Updated: Mar, 04 2021

Rule 47 of M.P.Civil Services (Pension) Rules, 1976

परिवार पेंशन
 
नियम 47. अंशदायी परिवार पेंशन (Contributory Family Pension) - (1) इस नियम के प्रावधान निम्न पर लागू होंगे-
(ए) पेंशन योग्य स्थापना में पहली अप्रैल, 1966 को अथवा उसके पश्चात् प्रविष्टि होने वाले शासकीय सेवक को, तथा
(बी) उन शासकीय सेवकों को जो 31 मार्च, 1966 को सेवा में था तथा मध्यप्रदेश शासन, वित्त विभाग के ज्ञाप क्र. 1963/CR. 903/IV/R-II, दि. 17 अगस्त, 1966 में सन्निहित राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए लाग, परिवार पेंशन योजना जैसा कि इन नियमों के प्रभाव में आने के तत्काल पूर्व लागू थी, के उपबंधों द्वारा शासित हुए हैं।
(2) उपनियम (3) में अन्तर्निहित उपबंधों पर [प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना] जहां कोई शासकीय सेवक-
[वित्त विभाग अधिसूचना क्र. बी- 25/9/96/PWC/IV, दिनांक 28-9-96 द्वारा संशोधित तथा दि. 31-3-79 से लागू।]
[(ए) सेवा के दौरान मृत हो जाता है बशर्ते कि उसका चिकित्सकीय परीक्षण हुआ था तथा शासकीय नियोजन के लिए उपयुक्त पाया गया था।] [वित्त विभाग क्र. एफ. बी. 6/1/79/(2)/नि-2/चार, दिनांक 2-8-79 द्वारा संशोधित इसके पूर्व निरंतर एक वर्ष की सेवा होने का बंधन था।]
(बी) सेवा से निवृत्ति के पश्चात् तथा मृत्यु की तिथि को अध्यायपांच में संदर्भित पेंशन अथवा क्षतिपूर्ति भत्ता प्राप्त कर रहा था तो [........] मृतक का परिवार अंशदायी परिवार पेंशन (इस नियम में इसके पश्चात् परिवार पेंशन कहा गया है) का पात्र होगा जिसकी राशि निम्नानुसार विनिश्चित की जाएगी- [परन्तु नियम 34 में वर्णित मृत्यु की तिथि पर प्राप्त पेंशन को छोड़कर शब्द विलोपित किये गये। वित्त विभाग अधिसूचना क्रमांक B-25-18-97/PWC/वार, दिनांक 28-11-1997 यह संशोधन दिनांक 205-97 से लागू किया गया।]
 
(1)
(2)
(i) रु. 400 से कम
वेतन का 30 प्रतिशत न्यूनतम रु. 60 अधिकतम रु. 100 के अध्यधीन
(ii) रु. 400 से अधिक किन्तु रु. 1200 से अधिक नहीं
वेतन का 15% प्रतिशत न्यूनतम रु. 100 अधिकतम रु. 160 के अध्यधीन
(iii) रु. 1200 से अधिक
वेतन का 12 प्रतिशत न्यूनतम रु. 160 अधिकतम रु. 250 के अध्यधीन।
 
विषय : मध्यप्रदेश राज्य के सेवारत परिवार पेंशनरों को पेंशन पर राहत की पात्रता के संबंध में
वित्त विभाग के परिपत्र क्रमांक एफ बी-6/43/76/नि-2/चार, दिनांक 5.10.76 के प्रतिबंधों के अधीन परिवार पेंशन एवं असाधारण पेंशन प्राप्त करने वाले सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी महँगाई राहत देय है। वित विभाग के. क्रमांक एफ बी-6/17/76/नि-2/चार, दिनांक 27.7.76 सहपठित परिपत्र क्रमांक एफ बी6/10/77/नि-2/चार, दिनांक 2.5.77 के प्रावधानों के अंतर्गत, ऐसे मामलों में जहाँ पेंशन/परिवार पेंशन भोगी राज्य शासन या किसी स्वशासी संस्था में नियुक्त/पुर्ननियुक्त है वहाँ पेंशन पर महँगाई राहत की पात्रता नहीं है।
2. माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ इन्दौर द्वारा याचिका क्रमांक WP(s) 803/05 में पारित किए गए निर्णय के परिप्रेक्ष्य में राज्य शासन द्वारा पूर्ण विचारोपरान्त निर्णय लिया गया है कि कोई व्यक्ति यदि उसके पति/पत्नि की मृत्यु के समय सेवा में है और उसे अनुकम्पा के आधार पर सेवा में नहीं रखा गया है तो पति/ पत्नि की मृत्यु के कारण देय परिवार पेंशन पर उसे महँगाई राहत की पात्रता होगी। यदि किसी व्यक्ति को उसके पति/पत्नि की मृत्यु के कारण अनुकम्पा के आधार पर सेवा में रखा गया है तो ऐसे मामलों में परिवार पेंशन पर महँगाई राहत की पात्रता नहीं होगी।
3. वित्त विभाग के परिपत्र क्रमांक एफ-बी-6/17/76/नि-2/चार दिनांक 27.7.1976 एवं परिपत्र क्रमांक एफ-बी-6/10/77/नि-2/चार दिनांक 2.5.1977 की अन्य शर्ते यथावत रहेंगी।
 
