Updated: Jan, 30 2021

अध्याय 15

नियम 

191. नियम बनाने की शक्ति - (1) केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के उपबन्धों को क्रियान्वित करने के प्रयोजन के लिए नियम बना सकेगी।

(2) उपधारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, तद्धीन बनाए गए नियम निम्नलिखित के लिए उपबंध कर सकेंगे।

(क) इस अधिनियम के अध्यधीन के व्यक्तियों का सेवा से हटाया जाना, निवृत्त किया जाना, निर्मुक्त किया जाना या उन्मोचित किया जाना,

(ख) धारा 89 के अधीन अधिरोपित किए जाने वाले जुर्मानों की रकम और उनका आपतन,

  2 *  *  *  *

(घ) जांच अधिकरणों का समवेत होना और उनकी प्रक्रिया, ऐसे अधिकरणों द्वारा साक्ष्य के संक्षेपों का अभिलेखन और शपथ का दिलाया जाना या प्रतिज्ञान का कराया जाना,

(ङ) सेना-न्यायालयों का संयोजन और गठन और सेना-न्यायालयों द्वारा किए जाने वाले विचारणों में अभियोजकों की नियुक्ति,

(च) सेना-न्यायालयों का स्थगन, विघटन और बैठक, 

(छ) सेना-न्यायालयों द्वारा विचारणों में अनुपालनीय प्रक्रिया और उनमें विधि-व्यवसायियों की उपसंजाति, 

(ज) सेना-न्यायालयों के निष्कर्षों और दण्डादेशों की पुष्टि, पुनरीक्षण और बातिलीकरण और उनके विरुद्ध अर्जियां, 

(झ) सेना-न्यायालयों के दण्डादेशों का क्रियान्वित किया जाना,

(ञ) सेना-न्यायालयों, निर्वासन और कारावास के संबंध में इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन किए जाने वाले आदेशों के प्ररूप,

(ट) यह विनिश्चित करने के लिए प्राधिकारियों का गठन कि धारा 99 के अधीन आश्रितों के लिए उपबन्ध किन व्यक्तियों के लिए, किन रकमों तक और किस रीति से किया जाना चाहिए और ऐसे विनिश्चयों का सम्यक् क्रियान्वयन,

(ठ) नियमित सेना, नौसेना और वायु सेना के आफिसरों, कनिष्ठ आयुक्त आफिसरों, वारण्ट आफिसरों, पैटी आफिसरों और अनायुक्त आफिसरों का, जब वे एक साथ कार्य कर रहे हों, अपेक्षित रैंक,

(ड) कोई अन्य विषय जिसका विहित किया जाना इस अधिनियम द्वारा निर्दिष्ट हो। 

192. विनियम बनाने की शक्ति - केन्द्रीय सरकार धारा 191 में विनिर्दिष्ट प्रयोजनों से भिन्न इस अधिनियम के सब प्रयोजनों या उनमें से किन्हीं के लिए विनियम बना सकेगी।

193. नियमों और विनियमों का राजपत्र में प्रकाशन - इस अधिनियम के अधीन बनाए गए सभी नियम और विनियम शासकीय राजपत्र में प्रकाशित किए जाएंगे और ऐसे प्रकाशन पर ऐसे प्रभावशील होंगे मानो वे इस अधिनियम में अधिनियमित हों।

193क. नियमों और विनियमों का संसद् के समक्ष रखा जाना — इस अधिनियम के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा बनाया गया प्रत्येक नियम और प्रत्येक विनियम बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा। यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी। यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम या विनियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा। यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम या विनियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभाव हो जाएगा। किन्तु नियम या विनियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

194. [निरसन । —निरसन तथा संशोधन अधिनियम, 1957 (1957 का 36) की धारा 2 तथा अनुसूची 1 द्वारा निरसित। 195. [“ब्रिटिश आफिसर" की परिभाषा।]–1992 के अधिनियम सं० 37 की धारा 19 द्वारा निरसित। 196. [ब्रिटिश आफिसर की शक्तियां।] -1992 के अधिनियम सं० 37 की धारा 19 द्वारा निरसित।

[अनुसूची।—निरसन और संशोधन अधिनियम, 1957 (1957 का 36) की धारा 2 और अनुसूची 1 द्वारा निरसित