Updated: Feb, 18 2021

Rule 30 of M.P.Civil Services (Pension) Rules, 1976

अध्याय 4

उपलब्धियाँ और औसत उपलब्धियाँ

(Emoluments and average emoluments)

नियम 30. उपलब्धियाँ (Emoluments) - "उपलब्धियाँ" से अभिप्रेत है, मूलभूत नियमों के नियम 9 (2) में परिभाषित, वेतन (जैसा कि शासन द्वारा समय-समय पर पारित आदेश के द्वारा अवधारित किया जाए, महँगाई वेतन, यदि कोई हो, को शामिल करते हुए) जो शासकीय सेवक अपनी सेवानिवृत्ति के तत्काल पूर्व अथवा उसकी मृत्यु के दिनांक को, जैसा भी प्रकरण हो, प्राप्त कर रहा था।

[स्पष्टीकरण - (1) उन शासकीय सेवकों के मामले में, जो मध्यप्रदेश पुनरीक्षित वेतनमान, नियम 1990 अथवा मध्यप्रदेश पुनरीक्षित वेतनमान नियम 1998 अथवा यू.जी.सी के वेतनमानों में या अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा अथवा अखिल भारतीय सेवा वेतनमान में वेतन आहरित कर रहे हैं अभिव्यक्ति “परिलब्धियाँ' से आशयित है मूल वेतन जैसा मूलभूत नियमों के नियम 9 (21) (a) (i) में परिभाषित हैं, जो कि एक शासकीय सेवक उसकी सेवानिवृत्ति के तुरन्त पूर्व प्राप्त कर रहा था तथा इसमें राज्य शासन द्वारा आदेशित किया जावे तब तदनुसार मंहगाई वेतन तथा व्यक्तिगत वेतन भी शामिल होगा, [वित्त विभाग की अधिसूचना क्र. बी. 25/37/99/PWC/IV, दिनांक 6-9-1999 द्वारा प्रतिस्थापित तथा यह संशोधन दिनांक 1-1-1986 से प्रभावशील किया गया।]

(2) शीघ्र लेखकों का द्विभाषी भत्ता सेवा, निवृत्ति परिलाभों की संगणना हेतु परिलब्धियों के समान समझा जाएगा।

[(3) पदोन्नति पर उच्च वेतनमान के बदले में विशेष वेतन, कोई हो, प्राप्त किया गया है, सेवानिवृत्ति लाभों के गणन हेतु ‘उपलब्धियों’ के समान हिसाब में लिया जाएगा।] [वि.वि. की अधि. क्र. एफ-12-01-2005 नियम/चार दि. 23.7.05 से संशोधित]

(4) चिकित्सा अधिकारियों को जो व्यवसायिक भत्ता (Non Practicing Allowance) दिया जाता है, उसको सेवा निवृत्ति लाभ हेतु उपलब्धि के रूप में निम्न शर्तों के अध्याधीन माना जावेगाः-

(1) सेवानिवृत्ति/मृत्यु दिनांक से 120 मास के दौरान आहरित व्यवसायिक भत्ता औसत उपलब्धि में सम्मिलित किया जावेगा।

ऐसे मामलों में जब सेवानिवृत्ति/मृत्यु दिनांक तक - के 120 माहों में व्यवसायिक भत्ता भिन्न निम्न अवधियों में लिया गया है तथा उसको योग 120 माह से कम है तो व्यवसायिक भत्ता उस अनुपात में उपलब्धि में जोड़ा जावेगा। जैसे यदि व्यवसायिक भत्ता 2000/- प्र.म. 90 माह लिया है तो पेंशन हेत उपलब्धि में वेतन में 2000  90 = रु. 1500/- जोडे जावेंगे यह संशोधन 10.3.97 से प्रभावशील हुआ।

[टिप्पणी 1.- यदि कोई शासकीय सेवक अपनी सेवानिवृत्ति अथवा मृत्यु के तत्काल पूर्व सेवा के दौरान अवकाश पर कर्त्तव्य से अनुपस्थित रहा है जिसके लिए अवकाश वेतन देय है अथवा निलंबित होने से बिना सेवा राजसात हुए बहाल किया गया है, तो परिलब्धियां, जो वह आहरित करता यदि वह कर्त्तव्य से, अनुपस्थित अथवा निलंबित नहीं होता, इस नियम के प्रयोजनार्थ परिलब्धियां होंगी।

टिप्पणी 2.- यदि कोई शासकीय सेवक, अपनी सेवानिवृत्ति अथवा मृत्यु के तत्काल पूर्व, सेवा के दौरान, असाधारण अवकाश पर कर्त्तव्य से अनुपस्थित रहा है, अथवा निलम्बित रहा है, जिसकी समयावधि सेवा के समान संगणित नहीं की जाती है, उपलब्धियां, जो उसने ऐसे अवकाश पर जाने के तत्काल पूर्व अथवा निलम्बन के पूर्व आहरित की थी- इस नियम के प्रयोजनार्थ उपलब्धियां होगी।