दिनांक 1 जनवरी, 1996 से लागू किये नये वेतनमान में वेतन प्राप्त करने वालों को परिवार पेंशन की पात्रता राज्य शासन अनुदेश
(1)
पैरा 4. म.प्र. शासन वित्त विभाग क्रमांक बी-25/7/98/PWC/चार/(भाग 1), दिनांक 14 जुलाई, 1998 का उद्धरण-
परिवार पेंशन की संगणना-
4.1 दिनांक 1-1-96 से पुनरीक्षित वेतनमान में परिवार पेंशन की संगणना वर्तमान दरों के स्थान पर वेतन के 30 प्रतिशत की दर से परिवार पेंशन की राशि न्यूनतम रु. 1275/- प्रतिमाह तथा उच्चतम वेतन के 30 प्रतिशत के अधीन की जावेगी।.
(2-ए) परिवार पेंशन की धनराशि मासिक दर से पूर्ण रुपये में अभिनिर्धारित की जाएगी जहां परिवार पेंशन की धनराशि रुपये के भाग (Fraction of a Rupee) में है तो उसे अगले रुपये में पूर्णांकित किया जाएगा। परन्तु यह कि किसी भी प्रकरण में परिवार पेंशन, इस नियम के अन्तर्गत विहित] अधिकतम से अधिक मंजूर नहीं की जाएगी। [शब्द "Determined" के बजाए शब्द "Prescribed" .प्र. शासन, वित्त विभाग, संशोधन ज्ञापन क्र. एफ. बी. 6/1/77/आर-2/चार, दिनांक 2-5-1977, मध्यप्रदेश राजपत्र दिनांक 78-7-1977 द्वारा बदला गया।]
(3) (ए) [........] जहाँ कोई शासकीय सेवक श्रमजीवी क्षतिपूरक अधिनियम, 1923 (1923 का 8) से शासित नहीं है, सात वर्ष से कम की नहीं लगातार सेवा के पश्चात् सेवा में रहते हुए दिवंगत हो जाए तो कुटुम्ब को देय परिवार पेंशन उसके द्वारा प्राप्त वेतन के 50 प्रतिशत की दर के बराबर अथवा उपनियम (2) के अधीन स्वीकार्य परिवार पेंशन की दुगुनी राशि, इन दोनों में से जो भी कम हो, स्वीकार्य होगी और इस प्रकार स्वीकार्य धनराशि शासकीय सेवक की मृत्यु की तिथि से पश्चात् आने वाली तिथि से- [वित्त विभाग अधिसूचना क्र. बी.- 25/9/96/PWC/IV, दिनांक 28-9-96 द्वारा संशोधित ता दि. 31-3-79 से लागू।]
(i) सात वर्षों की समयावधि तक, अथवा
(ii) उस तिथि तक जब मृत शासकीय सेवक यदि जीवित रहता हो [67] वर्ष की आयु पूर्ण करता; इनमें से जो भी अवधि कम हो, तक देय होगी। [अंक 65 के स्थान पर 67 वर्ष किया गया । वित्त विभाग क्र. 25/71/99/PWC/चार, दि. 30-5-2000]
3.(बी) [.........] जहां कोई शासकीय सेवक श्रमजीवी क्षतिपूरक अधिनियम, 1923 (1923 का 8) से शासित नहीं है, सात वर्ष से कम की नहीं लगातार सेवा करने के पश्चात् सेवानिवृत्ति होने  के पश्चात् दविंगत हो जाए तो कुटुम्ब को देय परिवार पेंशन उसके द्वारा प्राप्त अन्तिम वेतन के 50 प्रतिशत की दर से बराबर अथवा उपनियम (2) के अधीन स्वीकार्य परिवार पेंशन की दुगुनी राशि, इनमें से जो भी कम हो, स्वीकार्य होगी और इस प्रकार स्वीकार्य राशि शासकीय सेवक की मृत्यु की तिथि के पश्चात् आने वाली तिथि से- [वित्त विभाग अधिसूचना क्र. बी. -25-9-96/PWC/IV, दि. 28-9-96 द्वारा शब्द विलोपित तथा दिनांक 31-3-79 से लागू।]
(i) सात वर्षों की समयावधि तक, अथवा
(ii) उस तिथि तक जब मृत शासकीय सेवक यदि जीवित रहता हो [67] वर्ष की आयु पूर्ण करता; इनमें से जो भी अवधि कम हो, तक देय होगी। [अंक 65 के स्थान पर 67 वर्ष किया गया। वित्त विभाग क्र. 25/71/PWC/IV, चार दिनांक 30-5-2000]
परन्तु यह कि परिवार पेंशन की राशि शासकीय सेवक को सेवानिवृत्ति के समय स्वीकार्य पेंशन से अधिक नहीं होगी। इन प्रकरणों में जहां नियम 47 के उपयिनम (2) के खण्ड (बी) के अधीन स्वीकार की जाने वाली परिवार पेंशन की राशि सेवानिवृत्ति के समय स्वीकृत पेंशन से अधिक होती है तो इस नियम के अधीन स्वीकृत परिवार पेंशन की राशि उस राशि से कम नहीं होगी। "सेवानिवृत्ति के समय स्वीकृत पेंशन" से अभिप्रेत है “पेंशन के भाग को सम्मिलित करते हुए पेंशन जिसे सेवानिवृत्त शासकीय सेवक ने मृत्यु-पूर्व लघुकृत कराया है।"
3.(सी)(i)जहाँ शासकीय सेवक श्रमजीवी क्षतिपूरक अधिनियम, 1923 (1923 का 8) द्वारा शासित है, सात वर्ष से कम नहीं होने वाली लगातार सेवा करने के पश्चात् सेवा में रहते हुए, दिवंगत हो जाए तो कुटुम्ब को देय परिवार पेंशन की दर, अन्तिम आहरित वेतन के 50 प्रतिशत के बराबर अथवा उपनियम (2) के अधीन स्वीकार्य परिवार पेंशन का डेढ़ गुना, जो भी कम हो, होगी।
(ii) जहां शासकीय सेवक श्रमजीवी क्षतिपूरक अधिनियम, 1923 (1923 का 8) द्वारा शासित है, सात वर्ष से कम नहीं होने वाली लगातार सेवा करने के पश्चात् सेवानिवृत्ति के पश्चात्, दिवंगत हो जाए तो कुटुम्ब को देय परिवार पेंशन के बराबर अथवा उपनियम (2) के अधीन स्वीकार्य परिवार पेंशन का दो गुना राशि, जो भी कम हो, होगी।
(iii) उप खण्ड (i) अथवा (ii) के अधीन, इस प्रकार अवधारित परिवार पेंशन खण्ड (ए) अथवा खण्ड (बी) जैसा भी प्रकरण हो, में उल्लिखित अवधि के लिये भुगतान योग्य होगी :
और ऐसी पेंशन शासकीय सेवक की मृत्यु की तिथि के पश्चात आने वाली तिथि से :-
(i) सात वर्षों की अवधि तक अथवा
(ii) उस तिथि तक जब मृत शासकीय सेवक 67 वर्ष की आयु पूर्ण करता इनमें से जो अवधि कम हो, देय होगी।
परन्तु यह कि जहां उपर्युक्त अधिनियम के अधीन क्षतिपूरक भुगतान देय योग्य नहीं हो तो कार्यालय प्रमुख आडिट आफिसर को इस आशय का एक प्रमाण-पत्र प्रेषित करेगा कि मृत शासकीय सेवक का परिवार उपर्युक्त अधिनियम के अधीन कोई क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का पात्र नहीं है और परिवार को उल्लेखित पैमाने से, और अवधि के लिये देय परिवार पेंशन का भुगतान किया जाएगा।
3.(डी) खण्ड (ए) अथवा (बी) में उल्लिखित अवधि व्यतीत हो जाने के पश्चात् उन खण्डों अथवा खण्ड (सी) के अधीन परिवार पेंशन प्राप्त करने वाला कुटुम्ब, उपनियम (2) के अधीन स्वीकार्य दर से परिवार पेंशन प्राप्त करने का पात्र होगा।
3.(4) उस शासकीय सेवक का परिवार जिसकी मृत्यु "कार्यालय की जोखिम" अथवा "कार्यालय की विशेष जोखिम' के परिणामस्वरूप हुई है जैसा कि म.प्र. सिविल सेवा (असाधारण पेंशन) नियम, 1963 में परिभाषित है, इस नियम के अधीन परिवार पेंशन लाभों का पात्र नहीं होगा। इसी प्रकार शासकीय सेवक, जो म.प्र. पुलिस कर्मचारी वर्ग (असाधारण परिवार पेंशन) नियम, 1965 के अधीन असाधारण पेंशन लाभों के पात्र है, इस नियम के अधीन परिवार पेंशन लाभों के पात्र नहीं होंगे।
3.(5) विलोपित। [वित्त विभाग अधिसूचना क्रमांक बी-25-9/96/PWC/IV, दिनांक 28-9-96 तथा दिनांक 31-3-79 से लागू।]
3.(6) अवधि जब तक परिवार पेंशन देय होगी-
(i) विधजा अथवा विधुर के प्रकरण में, मृत्यु अथवा पुनर्विवाह की तिथि तक, इनमें से जो भी पहले हो
परन्तु यदि किसी शासकीय सेवक का पुत्र अथवा अविवाहित पुत्री किसी प्रकार के मानसिक विकार से पीड़ित है अथवा शरीर से पंगु अथवा अशक्त है जिससे कि वह पुत्र के प्रकरण में [25] वर्ष की आयु पूर्ण कर लेने पर भी जीविकोपार्जन करने के अयोग्य है तो ऐसे पुत्र अथवा अविवाहित पुत्री की जीवनपर्यन्त (for life) परिवार पेंशन निम्नलिखित शर्तों के अध्यधीन देय होगी, अर्थात्-  [वित्त विभाग ज्ञापन क्र. एफ. बी. 6/1/94/नि-2/चार, दिनांक 29-11-94 द्वारा पुत्र की प्रकरण में आयु 18 के स्थान पर 25 और अविवाहित पुत्री के प्रकरण में आयु 24 के स्थान पर 25 की गई। दिनांक 29-11-94 में प्रभावशील।]
(ए) यदि ऐसा पुत्र अथवा अविवाहित पुत्री शासकीय सेवक के दो या अधिक बच्चों में से एक है तो प्रारंभ में परिवार पेंशन अवयस्क बच्चों को इस नियम के उपनियम (6) में स्थापित क्रम में, जब तक कि अन्तिम अवयस्क बच्चा [25] वर्ष की आयु का नहीं हो जाता है, देय होगी और उसके पश्चात् मानसिक विकार अथवा अशक्तता से ग्रस्त अथवा जो शरीर से पंगु अथवा अशक्त है उस पुत्र अथवा अविवाहित पुत्री के पक्ष में परिवार पेंशन फिर से लागू हो जाएगी और उन्हें जीवनपर्यन्त (for life) देय होगी। [वित्त विभाग ज्ञापन क्र. एफ. बी. 6/1/94/नि-2/चार, दिनांक 29-11-94 द्वारा पुत्र की प्रकरण में आयु 18 के स्थान पर 25 और अविवाहित पुत्री के प्रकरण में आयु 24 के स्थान पर 25 की गई। दिनांक 29-11-94 में प्रभावशील।]
(बी) यदि एक से अधिक पुत्र अथवा अविवाहित पुत्रियां मानसिक विकार अथवा अशक्तता से ग्रस्त अथवा शारीरिक रूप से पंगु अथवा अशक्त हैं तो परिवार पेंशन निम्नलिखित क्रम में देय होगी, अर्थात् -
(i) प्रथमतः पुत्र को, और यदि एक से अधिक पुत्र हैं तो उनमें से केवल ज्येष्ठ को, ज्येष्ठ के जीवन काल के पश्चात् ही कनिष्ठ पुत्र परिवार पेंशन प्राप्त करेगा, कि
(ii) द्वितीय (क्रम), अविवाहित पुत्री को और यदि एक से अधिक अविवाहित पुत्रियां हैं तो उनमें से केवल ज्येष्ठ को, ज्येष्ठ के जीवनकाल के पश्चात् ही कनिष्ठ पुत्री परिवार पेंशन प्राप्त करेगी;
(iii) परिवार पेंशन, ऐसे पुत्र अथवा अविवाहित पुत्री को यदि अवयस्क हों तो संरक्षक के माध्यम से दी जाएगी;
(iv) किसी ऐसे पुत्र अथवा अविवाहित पुत्री को जीवनपर्यन्त परिवार पेंशन स्वीकार करने के पूर्व स्वीकृतकर्ता प्राधिकारी को संतुष्ट होना होगा कि विकलांगता ऐसी प्रकृति की है जो उसके जीवकोपार्जन से उसे रोकती है तथा उसके सबूत में सिविल सर्जन के समकक्ष अथवा उच्च चिकित्सा पदाधिकारी का प्रमाण-पत्र लेना चाहिये। और वह जहां तक सम्भव हो, बच्चे की यथास्थिति मानसिक अथवा शारीरिक दशा की घोषणा भी करेगा;
(v) ऐसे पुत्र अथवा अविवाहित पुत्री के संरक्षक के रूप में परिवार पेंशन प्राप्त करने वाला व्यक्ति; सिविल सर्जन के समकक्ष अथवा उच्च चिकित्सा पदाधिकारी से प्रत्येक [पांच वर्ष] में, इस आशय का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करेगा कि वह (पुत्र अथवा अविवाहित पुत्री) मानसिक विकार अथवा अशक्तता से निरंतर ग्रस्त है अथवा निरंतर शारीरिक पंगु अथवा अशक्त है। [शब्द "तीन वर्ष" के स्थान पर "पांच वर्ष" वित्त विभाग क्र. एफ. बी. 6/3/78/नि-2/चार, दिनांक 11-9-78 द्वारा किया गया।]
स्पष्टीकरण-
[(अ) विलोपित] [अधि. क्र. एफ. बी. 25/18/95/PWC/चार/दि. 22.6.96 से संशोधित 29.11.94 से प्रभावशील ।]
(ब) जिस दिनांक को पुत्री का विवाह हो जाता है उसी दिन से वह इस उप नियम के अधीन परिवार पेंशन के लिए अपात्र हो जाएगी।
(स) ऐसे पुत्र अथवा पुत्री की परिवार पेंशन, जो स्वयं आजीविका अर्जित करना प्रारंभ कर दे तो उसकी पेंशन बद कर दी जाएगी।
(द) ऐसे प्रकरणों में सरक्षक का कर्त्तव्य होगा कि वह कोषालय अथवा बैंक जैसा भी प्रकरण हो, को प्रत्येक माह ऐसा प्रमाण-पत्र देगा कि-
(i) पुत्र अथवा पुत्री ने उनकी आजीविका अर्जित करना प्रारंभ नहीं किया है
(ii) पुत्री के प्रकरण में पुत्री अभी तक विवाहित नहीं हुई है।
 
