Updated: Feb, 18 2021

Rule 35 of M.P.Civil Services (Pension) Rules, 1976

नियम 35. अशक्त पेंशन (Invalid Pension) - (1) यदि कोई शासकीय सेवक शारीरिक अथवा मानसिक दुर्बलता, जो स्थायी रूप से उसे सेवा के लिये अशक्त बनाती है, के कारण सेवा से निवृत्त होता है, तो अशक्त पेंशन (Invalid Pensions) स्वीकृत की जा सकती है।

(2) अशक्त पेंशन के लिए आवेदन करने वाले शासकीय सेवक को अशक्तता का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना होगा। इसके लिये निम्नलिखित चिकित्सा प्राधिकारी सक्षम होंगे-

(ए) राजपत्रित शासकीय सेवक के प्रकरण में - चिकित्सा मंडल ।

(बी) अन्य प्रकरणों में सिविल सर्जन अथवा डिस्ट्रिक्ट मेडिकल आफीसर अथवा उसके समतुल्य जी हैसियत का चिकित्सा अधिकारी।

टिप्पणी 1. - सेवा के अयोग्य, बाबत चिकित्सा प्रमाण-पत्र तब तक स्वीकृत नहीं किया जाना चाहिए जब तक आवेदनकर्ता द्वारा यह लिखित में व्यक्त नहीं किया जाता है कि चिकित्सा प्राधिकारी के समक्ष उपस्थित होने के आवेदन के इरादे की जानकारी उसके कार्यालय अथवा विभाग प्रमुख को है। जहाँ आवेदक सेवारत है। वहाँ के कार्यालय अथवा विभाग प्रमुख द्वारा चिकित्सा प्राधिकारी को शासकीय अभिलेखों से प्रकट होने वाली, आवेदक की आयु का विवरण भी दिया जायेगा यदि आवेदक की सेवा पुस्तिका रखी गई है तो उसमें अभिलिखित आयु की जानकारी भेजी जावेगी।

टिप्पणी 2. - जब कभी किसी महिला उम्मीदवार का परीक्षण किया जाना हो तो मेडिकल बोर्ड में सदस्य के रूप में एक महिला डॉक्टर को सम्मिलित किया जावेगा।

टिप्पणी 3.- उपनियम (2) में वर्णित चिकित्सा प्राधिकारी द्वारा स्वीकृत किये गये चिकित्सा प्रमाण-पत्र का प्ररूप फार्म 22 के अनुरूप होगा।

टिप्पणी 4.- उपनियम (2) में वर्णित चिकित्सा प्राधिकारी ने जहाँ शासकीय सेवक को, जैसा कि वह कार्य करता था, उसकी अपेक्षा कम श्रमसाध्य स्वरूप के कार्य के लिये, आगामी सेवा करने के योग्य घोषित किया है तो उसे निचले पद पर नियुक्त किया जायेगा, बशर्ते कि वह इस प्रकार नियुक्त कर दिये जाने का इच्छुक हो, और यदि उसे निचले पद पर नियुक्त करने के लिये उपयुक्त पद उपलब्ध न हो तो उसे अशक्त पेंशन के लिये मान्य किया जायेगा।

टिप्पणी 5.- (अ) यदि असमर्थता का सीधा सम्बन्ध शासकीय सेवक की अनियमित अथवा असंयमित आदतों के कारण से है, तो पेंशन स्वीकृतकर्ता प्राधिकारी के आदेशों के अधीन कोई अशक्त पेंशन स्वीकृत नहीं की जायेगी।

(बी) यदि असमर्थता का सीधा सम्बन्ध शासकीय सेवक की उन आदतों से नहीं है परन्तु उसके द्वारा उसमें त्वरित वृद्धि हुई है, अथवा गुरूतर कर दी गई है तो इस कारण कितनी कमी की जावे, यह पेंशन स्वीकृतकर्ता प्राधिकारी को विनिश्चय करना होगा।

राज्य शासन अनुदेश

विषयः- किसी मानसिक अथवा शारीरिक निःशक्तता के कारण सरकारी सेवा में स्थायी रूप से अक्षम हो जाने वाले सरकारी कर्मचारियों को असमर्थ घोषित किये जाने बाबत।

भारत सरकार, सामाजिक न्याय तथा अधिकारिता मंत्रालय द्वारा निःशक्त व्यक्ति अधिनियम, 1995 की धारा 47 को संशोधित किया गया है। संशोधित प्रावधान इस प्रकार है-

(1) कोई भी कार्यालय किसी ऐसे कर्मचारी की सेवाएँ समाप्त नहीं करेगा या उसके रैंक को कम नहीं करेगा जो सेवा के दौरान निःशक्त हो जाता है, और इस प्रकार निःशक्त हो जाने वाला कर्मचारी यदि अपने धारित पद के लिए उपयुक्त नहीं है तो उसे समान वेतनमान और सेवा प्रसुविधाओं वाले किसी अन्य पद पर स्थानान्तरित किया जा सकता है। यदि ऐसे कर्मचारी को किसी भी पद पर समायोजित किया जाना सम्भव नहीं है तो उसे उपयुक्त पद उपलब्ध होने तक अथवा अधिवार्षिकी आयु पूर्ण होने तक, इसमें से जो भी पहले हो, अधिसंख्य (सुपरन्यूमेरी) पद पर रखा जाए।

(2) किसी भी शासकीय सेवक को सेवा के दौरान निःशक्तता के आधार पर पदोन्नति से वंचित नहीं किया जाएगा। परन्तु किसी स्थापना में किए जा रहे कार्य के स्वरूप को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त समुचित अनुवर्ती अधिसूचना द्वारा यथा निर्दिष्ट ऐसी शर्त यदि कोई है, के अध्यधीन किसी कार्यालय को इस धारा के प्रावधानों से छूट प्रदान की जा सकती है।

2. कृपया भारत सरकार, सामाजिक न्याय तथा अधिकारिता मंत्रालय द्वारा निःशक्त व्यक्ति अधिनियम, 1995 की धारा 47 में किए गए उपरोक्त संशोधन का समुचित ध्यान रखते हुए उनका पालन सुनिश्चित किया जावे।

3. कृपया इन निर्देशों से आपके विभाग के अधीनस्थ निगम/मण्डल/आयोग/विश्वविद्यालय/सार्वजनिक संस्थाओं आदि को भी अवगत करायें।

[म.प्र. शासन, सामान्य प्रशासन विभाग क्र. एफ. 8-2/2004/आ.प्र./एक, दिनांक 14.7.2004]