टिप्पणी 3.- यदि कोई शासकीय सेवक अपनी सेवा निवृत्ति अथवा मृत्यु के तत्काल पूर्व, अर्जित अवकाश पर था तथा वेतन वृद्धि जिसे रोका नहीं गया था, अर्जित की है, ऐसी वेतन वृद्धि यद्यपि वास्तविक रूप से आहरित नहीं की गई है, उसके उपलब्धियों का हिस्सा होगा; बशर्ते कि 120 दिनों से अनधिक अर्जित अवकाश के दौरान अथवा जहां ऐसा अवकाश 120 दिनों से अधिक का था प्रथम 120 दिन के अर्जित अवकाश के दौरान वेतन वृद्धि अर्जित कर ली गई हो।]  [टिप्पणी 1, 2 एवं 3 वित्त विभाग अधिसूचना क्रमांक बी, 25/10/95/PWC/IV, दिनांक 29-7-96 द्वारा वर्तमान टिप्पणियों 1, 2 एवं 3 के स्थान पर स्थापित तथा यह संशोधन दिनांक 1-4-81 से लागू।]

टिप्पणी 4.- बाह्य सेवा में रहते हुए शासकीय सेवक द्वारा आहरित वेतन, उपलब्धियों के रूप में नहीं माना जाएगा परन्तु यदि वह बाह्य सेवा में नहीं गया होता तो शासन के अधीन उसके द्वारा जो वेतन आहरित किया जाता, केवल वहीं उपलब्धियों के रूप में माना जाएगा।

टिप्पणी 5.- यदि पेंशनर शासकीय सेवा में पुनर्नियुक्त किया जाता है और उसने नियम 17 के उपनियम (1) के खण्ड (ए) अथवा 'नियम 18 के उपनियम (1) के खण्ड (ए) के निबन्धनों के अनुसार अपनी पूर्व सेवा की पेंशन को कायम रखने का चयन किया है तो और पुनः नियुक्ति पर उसका वेतन उस धन राशि तक कम किया है जो उसकी पेंशन से अधिक नहीं है, तो पेंशन. का वह भाग जिसके द्वारा उसके वेतन को कम किया गया है, उपलब्धियों के रूप में माना जाएगा।

[टिप्पणी 6.- शासन के किसी विभाग का स्वायत्त निकाय के रूप में सम्परिवर्तित होने के फलस्वरूप यदि किसी शासकीय कर्मचारी को उस निकाय में स्थानान्तरित किया जाता है और इस प्रकार स्थानान्तरित शासकीय कर्मचारी यदि शासन के नियमों के अधीन निवृत्ति लाभों को प्रतिधारित रखने के लिये विकल्प देता है तो उस स्वायत्त निकाय के अन्तर्गत प्राप्त उपलब्धियाँ, इस नियम के उद्देश्यों के लिये उपलब्धियों के रूप में माना जाएंगी।] [टिप्पणी 6 वित्त विभाग अधिसूचना क्र. एफ. बी. 6/1/77 नि-2/चार, दिनांक 25-11-77 द्वारा स्थापित ।]

[टिप्पणी 7.- ऐसे शासकीय सेवक के मामले में, जिसका वेतन प्रोफार्मा पदोन्नति के कारण या न्यायिक निर्णय या अन्य किसी कारण से, काल्पनिक रूप से नियत किया गया है तो इस प्रकार नियत किया गया वेतन उसकी उपलब्धियों के रूप में मानी जाएगा।] [टिप्पणी 7 वित्त विभाग अधिसूचना क्र. जी. 25/10/95/PWC/IV, दिनांक 4-4-96 द्वारा स्थापित तथा दिनांक 1 जून 1976 से लागू।]

 

राज्य वेतन आयोग की अनुशंसा के आधार पर शासकीय अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों को निजी प्रेक्टिस भत्ता (NPA) पुनरीक्षित दर से स्वीकृत करने बावत् -

संदर्भ- सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश क्रमांक 242/328/1/वेआप्र/97 दिनांक 10.3.97, आदेश क्रमांक एफ 4-1/1/वेआप्र/97 दिनांक 4.10.97 तथा आदेश क्रमांक 25/971/1/वेआप्र/98, दिनांक 11/13 जनवरी 1999.