विषयः- शारीरिक/मानसिक रूप से अक्षम पुत्र/पुत्री को परिवार पेंशन देने बाबत्।
संदर्भ:- वित्त विभाग का ज्ञापन क्रमांक एफ बी-6/2/92/नियम/चार, दिनांक 8-4-93 एवं आर.बी. 25/ लिए 11/97/पी.डब्ल्यू .सी./चार, दिनांक 27-2-1997 ।
म.प्र. सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1976 के नियम 47 (6) के अनुसार सेवानिवृत्ति/मृत शासकीय सेवकों के विकलांग पुत्र/पुत्री को परिवार पेंशन देय होने का प्रावधान है परन्तु यह किस प्रकार की विकलांगता एवं किस उम्र में विकलांगता होने पर देय होगी के संबंध में स्पष्टता नहीं है।
2. अतः शासन द्वारा निर्णय लिया गया है कि सेवानिवृत्त/मृत शासकीय कर्मचारियों के पुत्र/पुत्री के 25 वर्ष की आयु पूर्ण करने तक होने वाली विकलांगता पर परिवार पेंशन की पात्रता होगी।
3. शेष शर्ते यथावत रहेंगी।
 
(7)(क) (i) जहाँ एक से अधिक विधवाओं को परिवार पेंशन भुगतान योग्य है तो विधवाओं को बराबर-बराबर हिस्से में परिवार पेंशन का भुगतान किया जावेगा।
"(ii) किसी विधवा की मृत्यु पर उसके परिवार पेंशन का हिस्सा उसके पात्र बच्चे को देय होगाः
परन्तु यदि विधवा का कोई जीवित पात्र बच्चा नहीं है, तो उसकी परिवार पेंशन का उक्त हिस्सा व्यपगत नही होगा, अपितु द्वितीय पात्र विधवा को देय होगा"
(ख) जहाँ मृत शासकीय सेवक अथवा पेंशनर की दूसरी पत्नी थी जो अब जीवित नहीं है तो उसका पात्र बच्चा अथवा बच्चे उसकी परिवार पेंशन के हिस्से के हकदार होंगे, जिस प्रकार उनकी माँ शासकीय सेवक अथवा पेन्शनर की मृत्यु के समय यदि वह जीवित होती तो प्राप्त करती;
"परन्तु किसी विधवा या विधवाओं के ऐसे बच्चे या बच्चों को देय परिवार पेंशन का हिस्सा किसी कारण से रोक दिया गया है, तब पेंशन का ऐसा हिस्सा व्यपगत नहीं किया जाएगा, परन्तु अन्य पात्र विधवा या विधवाओं और/या अन्य बच्चे या बच्चों को जो कि पात्र है बराबर-बराबर हिस्सा देय होगा। यदि केवल एक विधवा या बच्चा पात्र है तब, ऐसे रकम उसे/उसको संदाय की जायेगी।"
(ग) जहां किसी महिला शासकीय सेवक का उत्तरजीवित पति था तथा प्रथम पति से पात्र कोई अवयस्क बच्चा है तो परिवार पेंशन उन दोनों को समान अंशों में संदत्त होगी। दूसरे पति की अनुपस्थिति में उसका हिस्सा मृत महिला शासकीय सेवक से उत्पन्न उसके पात्र अवयस्क बच्चे को भुगतान किया जाएगा।
“(घ) जहाँ परिवार पेंशन जुड़वा बच्चों को देय है, वहाँ उनको बराबर-बराबर हिस्से में संदत्त की जायेगीः
परन्तु यदि जुड़वा बच्चों में से एक ही मृत्यु अथवा अपात्र हो जाने पर, उसके पेंशन का हिस्सा व्यपगत नहीं किया जाएगा,
परन्तु अन्य जीवित या पात्र बच्चे को संदत्त किया जाएगाः
परन्तु यह और कि सभी जुड़वा बच्चों की मृत्यु अथवा अपात्र होने की दशा में परिवार पेंशन अगले पात्र जुड़वा बच्चों को संदत्त की जाएगी।"
(8) (i) उपयिनम (7) में यथा उपबंधित को छोड़कर, परिवार पेंशन एक सम में एक से अधिक व्यक्तियों को भुगतान योग्य नहीं होगी।
(ii) यदि कोई मृत शासकीय सेवक या पेंशनर अपने पीछे विधवा या विधुर को छोड़ जाए तो परिवार पेंशन विधवा या विधुर को देय होगी, उनके नहीं होने पर पात्र बच्चे को।
(iii) यदि पुत्र एवं पुत्रियां जीवित हैं तो जब तक पुत्र [25] वर्ष की आयु पर नहीं पहुंच जाए तथा उस कारण परिवार पेंशन मंजूर करने के लिए अपात्र न हो जाए, अविवाहित पुत्रियां परिवार पेंशन के लिए पात्र नहीं होंगी। [.प्र. शासन वि.वि. की अधिसूचना क्र. एफ 9-4/2014/नियम/चार दिनांक 23 दिसम्बर 2014 द्वारा संशोधित और प्रकाशन दिनांक से लागू।]
(9) जहाँ मृत शासकीय सेवक अथवा पेंशनर अपने पीछे एक से अधिक बच्चे छोड़ जाता है तो ज्येष्ठ बच्चा, उपनियम (6) के खण्ड (ii) अथवा (iii) जैसा भी प्रमाण हों, में उल्लेखित अवधि तक परिवार पेंशन का पात्र होगा और वह समयावधि समाप्त हो जाने पर द्वितीय बच्चा परिवार पेंशन स्वीकृति के लिए पात्र हो जाएगा।
[(10) जहाँ इस नियम के अधीन किसी अवयस्क को परिवार पेंशन स्वीकृत की जाए तो वह अवयस्क की ओर से संरक्षक को देय होगीः [उपनियम (10) अधिसूचना क्रमांक एफ. 25/238/2000/चार/PWC, दिनांक 20 दिसम्बर 2001 द्वारा संशोधित।
पूर्व में उपनियम 10 निम्नानुसार था- "जहां इस नियम के अधीन किसी अवयस्क को परिवार पेंशन स्वीकृत की जाएतो वह अवयस्क की ओर से संरक्षक को देय होगी।"]
परंतु यदि परिवार पेंशन के भुगत' के संबंध में अवयस्क द्वारा आपत्ति की जाती है या यदि संबंधित विभाग के कार्यालय प्रमुख द्वारा यह अभिव्यक्त किया जाता है कि उपयुक्त संरक्षक मिल पाना संभव नहीं है तो अवयस्क के परिवार पेंशन की रकम, उसके वयस्क होने तक, डाकघर में बचत बैंक में प्रतिमाह जमा की जाएगी। बचत बैंक खाता, कलेक्टर और जिला कोषालय अधिकारी द्वारा संयुक्त रूप से चलाया जाएगा तथा इस खाते में से आवश्यक रकम अवयस्क को उसकी शिक्षा और जीविका के लिए प्रतिमाह संवितरित की जाएगी किन्तु संवितरित की जाने वाली रकम किन्हीं भी परिस्थितियों में प्रतिमाह देय परिवार पेंशन की रकम से अधिक नहीं होगी। बचत बैंक खाते की संपूर्ण अतिशेष रकम का अवयस्क परिवार पेंशन भोगी को उसके अवयस्क होने पर भुगतान कर दिया जाएगा और बचत बैंक खाता बंद कर दिया जाएगा।]
(11) जिस प्रकरण में पत्नी और पति दोनों ही शासकीय सेवक हैं और इस नियम के उपबंधों द्वारा शासित होते हैं और सेवा में रहते हुए अथवा सेवा निवृत्ति के पश्चात् उनमें से किसी एक की मृत्यु हो जाती है तो मृतक से सम्बन्धित परिवार पेंशन जीवित पति अथवा पत्नी को देय होगी और पति अथवा पत्नी की मृत्यु घटित हो जाने पर जीवित बच्चा अथवा बच्चों को मृतक माता-पिता से सम्बन्धित दो परिवार पेंशन नीचे विनिर्दिष्ट सीमाओं के अध्यधीन स्वीकृत की जायेगी, अर्थात्-
(ए) (i) उपनियम (3) में उल्लेखित दर से यदि दो परिवार पेंशनों को आहरित करने के लिये जीवित बच्चा अथवा बच्चे पात्र हैं तो दोनों ही पेंशनों की धनराशि प्रतिमाह [रुपये 11,200/- ग्यारह हजार दो सौ] तक ही सीमित होगी; [नियम 47 (11) के खण्ड () (i), () (ii) तथा (बी) में क्रमशः रुपये 1700/- 1700/- तथा 850 के स्थान रुपये 11200/- 11200/- तथा 6700/- प्रतिस्थापित; .प्र. शासन वित्त विभाग क्र. एफ9/2/2007/नियम/चार दि. 5.4.07]
(ii) उपनियम (3) में उल्लेखित दर से यदि एक परिवार पेंशन के भुगतान की पात्रता समाप्त हो जाती है तो उसके बदले उपनियम (2) में उल्लेखित दर से पेंशन देय हो जायेगी। दोनों ही पेंशनों की धनराशि भी प्रतिमाह [रुपये 11,200/- ग्यारह हजार दो सौ] तक ही सीमित होगी।
(बी) यदि दोनों ही परिवार -पेंशनें उपनियम (2) में उल्लेखित दर से भुगतान योग्य हैं तो प्रतिमाह दोनों पेंशन की धनराशि [6700/- छः हजार सात सौ] तक ही सीमित होगी।
[(सी) (i) यदि कोई व्यक्ति जो व्यक्ति जो शासकीय सेवक की सेवाकाल के दौरान हुई मृत्यु की दशा में, इस नियम के अधीन परिवार-पेंशन पाने के लिये पात्र है, उस शासकीय सेवक की हत्या के अपराध अथवा ऐसे किसी अपराध को करने के दुष्प्रेरण के लिये आरोपित किया गया है तो उसके विरुद्ध संस्थित दांडिक कार्यवाही की समाप्ति तक, परिवार-पेंशन प्राप्त करने का उसका दावा, अन्य सदस्य अथवा सदस्यों के दावे सम्मिलित करते हुए, निलम्बित रहेगा। [वित्त क्र. एफ. बी. 6-7-81-आर-2/चार, दिनांक 10-6-1981 द्वारा नियम 47 (11) में खण्ड (सी) के प्रावधान अन्तःस्थापित।]
