) जब कभी कारावास का कोई दण्डादेश सेना-न्यायालय द्वारा इस अधिनियम के अधीन पारित किया जाता है या जब कभी मृत्यु या निर्वासन का कोई दण्डादेश कारावास में लघुकृत किया जाता है, तब पुष्टिकर्ता आफिसर या सम्मरी सेना-न्यायालय की दशा में, न्यायालय अधिविष्ट करने वाला आफिसर या ऐसा अन्य आफिसर, जो विहित किया जाए, उपधारा (3) और (4) में जैसा अन्यथा उपबंधित है, उसे छोड़कर, यह निदेश देगा कि या तो दण्डादेश सैनिक कारागार में परिरोध द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा अथवा सिविल कारागार में परिरोध द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा।

(2) जब कि कोई निदेश उपधारा (1) के अधीन दिया गया है, तब दण्डादिष्ट व्यक्ति का कमान आफिसर, या ऐसा अन्य आफिसर जो, विहित किया जाए, उस कारागार के भारसाधक आफिसर को, जिसमें ऐसे व्यक्ति को परिरुद्ध किया जाना है, विहित प्ररूप में अधिपत्र भेजेगा और अधिपत्र के साथ उसे उस कारागार को भेजे जाने का प्रबन्ध करेगा।

(3) तीन मास से अनधिक की कालावधि के कारावास के और सेना-न्यायालय द्वारा इस अधिनियम के अधीन पारित दण्डादेश की दशा में, उपधारा (1) के अधीन समुचित आफिसर निदेश दे सकेगा कि दण्डादेश किसी सिविल या सैनिक कारागार के बजाय सैनिक अभिरक्षा में परिरोध करके कार्यान्वित किया जाए।

(4) सक्रिय सेवा पर की दशा में, कारावास का दण्डादेश ऐसे स्थान में परिरोध द्वारा कार्यान्वित किया जा सकेगा, जिसे फील्ड में बलों का समादेशन करने वाला आफिसर समय-समय पर नियुक्त करे।

169क. आफिसर या व्यक्ति द्वारा भोगी गई अभिरक्षा की कालावधि का कारावास के प्रति मुजरा किया जाना - जब इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति या आफिसर, सेना-न्यायालय द्वारा किसी अवधि के कारावास से दण्डादिष्ट किया जाता है, जो जुर्माने के संदाय में व्यतिक्रम के लिए कारावास नहीं है, तो उसी मामले के अन्वेषण, जांच या विचारण के दौरान, और ऐसे दण्डादेश की तारीख के पहले, उसके द्वारा सिविल या सैनिक अभिरक्षा में बिताई गई कालावधि का उस पर अधिरोपित कारावास की अवधि के प्रति मुजरा किया जाएगा और ऐसे दण्डादेश पर उस व्यक्ति या आफिसर का कारावास भुगतने का दायित्व उस पर अधिरोपित कारावास की अवधि के शेष भाग तक, यदि कोई हो, निर्बन्धित होगा।

170. अपराधी की अस्थायी अभिरक्षा - जहां कि यह निदेश दिया गया है कि निर्वासन या कारावास का दण्डादेश सिविल कारागार में भोगा जाए, वहां अपराधी उस समय तक, जब तक कि उसे किसी सिविल कारागार में भेजना संभव न हो जाए, किसी सैनिक कारागार में या सैनिक अभिरक्षा में या किसी अन्य उचित स्थान में, रखा जा सकेगा।

171. विशेष दशाओं में कारावास के दण्डादेश का निष्पादन - जब कभी किसी सेना, सेना-कोर, डिवीजन या स्वतंत्र ब्रिगेड का समादेशन करने वाले आफिसर की राय में, कारावास का कोई दण्डादेश या कारावास के दण्डादेश का कोई प्रभाग धारा 169 के उपबन्धों के अनुसार किसी सैनिक कारागार में या सैनिक अभिरक्षा में विशेष कारणों से सुविधापूर्वक कार्यान्वित नहीं किया जा सकता, तब वह, आफिसर निदेश दे सकेगा कि वह दण्डादेश या उस दण्डादेश का वह प्रभाग किसी सिविल कारागार या अन्य उचित स्थान में परिरोध द्वारा कार्यान्वित किया जाए।

172. कैदी का स्थान-स्थान को प्रवहण - जो व्यक्ति निर्वासन या कारावास के दण्डादेश के अधीन है वह एक स्थान से दूसरे स्थान को अपने प्रवहण के दौरान या उस दशा में जिसमें वह पोत या वायुयान के फलक पर या अन्यथा, ऐसे अवरोध के अध्यधीन किया जा सकेगा, जो उसके सुरक्षित रूप से ले जाए जाने और अपसारण के लिए आवश्यक हो।

