Updated: Jan, 30 2021

अध्याय 14

क्षमा, परिहार और निलम्बन 

179. क्षमा और परिहार - जब कि इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति सेना-न्यायालय द्वारा किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध किया गया है, तब केन्द्रीय सरकार या थल सेनाध्यक्ष अथवा ऐसे दण्डादेश की दशा में, जिसे वह पुष्ट कर सकता था या जिसकी पुष्टि अपेक्षित नहीं थी, उस सेना, सेना-कोर, डिवीजन या स्वतंत्र ब्रिगेड का, जिसमें वह व्यक्ति दोषसिद्धि के समय सेवा करता था, समादेशन करने वाला आफिसर या विहित आफिसर -

(क) या तो उन शर्तों के सहित या बिना जिन्हें दण्डादिष्ट व्यक्ति प्रतिगृहीत करता है, उस व्यक्ति को क्षमा कर सकेगा या अधिनिर्णीत सम्पूर्ण दण्ड या उसके किसी भाग का परिहार कर सकेगा, अथवा

(ख) अधिनिर्णीत दण्ड में कमी कर सकेगा, अथवा 

(ग) ऐसे दण्ड को इस अधिनियम में वर्णित किसी कम दण्ड या दण्डों में लघुकृत कर सकेगा :

परन्तु निर्वासन का दण्डादेश न्यायालय द्वारा अधिनिर्णीत निर्वासन की अवधि से अधिक की अवधि के कारावास के दण्डादेश में लघुकृत नहीं किया जाएगा, अथवा

(घ) या तो उन शर्तों के सहित या बिना, जिन्हें दण्डादिष्ट व्यक्ति प्रतिगृहीत करता है, उस व्यक्ति को पैरोल पर निर्मुक्त कर सकेगा।

180. सशर्त क्षमा, पैरोल पर निर्मुक्त या परिहार को रद्द करना — (1) यदि कोई शर्त, जिस पर किसी व्यक्ति को क्षमा प्रदान किया गया है या पैरोल पर निर्मुक्त किया गया है या जिस पर किसी दण्ड का परिहार किया गया है, उस प्राधिकारी की राय में जिसने क्षमा, निर्मुक्ति या परिहार अनुदत्त किया था पूरी नहीं की गई है तो वह प्राधिकारी उस क्षमा, निर्मुक्ति या परिहार को रद्द कर सकेगा और तदुपरि न्यायालय का दण्डादेश ऐसे क्रियान्वित किया जाएगा मानो ऐसी क्षमा, निर्मुक्ति या परिहार अनुदत्त नहीं किया गया था।

(2) वह व्यक्ति, जिसके निर्वासन या कारावास का दण्डादेश उपधारा (1) के उपबन्धों के अधीन क्रियान्वित किया जाता है, अपने दण्डादेश का केवल अनवसित प्रभाव ही भोगेगा।

181. वारण्ट आफिसर या अनायुक्त आफिसर की अवनति — जब कि धारा 77 के उपबन्धों के अधीन कोई वारण्ट आफिसर या अनायुक्त आफिसर सामान्य सैनिकों में अवनत किया गया समझा जाए, तब ऐसी अवनति धारा 179 के प्रयोजन के लिए सेना-न्यायालय के दण्डादेश द्वारा अधिनिर्णीत दण्ड मानी जाएगी।

182. निर्वासन या कारावास के दण्डादेश का निलम्बन - (1) जहां कि इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, किसी सेना-न्यायालय द्वारा निर्वासन या कारावास से दण्डादिष्ट किया जाता है, वहां केन्द्रीय सरकार थल सेनाध्यक्ष अथवा जनरल या सम्मरी जनरल सेना-न्यायालय संयोजित करने के लिए सशक्त कोई आफिसर दण्डादेश को निलम्बित कर सकेगा, चाहे अपराधी को कारागार के या सैनिक अभिरक्षा के सुपुर्द पहले ही कर दिया गया हो या न कर दिया गया हो।

(2) उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट प्राधिकारी या आफिसर, ऐसे दण्डादिष्ट अपराधी की दशा में, निदेश दे सकेगा कि जब तक ऐसे प्राधिकारी या आफिसर के आदेश अभिप्राप्त न कर लिए जाएं, तब तक अपराधी को कारागार के या सैनिक अभिरक्षा के सुपुर्द नहीं किया जाएगा।

(3) उपधाराओं (1) और (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग किसी ऐसे दण्डादेश की दशा में किया जा सकेगा, जिसकी पुष्टि की जा चुकी है या जो घटा दिया गया है या लघुकृत कर दिया गया है।

183. निलम्बन के लम्बित रहने तक आदेश — (1) जहां कि धारा 182 में निर्दिष्ट दण्डादेश, सम्मरी सेना-न्यायालय से भिन्न सेना-न्यायालय द्वारा अधिरोपित किया जाता है, वहां पुष्टिकर्ता आफिसर दण्डादेश की पुष्टि करते समय निदेश दे सकेगा कि अपराधी को कारागार के या सैनिक अभिरक्षा के सुपुर्द तब तक न किया जाए जब तक कि धारा 182 में विनिर्दिष्ट प्राधिकारी या आफिसर के आदेश अभिप्राप्त न कर लिए जाएं।