(ii) यदि सम्बद्ध व्यक्ति उप खण्ड (i) में निर्दिष्ट दांडिक कार्यवाही की समाप्ति पर-
(ए) उस शासकीय सेवक की हत्या अथवा हत्या का दुष्प्रेरण के लिये सिद्धदोष ठहराया जाता है तो वह परिवार-पेंशन प्राप्त करने से विवर्जित कर दिया जावेगा जो शासकीय सेवक की मृत्यु की तिथि से परिवार के अन्य पात्र सदस्य को भुगतान योग्य होगी।
(बी) उस शासकीय सेवक की हत्या अथवा हत्या का दुष्प्रेरण के आरोप से दोषमुक्त कर दिया जाता है तो ऐसे व्यक्ति को शासकीय सेवक की मृत्यु की तिथि से परिवार-पेंशन भुगतान योग्य होगी।
(iii) उप खण्ड (i) तथा उपखण्ड (ii) के उपबंध किसी शासकीय सेवक को उसकी सेवानिवृत्ति के पश्चात मत्य होने पर देय होने वाली परिवार पेंशन को भी लाग होंगे।]
12 (ए) (i) जैसी ही कोई शासकीय सेवक अपनी एक वर्ष की लगातार सेवा पूर्ण कर है, फार्म-3 में अपने परिवार का विवरण [.......] कार्यालय -प्रमुख को देगा : [[........] शब्द तथा वाक्य लुप्त; द्वारा .प्र. शासन वित्त विभाग क्र. एफ. बी. 6-1-77/आर-2/चार, दिनांक - 1-2-1977; .प्र. राजपत्र 4 (), दिनांक 24-6-1977]
परन्तुक [विलोपित] [परन्तुक विलोपित (.प्र. शासन वि.वि. क्र. 6-1-77/आर-2/चार/दि. 1-2-77]
(ii) यदि शासकीय सेवक का परिवार नहीं है परन्तु जैसे ही वह परिवार अर्जित कर लेता है, फार्म-3 में परिवार का विवरण देगा।
(बी) शासकीय सेवक कार्यालय-प्रमुख को, परिवार के आकार में पश्चातवर्ती हुआ कोई भी परिवर्तन सूचित करेगा। इसी सूचना में लड़की के विवाह की वस्तुस्थिति की जानकारी भी शामिल होगी।
(सी) [विलोपित] [वि.वि. क्र. एफ. बी. 6/1/77/नि-2/चार, दिनांक 1-2-77]
(डी) कार्यालय-प्रमुख कथित फार्म-3 प्राप्त होने पर उसे सम्बन्धित शासकीय सेवक की सेवा पुस्तिका (Service Book) में चिपकायेगा और कथित फार्म-3 और उस निमित्त शासकीय सेवक के आगे प्राप्त सभी सूचनाओं की अभिस्वीकृति देगा।
(ई) परिवार के आकार में किसी भी परिवर्तन की सूचना शासकीय सेवक से प्राप्त होने पर कार्यालय प्रमुख फार्म-3 में समाविष्ट करेगा।
(13) वित्त विभाग के ज्ञापन क्रमांक 1294/आर-1508/चार-आर दो; दिनांक 21 मार्च, 1965 तथा समय-समय पर किये गये संशोधनों के अधीन स्वीकृत पेंशन में तदर्थ वृद्धि और वित्त विभाग के ज्ञापन क्र. बी./6-21/74/आर-दो/चार, दिनांक 22 मई, 1975 के अधीन स्वीकृत तदर्थ सहायता इस नियम के अधीन स्वीकृत तदर्थ सहायता इस नियम के अधीन स्वीकृत परिवार-पेंशन पर स्वीकार्य नहीं होगी।
(14) इस नियम के प्रयोजनार्थ-
(क) “लगातार सेवा" से अभिप्रेत है पेंशन योग्य सेवा में प्रवेश की तिथि से सभी समयावधियाँ जो कि इस नियम के अधीन शासकीय सेवक को स्वीकार्य पेंशन/उपदान (Pension/Gratuity) के लिये संगणित की जाती हैं।
(ख) शासकीय सेवक के "परिवार" से अभिप्रेत है-
(i) पुरुष सरकारी सेवक के मामले में उसकी पत्नी या पत्नियाँ एवं महिला सरकारी सेवक के मामले में उसका पति जहां कोई भी महिला सरकारी सेवक या कोई पुरुष रकारी सेवक अपने पीछे विधुर या विधवा तथा पात्र बालक या बालकों को छोड़कर पर जाता है और यथास्थिति ऐसे विधुर या विधवा ने सरकारी सेवक की मृत्यु के पूर्व पुनर्विवाह कर लिया हो, वहाँ मृतक के सम्बन्ध में किसी बालक या बालकों को देय कुटुम्ब पेंशन, उत्तरजीवी व्यक्ति ऐसे बालक या बालकों का संरक्षक न रह गया हो, वहाँ ऐसी कुटुम्ब पेंशन उस व्यक्ति को देय होगी जो कि बालक या बालकों का वास्तविक संरक्षक हो।
टिप्पणी- जहाँ नियम 6 के उपनियम (3) में उल्लेखित कार्यालय - प्रमुख, कारणों को अभिलिखित करके निश्चित करे कि न्यायिक रूप से पृथक मृत महिला शासकीय सेवक या बच्चा अथवा बच्चों को मृत शासकीय सेवक की परिवार-पेंशन न्यायिक रूप से पृथक पति पर अधिमान देकर (In preference), स्वीकार करना चाहिये तो ऐसा पति “परिवार" में समाविष्ट नहीं माना जायेगा।
[(ii) राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर विहित किये गये आय के मानदण्ड के अध्यधीन रहते हुए, पुत्र या अविवाहित या विधवा या विच्छिन्न विवाह पुत्री, यथास्थिति ऐसे पुत्र या पुत्री के [25 वर्ष] पच्चीस वर्ष की आयु पूरी कर लेने तक या उसके विवाह/पुनर्विवाह की तारीख तक, इनमें से जो भी पूर्वतर हो, इसमें ऐसा पुत्र या पुत्री सम्मिलित है जिसे सेवा निवृत्ति के पूर्व वैध रूप से दत्तक लिया गया है।] [वित्त विभाग अधिसूचना क्र. एफ-25-145/2001/चार/पी.डब्ल्यू.सी/दिनांक 22.1.2002 से संशोधित तथा 01 जनवरी 1998 से प्रभावशील]
(iii) माता-पिता, बशर्ते की सरकारी सेवक पर, जब वह जीवित था, पूरी तरह आश्रित थे तथा मृत कर्मचारी राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर, विहित किए गए आश्रितता के अध्यधीन रहते हुए अपने पीछे न तो कोई विधवा छोड़ गया हो और न ही कोई सन्तान ।
(iv) यथास्थिति पुत्र अविवाहित या विधवा या विच्छिन्न विवाह पुत्री और माता-पिता, राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर नियत किये गये अनुसार आय/आश्रितता मापदण्ड संबंधी वार्षिक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करेंगे।]
टिप्पणी - (विलोपित) [वित्त विभाग क्र. G-25/24/95/सी/चार, दिनांक 21-7-1995. द्वारा विलोपित]
[टिप्पणी - 1. पिता की मृत्यु के उपरान्त बच्चा (Posthumous child) परिवार पेंशन का पात्र होगा।] [टिप्पणी 1 तथा टिप्पणी 2 वित्त विभाग अधिसूचना क्र. बी. 6/1/92/PWC/IV, दिनांक 29-9-96 द्वारा स्थापित यह संशोधन दिनांक 21-8-95 से लागू माना जायेगा।]
[टिप्पणी - 2. सेवानिवृत्ति के उपरान्त माता या पिता (Post-retiral spouse) तथा शासकीय सेवक के सेवा निवृत्ति पश्चात् किये गये विवाह से पैदा बच्चे को शामिल करने के लिये प्रार्थना पत्र फार्म 30 में किया जाएगा।]
(सी) "वेतन' से अभिप्रेत है नियम 30 में उल्लेखित उपलब्धियाँ ।
(15) इस नियम में अन्तर्विष्ट कोई भी बात लागू नहीं होगी-
(ए) पुनर्नियुक्त शासकीय सेवक जो 1 अप्रैल, 1966 के पूर्व सेवानिवृत्ति हो गया था-
(i) निवृत्ति पेंशन अथवा अधिवार्षिकी-पेंशन पर सिविल सेवा से, अथवा
(ii) निवृत्ति पेंशन सेवा पेंशन; अथवा असर्मथता पेंशन पर मिलिटरी सेवा से तथा जिस व्यक्ति ने अपनी पुनर्नियुक्ति की तिथि को जिस पद पर वह पुनर्नियुक्त हुआ उस पद को लागू अधिवार्षिकी आयु पूर्ण कर ली है।
(बी) मिलिटरी पेंशनर जो 1 अप्रैल, 1966 को अथवा उसके पश्चात् मिलिटरी सेवा से सेवानिवृति हुआ है अथवा इन नियमों के प्रारम्भ होने के पश्चात् ऐसी सेवा से सेवानिवृत्ति पेंशन, सेवा-पेंशन, अथवा असमर्थता पेंशन पर सेवानिवृत्त होता है और अधिवार्षिकी आयु पूर्ण करने के पूर्व किसी सिविल सेवा अथवा पद पर पुनर्नियुक्त किया जाता है।
(सी) वि. वि. अधिसूचना क्र. B-25-18-97/PWC/चार, दिनांक 28-11-97 द्वारा विलोपित यह संशोधन 20-5-97 से लागू।
 