173. कतिपय आदेशों का कारागार आफिसरों को संसूचित किया जाना - जब कभी किसी दण्डादेश, आदेश या अधिपत्र को, जिसके अधीन कोई व्यक्ति सिविल या सैनिक कारागार में परिरुद्ध है, अपास्त करने या उसमें फेरफार करने का कोई आदेश इस अधिनियम के अधीन सम्यक्तः किया जाता है, तब ऐसे आदेश के अनुसार एक अधिपत्र, उस आदेश को करने वाले आफिसर या उसके स्टाफ आफिसर या ऐसे अन्य व्यक्ति द्वारा, जो विहित किया जाए, उस कारागार के भारसाधक आफिसर को भेजा जाएगा, जिसमें वह व्यक्ति परिरुद्ध है।

174. जुर्माने के दण्डादेश का निष्पादन - जब कि जुर्माने का दण्डादेश किसी सेना-न्यायालय द्वारा धारा 69 के अधीन अधिरोपित किया जाए तब चाहे विचारण भारत में हुआ हो या नहीं हो, ऐसे दण्डादेश की पुष्टिकर्ता आफिसर द्वारा हस्ताक्षरित और प्रमाणित एक प्रति भारत में के किसी मजिस्ट्रेट को भेजी जा सकेगी और वह मजिस्ट्रेट तदुपरि उस जुर्माने को, दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) के या जम्मू-कश्मीर राज्य में प्रवृत्त किसी तत्समान विधि के उपबंधों के, जो जुर्मानों के उद्ग्रहण के लिए है, अनुसार ऐसे वसूल कराएगा, मानो वह उस मजिस्ट्रेट द्वारा अधिरोपित जुर्माने का दण्डादेश हो।

175. सैनिक कारागारों की स्थापना और विनियमन - केन्द्रीय सरकार अपने नियंत्रणाधीन के किसी निर्माण या निर्माण के भाग या किसी स्थान को उन व्यक्तियों के परिरोध के लिए, जिन्हें इस अधिनियम के अधीन कारावास से दण्डादिष्ट किया गया हो, सैनिक कारागार के रूप में पृथक् रख सकेगी।

176. आदेश या अधिपत्र में अप्ररूपिता या गलती - जब कभी किसी व्यक्ति को इस अधिनियम के अधीन निर्वासन या कारावास से दण्डादिष्ट किया जाता है और वह उस दण्डादेश को किसी ऐसे स्थान या रीति में भोग रहा है, जिसमें कि वह इस अधिनियम के अनुसरण में किसी विधिपूर्ण आदेश या अधिपत्र के अधीन परिरुद्ध किया जा सकता है, तब ऐसे व्यक्ति का परिरोध केवल इस कारण अवैध न समझा जाएगा कि उस आदेश, अधिपत्र या अन्य दस्तावेज या उस प्राधिकार में या के संबंध में जिसके द्वारा या जिसके अनुसरण में वह व्यक्ति ऐसे स्थान में लाया गया था या परिरुद्ध है, कोई अप्ररूपिता या गलती है, और ऐसे किसी आदेश, अधिपत्र या दस्तावेज को तद्नुसार संशोधित किया जा सकेगा।

177. कारागारों और कैदियों के बारे में नियम बनाने की शक्ति - केन्द्रीय सरकार निम्नलिखित बातों के लिए उपबंध करने वाले नियम बना सकेगी

(क) सैनिक कारागारों का शासन, प्रबन्ध और विनियमन; 

(ख) उनके निरीक्षकों, परिदर्शकों, गर्वनरों और आफिसरों की नियुक्ति, हटाया जाना और शक्तियां;

(ग) उनमें परिरोध भोग रहे कैदियों का श्रम और व्यक्तियों को समर्थ बनाने के लिए विशेष उद्योग और अच्छे आचरण द्वारा वे अपने दण्डादेश के प्रभाग का परिहार उपार्जित कर सकें;

(घ) ऐसे कैदियों की सुरक्षित अभिरक्षा और उनमें अनुशासन बनाए रखना और उन्हें उनके द्वारा किए गए अपराधों के लिए दण्ड का शारीरिक सजा द्वारा, अवरोध द्वारा या अन्यथा दिया जाना;

(ङ) कारागार अधिनियम, 1894 (1894 का 9) के उन उपबंधों में से किन्हीं को सैनिक कारागारों पर लागू करना, जो कारागारों के आफिसरों के कर्तव्यों और उन व्यक्तियों को, जो कैदी नहीं हैं, दण्ड देने से सम्बद्ध है;

(च) किसी कारागार में उचित समयों पर और उचित निर्बन्धनों के अध्यधीन उन व्यक्तियों का प्रवेश, जिनके साथ बातचीत करने की कैदी वांछा करें, और विचारणाधीन कैदियों द्वारा अपने विधि सलाहकारों से श्रवणगोचर दूरी के अन्दर यावत्सम्भव किसी पर व्यक्ति की उपस्थिति के बिना, परामर्श ।

178. नियम बनाने की शक्ति पर शारीरिक दण्ड के बारे में निर्बन्धन - धारा 177 के अधीन बनाए गए नियम न तो किसी अपराध के लिए शारीरिक दण्ड का दिया जाना प्राधिकृत करेंगे और न कारावास को उससे अधिक कठोर बनाएंगे जितना वह सिविल कारागारों के संबंध में तत्समय प्रवृत्त विधि के अधीन हो।