(2) जहां कि कारावास का दण्डादेश किसी सम्मरी सेना-न्यायालय द्वारा अधिरोपित किया जाता है, वहां विचारण करने वाला आफिसर या दण्डादेश की धारा 161 की उपधारा (2) के अधीन अनुमोदित करने के लिए प्राधिकृत आफिसर उपधारा (1) में निर्दिष्ट निदेश दे सकेगा।

184. निलम्बन पर निर्मुक्ति – जहां कि कोई दण्डादेश धारा 182 के अधीन निलम्बित किया जाता है, वहां अपराधी को अभिरक्षा से तत्काल निर्मुक्त कर दिया जाएगा।

185. निलम्बन की कालावधि की संगणना — वह कालावधि, जिसके दौरान दण्डादेश निलम्बनाधीन है, उस दण्डादेश की अवधि का भाग मानी जाएगी।

186. निलम्बन के पश्चात् आदेश - धारा 182 में विनिर्दिष्ट प्राधिकारी या आफिसर किसी भी समय, जिस दौरान दण्डादेश निलम्बित है, आदेश दे सकेगा कि -

(क) अपराधी उस दण्डादेश के अनवसित प्रभाग को भोगने के लिए सुपुर्द किया जाए, अथवा

(ख) दण्डादेश का परिहार किया जाए। 

187. निलम्बन के पश्चात् मामले पर पुनर्विचार — (1) जहां कि कोई दण्डादेश निलम्बित किया गया है, वहां धारा 182 में विनिर्दिष्ट प्राधिकारी या आफिसर द्वारा या धारा 182 में विनिर्दिष्ट प्राधिकारी या आफिसर द्वारा सम्यक रूप से प्राधिकृत किसी ऐसे जनरल या अन्य आफिसर द्वारा, जो फील्ड आफिसर के रैंक से अनिम्न रैंक का है, मामले पर पुनिर्वचार किसी भी समय किया जा सकेगा और चार मास से अनधिक अन्तरालों पर किया जाएगा।

(2) जहां कि ऐसे प्राधिकृत आफिसर द्वारा किसी ऐसे पुनर्विचार पर उसे यह प्रतीत होता है कि अपराधी का आचरण दोषसिद्ध के पश्चात् ऐसा रहा है कि दण्डादेश का परिहार करना न्यायोचित होगा, वहां वह मामले को धारा 182 में विनिर्दिष्ट प्राधिकारी या आफिसर को निर्देशित करेगा।

188. निलम्बन के पश्चात् नया दण्डादेश - जहां कि किसी अपराधी को उस समय के दौरान जब कि उसका दण्डादेश इस अधिनियम के अधीन निलम्बित है, किसी अन्य अपराध के लिए दण्डादिष्ट किया जाता है, वहां—

(क) यदि अतिरिक्त दण्डादेश भी इस अधिनियम के अधीन निलम्बित किया जाता है, तो वे दोनों दण्डादेश साथसाथ भोगे जाएंगे,

(ख) यदि अतिरिक्त दण्डादेश तीन मास या अधिक की कालावधि के लिए है और इस अधिनियम के अधीन निलम्बित नहीं किया जाता है, तो अपराधी पूर्ववर्ती दण्डादेश के अनवसित प्रभाग के लिए भी कारागार या सैनिक अभिरक्षा के सुपुर्द किया जाएगा, किन्तु दोनों दण्डादेश साथ-साथ भोगे जाएंगे, तथा

(ग) यदि अतिरिक्त दण्डादेश तीन मास से कम की कालावधि के लिए है और इस अधिनियम के अधीन निलम्बित नहीं किया जाता है, तो अपराधी केवल उसी दण्डादेश पर ऐसे सुपुर्द किया जाएगा और पूर्ववर्ती दण्डादेश, किसी ऐसे आदेश के अध्यधीन रहते हुए, जो धारा 186 या धारा 187 के अधीन पारित किया जाए, निलम्बित बना रहेगा।

189. निलम्बन की शक्ति की परिधि  - धाराओं 182 और 186 द्वारा प्रदत्त शक्तियां, कमी करने, परिहार और लघुकरण की शक्ति के अतिरिक्त, न कि उनके अल्पीकरण में होंगी।

190. निलम्बन और परिहार का पदच्युति पर प्रभाव - (1) जहां कि किसी अन्य दण्डादेश के अतिरिक्त पदच्युति का दण्ड किसी सेना-न्यायालय द्वारा अधिनिर्णीत किया गया है और ऐसा अन्य दण्डादेश धारा 182 के अधीन निलम्बित किया गया है, वहां तब ऐसी पदच्युति तब तक प्रभावशील नहीं होगी, जब तक कि धारा 182 में विनिर्दिष्ट प्राधिकारी या आफिसर द्वारा वैसा आदिष्ट न किया जाए।

(2) यदि धारा 186 के अधीन ऐसे अन्य दण्डादेश का परिहार किया जाता है, तो पदच्युति के दण्ड का भी परिहार कर दिया जाएगा