विषय- सैन्य परिवार पेंशनधारी को सिविल परिवार पेंशन स्वीकृत करने के संबंध में
भारत सरकार, रक्षा मंत्रालय के भूतपर्व सैनिक कल्याण विभाग, नई दिल्ली के परिपत्र क्रमांक 01(05)/2010 डी (पेंशन/पॉलिसी) दिनांक 17 जनवरी, 2013 द्वारा सेवा निवृत्ति उपरांत केन्द्र या राज्य के किसी विभाग/उपक्रम/स्वशासी संस्था/स्थानीय संपरीक्षा संस्था में पुनर्नियुक्त सैन्य कर्मियों/ परिवार के सदस्यों को दोहरी परिवार पेंशन भुगतान किये जाने के संबंध में जारी निर्देशों के अनुक्रम में राज्य शासन द्वारा निम्नानुसार निर्णय लिया गया है:
1. दिनांक 24 सितम्बर 2012 या उसके पश्चात् सेवानिवृत्त तथा मध्यप्रदेश शासन के किसी विभाग/उपक्रम/स्वशासी संस्था/स्थानीय संपरीक्षा संस्था आदि में पुनर्नियुक्त सैन्य कर्मचारी के परिवार के पात्र सदस्य को सैन्य परिवार पेंशन के साथ-साथ राज्य शासन में की गई सेवावधि की सिविल परिवार पेंशन पृथक से भुगतान किये जाने की अनुमति दी जाती है।
2. कंडिका-1 की सुविधा 24 सितम्बर 2012 के पूर्व सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों के प्रकरणों पर भी लागू होगी, परन्तु उपरोक्तानुसार दोहरी परिवार पेंशन का वास्तविक आर्थिक लाभ 24 सितम्बर 2012 से देय होगा।
3. सैन्य परिवार पेंशन सहित परिवार पेंशन स्वीकृत किये जाने हेतु म.प्र. सिविल सेवायें (पेंशन) नियम-1976 के नियम 47 के उपनियम-15 को विलोपित किये जाने की कार्यवाही पृथक से की जायेगी।
 
राज्य शासन आदेश
पेंशन प्रयोजनार्थ दूसरी पत्नी को मान्यता देने बाबत-राज्य शासन स्पष्टीकरण
मध्यप्रदेश सिविल सर्विसेज (पेंशन) नियम, 1976 के नियम 47 के उपनियम (7) (ए) (i) के प्रावधानानुसार जहाँ एक से अधिक विधवाओं को परिवार पेंशन का भुगतान किया है तो विधवाओं को समान हिस्से में परिवार पेंशन का भुगतान की जाएगी।
2. पेंशन नियमों के उक्त प्रावधान के प्रसंग में महालेखाकार मध्यप्रदेश ग्वालियर ने शासन ने समक्ष यह प्रश्न उपस्थित किया है कि हिन्दू मैरिज एक्ट, 1955, जो 18-5-55 से प्रभावशील है, की धारा 17 के अनुसार दिनांक 18-5-55 को या उसके पश्चात् यदि किसी हिन्दू पुरुष ने एक पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह सम्पन्न किया है तो दूसरी पत्नी को नियमानुसार परिवार पेंशन की पात्रता नहीं होगी क्योंकि वह उसकी विधिसम्मत पत्नी नहीं होगी। इस सम्बन्ध में विधि विभाग से परामर्श लिया गया था उस विभाग ने मामले में निम्नानुसार अभिमत दिया है-
हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 5 के खण्ड (1) में हिन्दू विवाह के लिए यह शर्त है कि विवाह के समय दोनों पक्षों में से किसी भी पक्ष की पत्नी/पति जीवित नहीं होना चाहिए। यदि पति/पत्नि के जीवित रहते दूसरा विवाह किया जाता है तो वह अधिनियम की धारा 2 के अन्तर्गत शून्य माना गया है। उक्त अधिनियम की धारा 2 के अनुसार मुस्लिम, क्रिश्चियन, पारसी जाति और अनुसूचित जनजातियों को यद्यपि भारत सरकार द्वारा अधिसूचना के माध्यम से उक्त अधिनियम लागू नहीं किया है तो उक्त जातियों और धर्मों को मानने वालों को उक्त अधिनियम लागू नहीं होता है। भारत सरकार द्वारा हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 के प्रावधानों के सम्बन्ध में किया गया निर्वचन, उक्त अधिनियम के प्रावधानों तक ही सीमित है। उक्त अधिनियम लागू होने के पूर्व हिन्दूओं में भी बहुविवाह पद्धति प्रचलित थी और उस समय यदि किसी व्यक्ति द्वारा एक से अधिक विवाह किए गए हैं तो उन्हें विधिक दृष्टि से शून्य नहीं माना जा सकता। इसी प्रकार जिन व्यक्तियों को उक्त अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होते हैं उनकी व्यक्तिगत विधि और रीति-रिवाज के अन्तर्गत बहुविवाह को मान्यता प्राप्त है तो उन्हें भी विधिक दृष्टि से शून्य नहीं माना जा सकता।"
3. उक्त पेंशन नियम 47 के उप नियम (7) (ए) (i) की मंशा यह है कि यदि किसी प्रकरण में मृत शासकीय कर्मचारी की एक से अधिक विधवा हैं और यदि वे विधिक रूप से विवाहित रही हैं, तो उन्हें उपरोक्त नियम के अन्तर्गत परिवार पेंशन प्राप्त करने की पात्रता होगी। ऐसे प्रकरणों में समुचित रूप से जाँच करने के पश्चात् ही परिवार पेंशन के भुगतान की अनुशंसा की जावे। अतः समस्त कार्यालय प्रमुखों आदि को यह निर्देशित किया जाता है कि प्रकरणों को महालेखाकार अथवा संचालक, पेंशन, जैसी भी स्थिति हो, को भेजते समय इस बात को देख लें कि जहाँ दो पत्नियों महालेखाकार अथवा संचालक, पेंशन, जैसी भी स्थिति हो, को भेजते समय इस बात को देख लें कि जहां दो पत्नियों का मामला हो, वहाँ आदेशों के अनुरूप समुचित जाँच के पश्चात् ही परिवार पेंशन दिये जाने की अनुशंसा की जाती है।
[वित्त विभाग क्र.एफ. बी. 6/7/87/नि-2/चार, दिनांक 30 अगस्त, 89]
 
(2)
विषय - मृत शासकीय सेवकों की विधवाओं को परिवार पेंशन की पात्रता के संबंध में।
संदर्भ- इस विभाग का ज्ञाप क्र. एफ. बी- 6/7/87-नि-2/चार, दिनांक 30-8-89
उपर्युक्त विषय में महालेखाकार कार्यालय से शासन के ध्यान में यह बात लाई है कि यदि कोई शासकीय सेवक अपनी प्रथम पत्नी के जीवन काल में ही दूसरा विवाह संपन्न कर लेता है तो दिनांक 18-5-55 या उसके पश्चात् ऐसा विवाह विधि सम्मत नहीं होगा और दूसरी पत्नी नियमानुसार परिवार पेंशन की पात्र नहीं होगी, फिर भी कई विभागाध्यक्ष इस प्रकृति के प्रकरण पर अनुशंसा कर महालेखाकार/संयुक्त संचालक, कोष, लेखा एवं पेंशन कार्यालयों को निराकरण हेतु भेज रहे हैं।
2. इस संबंध में म.प्र. सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 का नियम 22 निम्नानुसार है-
22. द्विविवाह - (1) कोई भी शासकीय सेवक जिसकी पत्नी जीवित हो, शासन की पूर्व अनुज्ञा प्राप्त किए बिना दूसरा विवाह नहीं करेगा, भले ही ऐसा पश्चात्वर्ती विवाह तत्समय उसको लागू होने वाली वैयक्तिक विधि के अधीन अनुज्ञेय हो।"
3. नियम के अंतर्गत कोई भी शासकीय सेवक अपनी प्रथम पत्नी के जीवनकाल में ही दूसरा विवाह करेगा तो दूसरा विवाह विधि सम्मत नहीं है। अतः केवर एक ही विधि सम्मत पत्नी की परिवार पेंशन की पात्रता है।
4. अतः इस संबंध में अनुरोध है कि अपने अधीनस्थ समस्त आहरण/संवितरण अधिकारियों को निर्देश दें कि ऐसे प्रकरणों जिनमें दो पत्नियों को परिवार पेंशन देने से संबंधित हैं, में केवल एक ही विधि सम्मत पत्नी का प्रकरण महालेखाकार/संयुक्त संचालक, कोष, लेखा एवं पेंशन की ओर भेजे।
 
(3)
विकलांग बच्चों को आजीवन परिवार पेंशन योजना
म.प्र. सिविल सर्विसेस (पेंशन) नियम, 1976 दिनांक 1-6-76 से लागू हैं। नियम 47 (6) के अनुसार यदि किसी शासकीय सेवक के पुत्र या अविवाहित पुत्री किसी प्रकार के मानसिक रोग से पीड़ित हो अथवा शारीरिक रूप से पंगु हो या अक्षम हो जिससे वह जीविकोपार्जन के लिये स्थायी रूप से अयोग्य हो तो ऐसे प्रकरणों में पुत्र के मामले में 21 वर्ष या पुत्री के मामले में, 24 वर्ष की आयु पूरी कर लेने पर भी परिवार पेंशन, इस नियम की कतिपय अन्य शर्तों की पूर्ते के अधीन, आजीवन देय है। इस सम्बन्ध में शर्त यह कि विकलांगता की स्थिति शासकीय सेवक की सेवा निवृत्ति अथवा मृत्यु के पूर्व से ही बनी रही हो।
2. पेंशन नियमों के उक्त नियम के अन्तर्गत यह लाभ ऐसे पेंशनरों के बच्चों को देय है जो दिनांक 1-6-76 के पश्चात् सेवानिवृत्त हए अथवा जिनकी इस दिनांक के बाद सेवा में रहते हुए मृत्यु हुई हो। दिनांक 1-6-76 के पूर्व सेवानिवृत्त अथवा मृत शासकीय कर्मचारियों के मामलो में यह सुविधा दिये जाने का प्रश्न कुछ समय के शासन के समक्ष विचाराधीन रहा है। विचारोपरान्त राज्य शासन ने निर्णय लिया है कि पेंशन नियमों के उक्त नियम 47 (6) की प्रसुविधा 1-6-76 के पूर्व सेवानिवृत्त/सेवा में रहते हुए मृत कर्मचारियों के आश्रित पात्र विकलांग बच्चों को भी दी जाए। अतः पेंशन नियम 47 की अन्य शर्तों की पूर्ति के अधीन 1-6-76 के पूर्व सेवानिवृत्त/सेवा में रहते हुए मृत कर्मचारी के मानसिक रूप से पीड़ित अथवा शारीरिक रूप से स्थायी पंगु या अक्षम आश्रित बच्चे भी पेंशन नियम 47 (6) के परन्तुक के अन्तर्गत देय परिवार पेंशन प्रसुविधा के लिये पात्र माने जावेंगे।
3. शासन द्वारा यह भी निर्णय लिया गया है कि म.प्र. शासन, वित्त विभाग की दिनांक 11-9-78 द्वारा नियम 47 (6) के पश्चात् जोड़े स्पष्टीकरण (ए) को भी विलोपित किया जाए। इस विलोपन के फलस्वरूप अब यह आवश्यक नहीं होगा कि विकलांगता की स्थिति सेवा निवृत्ति/मृत्यु के पूर्व से निर्मित रही हो।
4. पेंशन नियमों के इस नियम की अन्य शर्ते यथावत् रहेंगी।
5. यह आदेश प्रसारित होने के दिनांक से प्रभावशील माना जावेगा।
6. नियमों में औपचारिक संशोधन किया जा रहा है।
[वित्त विभाग क्र. F. B. -6/2/92/नि-2, दिनांक 8-4-93]
 