राज्य शासन के द्वारा चिकित्सकों की निजी प्रेक्टिस पर प्रतिबन्ध के संबंध में समय-समय पर आदेश जारी कर अव्यवसायिक भत्ता स्वीकृत किया गया है।

2. राज्य वेतन आयोग की अनुशंसा के अनुक्रम में वर्तमान में जिन चिकित्सकों को अव्यवसायिक भत्ते का भुगतान किया जा रहा है, को यह भत्ता मूल वेतन के 25% की दर से दिया जायेगा। यहाँ मूल वेतन से आशय निर्धारित वेतन बैण्ड में वेतन तथा ग्रेड वेतन के योग से है।

3. लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग के चिकित्सकों तथा चिकित्सा महाविद्यालय में कार्यरत चिकित्सकों को निजी प्रेक्टिस की छूट जिन शर्तों के अधीन दी गई है, उसका पालन सुनिश्चित किया जायेगा तथा संबंधित विभागों द्वारा समय-समय पर इसकी मॉनिटरिंग भी की जावेगी।

4. अव्यावसायिक भत्ते की पात्रता के सम्बन्ध में पूर्व में जारी शर्ते यथावत रहेंगी तथा इस भत्ते की गणना का लाभ पूर्व शर्तों के तहत, महंगाई भत्ते, गृह भाड़ा भत्ते तथा सेवानिवृत्ति लाभों की गणना में भी लिया जायेगा। औसत उपलब्धियों की गणना हेतु राज्य शासन के अन्तर्गत मध्यप्रदेश सिविल सेवा पेंशन नियम, 1976 के नियम 30(4) में अव्यवसायिक भत्ते के संबंध में जो व्यवस्था है, वह यथावत लागू रहेगी।

यह आदेश दिनांक 1.11.2011 से प्रभावशील होगा।

[म.प्र. शासन वि.वि. एफ. 11-12/2010/नियम/चार दिनांक 9 नवम्बर 2012]

प्रदेश के चिकित्सा शिक्षकों को केन्द्र के समान वेतन एवं अन्य सुविधायें देने बाबत .प्र. मेडिकल शिक्षण संघ की मांग -

मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षकों को निजी प्रेक्टिस पर प्रतिबंध लगाने के फलस्वरूप चिकित्सा महाविद्यालयों में कार्यरत चिकित्सकीय शिक्षकों को केन्द्र के समान वेतन तथा मंहगाई भत्ते पर 25 प्रतिशत अव्यवसायिक भत्ता स्वीकृत किया गया है।

2. राज्य शासन इस विभाग के समसंख्यक आदेश दिनांक 2-9-98 में एतद्द्वारा आंशिक संशोधन करते हए चिकित्सीय शिक्षकों को अव्यवसायिक भत्ता, उनकी सेवा निवृत्ति तथा अन्य सेवा लाभों के लिए 'वेतन' के रूप में मान्य करने की स्वीकृति प्रदान करता है।

4. यह आदेश दिनांक 1-8-98 से प्रभावशील होगा।

[म.प्र. शासन, चिकित्सा शिक्षा विभाग क्र. एफ. 1-25-98/55/चि.शि. दिनांक 5-7-99]

पेंशन की गणना के लिए, विशेष वेतन को परिलब्धियों का भाग मानने के संबंध में - 

वित्त विभाग की अधिसूचना क्र. बी.- 25/10/95/पी. डब्ल्यू.सी./चार, दिनांक 6-11-95 द्वारा मध्यप्रदेश सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1976, के नियम 30 के संबंध में जारी किये गये स्पष्टीकरण में मध्यप्रदेश वेतन पुनरीक्षण नियम,1990, यू.जी.सी. वेतनमान अथवा आल इंडिया काउंसिल ऑफ एज्यूकेशन अथवा आल इंडिया सर्विस स्केल में वेतन आहरण करने वाले शासकीय कर्मचारियों के लिए पदोन्नति के फलस्वरूप उच्चतर वेतनमान के एवज में दिये जा रहे विशेष वेतन को परिलब्धियों का भाग मानने का उल्लेख नहीं है।

2. उपरोक्त के विषय में राज्य शासन द्वारा पूर्ण विचारोपरांत निर्णय लिया गया है कि मध्यप्रदेश पुनरीक्षित वेतनमान, यू.जी.सी. वेतनमान अथवा आल इंडिया काउंसिल ऑफ एज्युकेशन अथवा ऑल इंडिया सिर्विस स्केल में वेतन आहरण करने वाले शासकीय कर्मचारियों के लिए पदोन्नति के फलस्वरूप उच्चतर वेतनमान के एवज में दिये जा रहे विशेष वेतन को पेंशन परिलब्धियों का भाग माना जावेगा।

3. मध्यप्रदेश सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1976 के नियम 30 में संशोधन पृथक से जारी किया जावेगा।

4. यह आदेश दिनांक 1-1-86 से प्रभावशील होगा।

[वि.वि.क्र.डी. 138/200/99/पें.क्र.प्र./चार, दिनांक 17-3-99]