(4)
विषय- अक्षम पुत्र/पुत्री के नाम पेंशन भुगतान आदेश में शामिल करने के संबंध में।
वर्तमान में राज्य में यह व्यवस्था है कि परिवार पेंशन के लिए पत्नी/पति का नाम पी.पी.ओ. में। अंकित रहता है। मानसिक/शारीरिक रूप से अक्षम पुत्र/पुत्रियों के नाम पेंशन भुगतान आदेश पर अंकित नहीं होते हैं।
2. इस संबंध में अब निर्णय लिया गया है कि जारी किए जा रहे पेंशन भुगतान आदेश में मानसिक/शारीरिक रूप से अक्षम पुत्र/पुत्री के नाम संलग्न प्रपत्र अनुसार अंकित किये जावें। इस संबंध में यह भी अनुरोध है कि भविष्य में जब भी कभी पेंशन आदेश का मुद्रण हो तो इस प्रपत्र को आदेश का ही भाग बनाया जावे । वर्तमान में यह व्यवस्था पत्रक जोड़कर प्रारम्भ की जा सकती है।
संलग्न- उपरोक्तानुसार ।
[म.प्र.शा.वि.वि. क्र. डी- 774/598-म/99/पी.डब्ल्यू.सी./चार, दिनांक 15.11.991]
भाग-3. पेंशन प्राप्तकर्ता की मृत्यु पर अदा की जाने वाली परिवार पेंशन का ब्यौरा
Section 3. Details of family pension payable on the death of the pensioner.
1. नियम, जिसके अन्तर्गत परिवार पेंशन मंजूर की गई है।
Rules under which family pension is admissible.
2. पेंशन प्राप्तकर्ता की मृत्यु होने की स्थिति में परिवार पेंशन पाने वाले परिवार के सदस्यों का ब्यौरा।
Details of family members eligible for pension in the cvent of the death of pensioner.
 
क्र.स.
No.
नाम
Name
सरकारी कर्मचारी से संबंध
Relationship
with the Govt.
Servant
जन्मतिथि (बच्चों के लिए)
Date of Birth
(for children)
वर्तमान पता
Present Address
क्या बच्चा शारीरिक
तौर पर अक्षम है
Whether child is physically handicapped
 
 
 
 
 
 
 
टिप्पणीः उपर्युक्त ब्यौरा, परिवार के सदस्यों की पात्रता के क्रम में दिया गया है।
Note: Above particulars may be given in the order of cligibility of the family members.
3. परिवार पेंशन की राशि
Amount of family pension.
 
 
राशि रुपये
Amount Rs.
से
From
 
तक
To
(i) बढ़ी हुई दर पर
At Enhanced Rate
 
 
 
(ii) सामान्य दर पर
At Normal Rate
 
 
 
 
 
(5)
विषय- शारीरिक/मानसिक रूप से अक्षम पुत्र/पुत्री को परिवार पेंशन देने बावत्।
संदर्भ- वित्त विभाग का परिपत्र क्रमांक एफ बी-2/92/नियम/चार दिनांक 8.4.93.
कतिपय विभागों में संदर्भित पत्र के प्रावधानों को प्रयुक्त किये जाने के संबंध में भ्रांति व विरोधाभास को स्थिति समक्ष में आई है।
2. संदर्भित परिपत्र की कंडिका में दिनांक 8.4.1993 से लागू होने का आशय यह है विकलांग तिथि पो आधार न मानते हुए पुत्र/पुत्री को परिवार पेंशन की पात्रता होगी परन्तु देय परिवार पेंशन का वित्तीय लाभ परिपत्र दिनांक 8.4.1993 से ही प्राप्त होगा।
[म.प्र.शा.वि.वि. एफ. 9-9/2014/नियम/चार दिनांक 25.12.2014]
 
(6)
विषय- शारीरिक/मानसिक रूप से अक्षम पुत्र/पुत्री को परिवार पेंशन देने बाबत।
मध्यप्रदेश सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1976 को नियम 47 (6) के अनुसार यदि किसी शासकीय सेवक का पुत्र या अविवाहित पुत्री किसी प्रकार के मानसिक रोग से पीड़ित हैं या शरीर से पंगु या अक्षम हैं, जिससे वह जीविकोपार्जन के लिए स्थाई रूप से अयोग्य हों, ऐसे प्रकरणों में परिवार पेंशन निर्धारित आयु पूरी कर लेने पर भी कतिपय अन्य शर्तों के अधीन आजीवन देय है। नियम 47 (6) (iv) के प्रावधान अनुसार कार्यालय प्रमुख को स्वंय संतुष्ट होना चाहिए कि बाधा ऐसी प्रकृति की है, जो जीविकोपार्जन में रुकावट डालती है तथा उसके प्रमाण में सिविल सर्जन की श्रेणी के अधिकारी का प्रमाणपत्र लेना चाहिए, जो बच्चे की वास्तविक मानसिक तथा शारीरिक स्थिति की घोषणा करेगा। सिविल सर्जन के प्रमाण पत्र का प्रारूप नीचे दिया हो।
2. महालेखाकार ने शासन का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है कि परिवार पेंशन के ऐसे प्रकरणों में कार्यालय प्रमुख द्वारा नियम के प्रावधानों के अन्तर्गत पूर्ण परीक्षण कर संतुष्टि उपरान्त प्रकरण नहीं भेजे जाते हैं इसलिये ऐसे प्रकरणों के निराकरण में कठिनाई उत्पन्न होती है।
3. इस संबंध में समुचित विचारोपरान्त शासन ने यह निर्णय लिया है कि शारीरिक/मानसिक रूप से अक्षम पुत्र/पुत्री के परिवार पेंशन प्रकरण महालेखाकार/संयुक्त संचालक कोष लेखा एवं पेंशन, जैसी भी स्थिति हो, को भेजते समय नियम 47 (6) (iv) के प्रावधानान्तर्गत पेंशन प्रकरण के साथ सिविल सर्जन का संलग्न प्रपत्र में प्रमाणपत्र भी संलग्न कर भेजे।
 
प्रमाण-पत्र
श्री/कु. ................... पुत्र/पुत्री श्री............... के पक्ष में सिविल सर्जन/सक्षम चिकित्सा अधिकारी द्वारा दिये गये जांच प्रमाणपत्र एवं स्वयं व्यक्तिशः जांच करने के पश्चात् मैं सतुष्ट हूँ कि बाधा ऐसी प्रकृति की है कि श्री/कु................. पुत्र/पुत्री........... जीविकोपार्जन के आयोग्य है। अतः परिवार पेंशन स्वीकृत करने की स्वीकृति दी जाती है।
(2) प्रमाण पत्र दि. 25.2.06 द्वारा नियत
कार्यालय सिविल सर्जन, सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक ............. जिला........................
प्रमाण पत्र प्रमाणित किया जाता है कि श्री……………..आत्मज श्री..... आयु. वर्ष............निवासी....... दिनांक................. को मेरे समक्ष उपस्थित हुए। इनका स्वास्थ्य परीक्षण किया गया एवं पाया कि वे.................. (बीमारी का नाम) से पीड़ित है। इनकी विकलांगता का प्रतिशत.................. है और वे जीविकोपार्जन, करने में स्थाई रूप से अशक्त है।
सम्बन्धित का हाल का फोटो
सम्बन्धित के हस्ताक्षर
स्थान
दिनांक
सिविल सर्जन के हस्ताक्षर
सील
नोट - प्रकरण के सम्बन्ध में विकलांगता प्रमाणीकरण की विस्तृत टीप सलंग्न करना आवश्यक है।
[म.प्र.शा. वि.वि. क्र. एप 9/3/2006/नियम/चार दि. 25.02.2006]
 
(7)
विषय - आश्रित संबंधियों के लिए आय की अधिकतम सीमा के संबंध में।
वित्त विभाग की अधिसूचना क्र. डी. 971/4327/78/नि-1/चार, दिनांक 2-8-79 द्वारा मध्यप्रदेश मूल नियम 9 (32) के एस. आर. 8(बी) के अंकित नोट के अंतर्गत सरकारी सेवक पर पूर्णतः आश्रित माने जाने के लिए संबधित आश्रितों की कुल आय (पेंशन में अस्थायी वृद्धि तथा डी.सी.आर. जी के समान पेंशन लाभों को मिलाकर (रु. 250/- प्रतिमाह से अधिक नहीं होने की सीमा रखी गई थी।
2. वित्त विभाग के आदेश क्र. डी. 9/90/150/89/नि-1, चार, दिनांक 8 जनवरी, 1990 द्वारा इस राशि को बढ़ाकर रु. 500/- प्रतिमाह किया गया था।
3. राज्य शासन ने अब निर्णय लिया है कि इस राशि को बढ़ाकर रु. 1275/- प्रतिमाह किया जावे। यह आय सीमा वित्त विभाग द्वारा जारी की गई अधिसूचना क्र. एफ-25/1/98/पी. डब्ल्यू.सी./चार, दि. 6-9-99 में उल्लेखित आश्रितों को उनके दर्शाई गई शर्ते के अध्यधीन लागू होंगी।
4. यह आदेश दिनांक 6-9-89 से प्रभावशील होंगे तथा पूर्व में निराकृत प्रकरणों को पुनः नहीं खोला जावेगा।
[वित्त विभाग क्रमांक 25/7/98/PWC/चार, दिनांक 1-4-2000]
 
(8)
सेवा निवृत्ति के बाद विवाहित पति/पत्नि और उनसे पैदा बच्चों को परिवार पेंशन- राज्य शासन आदेश
राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि राज्य के पेंशनरों को सेवा निवत्ति के बाद विवाहित पति/पत्नि (Post-retiral spouse) और उनसे उत्पन्न बच्चों को परिवार पेंशन प्राधिकृत की जाए। इसलिए राज्य शासन अपनी समसंख्यक अधिसूचना दिनांक 21 जुलाई, 1995 द्वारा मध्यप्रदेश सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1976 के नियम, 47 के उपनियम (14) के उपनियम (14) के शब्द "Provided the marriage took place before the retirement of the Government servant" को विलोपित कर दिया है। इसके अलावा नियम 47 (14) (बी) (ii) के नीचे नोट जिसमें सेवा निवृत्ति के बाद पैदा बच्चे को परिवार पेंशन की पात्रता न होने का उल्लेख था, को भी विलोपित कर दिया गया है।
2. इस प्रकार की परिवार पेंशन प्राधिकृत करने के लिए निम्नानुसार प्रक्रिया का पालन किया जाएगा-
(1) जब भी कोई पेंशनर सेवा निवृत्ति के बाद विवाह/पुनर्विवाह करता/करती है तो उसे इसकी सूचना निर्धारित प्रपत्र में उस कार्यालय प्रमुख को देना होगी जहां से वह सेवा निवृत्त हुआ था/हुई थी। उसे आवेदन के साथ सेवा निवृत्ति के बाद अपने विवाह/पुनर्विवाह के संबंध में रजिस्ट्रार या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी विवाह प्रमाण-पत्र की एक सत्यापित प्रति लगाना आवश्यक है।
(2) ऐसा आवेदन मिलने पर कार्यालय प्रमुख जहाँ आवश्यक हो वहाँ समुचित सत्यापन करने के पश्चात् आवेदन पत्र को संबंधित संयुक्त संचालक कोष लेखा एवं पेंशन अथवा महालेखाकार, (जैसा भी स्थिति हो) को भेजेगा। भेजते वक्त मध्यप्रदेश सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1976 के नियम 47(7) (बी) के प्रावधानों को ध्यान में रखा जाएगा।
(3) संयुक्त संचालक, कोष एवं पेंशन अथवा महालेखाकार द्वारा संबंधित पेंशन संवितरण अधिकारी को संशोधन पत्र जारी किया जावेगा जिसकी सूचना संबंधित पेंशनर का भी दी जावेगी।
(4) अगर पेंशनर की पहली शादी से कोई पात्र बच्चा जिन्दा नहीं है तो ऐसी निवृत्ति के बाद विवाहित का पति/पत्नि (post-retiral spouse) अगर कोई है, को पूरी परिवार पेंशन प्राप्त होगी।
(5) अगर पेंशनर की पहली शादी से कोई पात्र बच्चा/बच्चे हैं तो पेंशन मध्यप्रदेश सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1976 के नियम 47 (7) (बी) के तहत विभाजित होगी।
(6) जहां तक बच्चों का संबंध है जिसमें सेवा निवृत्ति के बाद जन्म लेने वाले बच्चे भी सम्मिलित हैं जैसे जैसे बच्चों को परिवार पेंशन की पात्रता आएगी, वैसे-वैसे यथा समय परिवार पेंशन संयुक्त संचालक कोष लेखा एवं पेंशन/महालेखाकार द्वारा प्राधिकृत की जाएगी। पिता की मृत्यु के बाद पैदा हुए बच्चे (posthumous child) को भी परिवार पेंशन . की पात्रता रहेगी।
3. यह स्पष्ट किया जाता है कि यह आदेश उन पेंशनरों पर भी लागू होगा जिनकी शादी यह आदेश जारी होने के पूर्व हुई है।
4. विवाद की स्थिति में संभागीय कमिश्नर का निर्णय अंतिम होगा।
5. यह निर्देश मध्यप्रदेश संवर्ग के अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों पर लागू नहीं होंगे क्योंकि उनके मामले मध्यप्रदेश सिविल सेवा (पेंशन) नियम के बजाय अखिल भारतीय सेवाएं (D.C.R.G.) नियमों के तहत शासित होते हैं।
 
सेवानिवृत्त के बाद विवाह/पुनर्विवाह की स्थिति में पति/पत्नि और उनसे पैदा बच्चों को परिवार पेंशन प्राधिकृत करने के लिए आवेदन-पत्र
(यह आवेदन तीन प्रतियों में उस कार्यालय प्रमुख को प्रस्तुत किया जावेगा जहां से पेंशनर सेवानिवृत्त हुआ है)
प्रति,
………………………..
………………………..
महोदय/महोदया,
मैं यह सूचित करता हूं कि मैंने दिनांक.................... को विवाह/पुनर्विवाह किया है। मेरे पी. ओ. में इन्द्राज करने के लिए आवश्यक विवरण निम्नानसार हैं:-
 
1. पेंशनर का नाम (जैसा कि पी. पी. ओ. पर अंकित है)
………………......
2. सेवा निवृत्ति का दिनांक
………………......
3. सेवा निवृत्ति के समय धारित पद
………………......
4. (1) पी. पी. ओ. क्रमांक व दिनांक
(2) पी. पी. ओ. प्राधिकृत करने वाले अधिकारी का पद नाम
………………......
………………......
5. पता-………………......
 
(1) स्थाई पूर्ण पता
………………......
(2) पत्र व्यवहार का पता
………………......
6. पेंशन संवितरण अधिकारी का विवरण-
 
(1) स्थान
………………......
(2) कोषालय/उप-कोषालय अथवा बैंक का विवरण । 
………………......
 
 
7. (अ) पूर्व परिवार का पूर्ण विवरण जो सेवा निवृत्ति के समय प्रेरित किया गया था :-
 
स.क्र.
परिवार के सदस्य का नाम तथा पता
पेंशनर से संबंध
पुत्रियों के संबंध में वैवाहिक स्थिति
जन्म दिनांक
क्या ऐसा बच्चा/ बच्चे विकलांग हैं।
(1)
(2)
(3)
(4)
(5)
(6)
 
 
 
 
 
 
 
(कृपया विकलांगता प्रमाण-पत्र की सत्यापित प्रतियाँ संलग्न करें)
 
(ब) सेवा निवृत्ति के पश्चात् विवाहित पति/पनि के
 
लिए है तो पहले पति/के पत्नि की मृत्यु अथवा
 
उससे तलाक का दिनांक
………………......
(कृपया मृत्यु प्रमाण-पत्र/तलाक की डिक्री
 
की सत्यापित प्रति संलग्न की जावे)
 
8. सेवा निवृत्ति के बाद विवाह के पति/पत्नि का नाम
………………......
(कृपया विवाह के प्रमाण-पत्र की सत्यापित प्रति और
 
तीन प्रतियों में अभिप्रमाणित संयुक्त फोटो संलग्न करें)
 

9. सेवा निवृत्ति के बाद पैदा बच्चों का विवरण-

 
स.क्र.
सेवा निवृत्ति के बाद के परिवार के सदस्यों के नाम तथा पता
पेंशनर से संबंध
जन्म दिनांक
क्या ऐसा बच्चा/ बच्चे विकलांग हैं।
(1)
(2)
(3)
(4)
(5)
 
 
 
 
 
 
(कृपया जन्म प्रमाण-पत्र तथा विकलांगता प्रमाण-पत्र की सत्यापित प्रतियाँ सलंग्न करें)
10. सत्यापन-
मैं प्रमाणित करता/करती हूँ कि ऊपर दिया गया विवरण सही है।
पेंशनर के हस्ताक्षर......................
नाम............................
स्थान...........................
दिनांक..........................
अभिप्रमाणित-
 
(1) हस्ताक्षर
……………………….
(2) नाम ……………………….
(3) पूरा पद नाम और कार्यालय का पूरा पता ……………………….
2. (1) हस्ताक्षर ……………………….
(2) नाम ……………………….
(3) पूरा पद नाम और कार्यालय का पूरा पता ……………………….

टीप.- अभिप्रमाणीकरण दो राजपत्रित अधिकारियों द्वारा किया जाएगा।

(9)
मध्यप्रदेश सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1976 लागू के पूर्व परिवार पेंशन- परिवार पेंशन योजना, 1966
The State Government have for some time past been considering measures to be adopted for providing social security to their employees.
2. Under the sets of Pension Rules in force, a Government Servant, has normally family pension and also the duration of the pension is limited to a maximum period of 10 years or 5 years after the date of superannuation, whichever is earlier.
3. The existing provisions were not found to be adequate and as such the position has been reviewed and a fresh scheme has been drawn up which will provide in future at varying rates and pension for life to the widow of the deceased Government Servant
4. The State Government has accordingly been pleased to sanction a new scheme of Family Pension for employees under their rulemaking control with the following benefits:
 
Pay of the Government Servant :
Monthly Pension of widow)
 widower/children
(1) Rs. 800/- and above
12% of Pay subject to a maximum of Rs. 150/-
(2) Rs. 200/- and above but
15% of pay subject to a maximum of
Rs. 96/- and minimum of Rs. 60/-
(3) below Rs. 2007
Rs. 30% of pay subject to minimum Rs. 20/-
 

Explanation "Pay" for this purpose means the pay as defined in Rule 9 (21) (a) (i) of F. R., which the person was drawing on the date of his death while in service or immediately before his retirement, whether he a person has been absent from duty or may be on leave (including E. O. L.) or suspension of his death "Pay" means the pay which he draw immediately before proceeding on such leave or suspension. In the case of those Government Servants who have retained the existing scales of pay in preference to the revised scales of pay of 1960 the term "Pay" will also include any "Dearness Pay" paid to them.

Note - The commutation of pension will have no effect on the quantum of family pension as the rate of family pension is based on the pay which the Government servant was drawing immediately before his retirement and not on the pension sanctioned to them.

5. The above scheme will come into force with effect from the date of issue of these orders and be applicable to all regular employees on pensionable establishment temporary or permanent who are in service on the date of issue of these orders or are recruited thereafter,

Note. - This scheme is retrospective in operation with effect from 1-4-66 wide Government of M. P. Memorandum No. 266VI-1/66, dated 16-11-1966

6. The Scheme will able administered as below:-

(1) The family pension will be admissible in case of death while in service or after retirement on or after the date of issue of these orders if at the time or death, the retired Government servant was in receipt of a compensation pension, invalid, retiring or superannuation pension. In case of death while in service, the Government servant should have completed a minimum period of one year's continuous service.

(i) "Family" for purpose of this scheme will include the following relatives of the Government servants:

(a) Wife in the case of a male Government Servant.

(b) Husband in the case of a female Government Servant,

(c) Minor sons and

(d) Unmarried minor daughter's.

Note-1. (c) and (d) will include children adopted legally before retirement.

2. Marriage after retirement will not be recognised for purpose of this scheme.

(iii) The Pension will be admissible:

(a) In the case of widow/widower upto the date of death or remarriage whichever is earlier.

(b) In the case of Minor son until he attains the age of 18 years.

(c) In the case of unmarried daughter until she attains the age of 21 years or gets married whichever is earlier:

["Provided that if the son or unmarried daughter of a Government servant is suffering from any disorder or disability of mind or is physically crippled or disabled so as to render him or her unable to earn a living even after attaining the age of 18 years in the case of son and 21 years in the case of daughter, the family pension shall be payable to such son or unmarried daughter for life subject to the following conditions, namely:

[The above Proviso inserted vide M. P. E. B. No. F-B. 6/14/75-R-II, dated 5-12-1975

The above note substituted as under vide M. P. F. D. No. 1731/VR-11 69, dated 14-10-69.]

(a) If such son or unmarried daughter is one among two of the children of the Government servant, the family pension shall be initially payable to the minor children in order set out in sub-para (iv) of this paragraph until the last minor child attains the age of 18 or 21, as the case may be and thereafter the Family Pension shall be resumed in favour of the son or unmarried daughter suffering from disorder or disability or mind or who is physically crippled or disabled and shall be payable to him/her for life;

(b) If there are more than one such son or unmarried daughter suffering from disorder or disability of mind or who are physically crippled or disabled, the family pension shall be paid in the following order, namely-

(i) Firstly, to the elder son if there are more than one son, the younger of them will get the family pension only after the life-time of the elder;

(ii) Secondly, to the unmarried daughter if there are more than one unmarried daughters, the younger of them will get the family pension only after the life lime of the elder;

(iii) The family pension shall be paid to such son or unmarried daughter through the guardian as. if he or she are a minor:

*(iv) Before allowing the family pension for life to any such son or unmarried daughter, the sanctioning authority shall satisfy that the handicap is of such a nature as to prevent him from earning his or her livelihood and the same shall be evidenced by a certificate obtained from a medical officer not below the rank of Civil Surgeon stating out, as far as possible the exact mental or physical condition of the child;

(v) The person receiving the family pension as guardian of such son or unmarried daughter shall produce every three years a certificate from a medical officer not below the rank of Civil Surgeon to the effect that he or she continues to suffer from the disability of mind or continues to be physically crippled or disabled.

Note- In cases where there are two or more widows, pension will be payable to the eldest surviving widow. On her death/marriage, it will be payable to the next surviving window, if any. The term eldest would mean seniority with reference to the date of marriage.

Note- (i) Where a Government Servant is survived by more than one widow, the pension will be paid to them in equal shares. On the death of a widow her share of the pension will become payable to her eligible minor child. If at the time or her death. a widow leaves no minor child, the payment of her share of pension will cease,

(ii) Where a Government Servant is survived by a widow but has left behind an eligible minor child from another wise, the eligible minor child will be paid the share of pension which the Mother would have received is she had been alive at the time of death of the Government Servant.

(iii) (Except as provided in the note below sub-para (iii) of his para) pension awarded under this scheme will not be payable to more than one member of a Government servant's family at the same time. It will first be admissible to the widow/widower and thereafter to the Minor children.

Note. - The words (...........) inserted vide M. P. F. D. No. 1731/IV/K- 11/69, dated 14-10-69 and sub-para (IV) again substituted as under vide M. P. F. D. No. F.B. 6/14/75/R/II/IV, dated 5-12-75

*Substituted as below

*(iv) (a) Except as provided in Note (1) 10 (3) below sub-para (iii) of this paragraph, the family pension shall be payable to more than one member of the family at the same time.

(b) If a deceased Government servant or pensioner leaves behind a widow or widower the family pension shall become payable to the widow or widower, failing which to the legible child.

(c) If sons and unmarried daughters are alive unmarried daughters shall not be eligible for family pension unless the sons attain the age of eighteen years and thereby become ineligible for the grant of family pension.

[M.P.F. D. No. F. B. 6/14/75/R-II/IV. Dated 5-12-75]

(v) In the event of remarriage or death of the widow/widower the pension will be granted to the minor children through their natural guardian. In dispute cases, however, payment will be made through a legal guardian.

(vi) In the event of a death of the father and the mother, who are both Government servants, the minor children will be eligible to draw two family pensions, subject to a total of Rs. 150/- P.M. provided both of them are governed by this scheme.

(vii) The ad hoc increase granted under F. D. Memo. No. 1294-R-1508/IV/R-II. dated the 21st May, 1965 will not be admissible on the family pension granted under this scheme.

7. Every Government servant eligible to the benefits of the above scheme will be required to surrender a portion of gratuity, where admissible equal to his two month's emoluments or pay, as the case may be, subject to a maximum of Rs. 3.000/- where a Government servant governed by this scheme retires as a bachelor who has not adopted any child or without a wife/husband and or minor children, the deduction of two months pay/emoluments from the gratuity will not be made. In cases where the gratuity admissible is less than two months pay the same will be resumed by Government against the family pension benefits admissible under this scheme.

8. Government servants in service on the date of issue of these orders, who are governed by the liberalised Pension Rules of the Government of India/The Madhya Pradesh New Pension Rules. 1951 wholly or partially. The Madhya Bharat Civil Pension scheme in substitution of the existing Family Pension benefit as admissible under the Rules referred to above or retain their existing benefits. The option will be required to be exercised within the period of six months from the date of issue of these orders in the form enclosed (Form A). Government servants who fail to exercise options within the stipulated period will be deemed lo have elected the new scheme of family pension. Option once exercised will be final.

9. Those who are governed by the old Pension Rules in Civil Service Regulations, of the Government of India and old Madhya Pradesh Pension Rules will not be entitled to the benefits of these schemes unless they opt in favour of the liberalised Pension Rules. The Madhya Pradesh New Pension Rules, 1951, as the case may be, wholly or partially (as admissible under para 2 (c) of the Government of India, Ministry of Finance, Officer Memorandum No. F-3 (16) 'Est. (Spl) 50 dated the 2 nd January, 1051 and para 8 (1) (c) of the Madhya Pradesh New Pension Rules 1951). If has accordingly been decided to allow them fresh option to avail the benefits of this scheme. This option shall also be required to be exercised within a period of six months of the date of issue of these orders, in the form enclosed (Form B).

10. The option vide para 8 and 9 above shall be exercised in writing and shall be communicated by the Government servant concerned to the Head of Office, if he is in non-gazetted Government servant and to his Accounts Officer if he is a gazetted Government servant. The option when received from a non-gazetted Government servant should be countersigned by the Head of the Office and posted in the service Books of the Government servant concerned.

11. Those who enter service on or after the date of issue of these orders will automatically be governed by this scheme.

12. Widow/widowers of such Government servant as are governed by this scheme will not be entitled to family pension under any other Rules.

13. This scheme is not applicable to-

(a) Persons who retired before the date of issue of this scheme but may be n on reemployed on that date or thereafter,

(b) Persons paid from contingencies;

(c) Work charged staff; (d) Casual labour, and

(e) Contract Officers.

(M.P.F.D. No. 163/CR-903/UV/R-II, dated 17-8-1966)

(2)

In partial modification of the orders contained in paragraph 5 of F. D, Memorandum No. 1963/CR-903/IV/R/II, dated 17-8-66 Government are pleased to decide that the Family Pension Scheme for State Government Employees. 1966, will come into force from the 1st Aprill, 1966 Government servants who retired on or after the 1st April 1966 but before 17th August 66, will have an option to elect the Family Pension Scheme for the State Government employees 1966 upto the 16-2-67 in accordance with para 8 or 9 of - F. D. Memo dated 17-8-66 referred to above.

2. It is noticed that a number of Government servants die in harness and leave their dependants rather badly off. The State Government have accordingly considered the question of making suitable provisions so as to remove the distress of the families who require greater assistance during the First few years after a Government servant death and in partial modification of the orders issued in F. D. Memorandum No. 1963 CR-903/ IV-R-II dated 17-8-66 are further pleased to decide as under in respect of Government servants who are governed by the Family Pension Scheme 1966.

(i) For a period of 7 years from the date of death or till the date on which the (Government servants would have reached the normal superannuation had he remained alive whichever period is shorter. the aforesaid orders will be at 50% of the basic pay last drawn, subject to maximum of twice the pension admissible under para 4 of the F. D. Memorandum of 17-8-1966 referred to above.

Note 1. – The term "Basic Pay" for this purpose means pay as defined in Rule 9 (21) of Fundamental Rules [M.P.E.D. No. 349/CR/3852/IV/R-II/69. dated 22-2-1969]

Note 2. – in the case of "death occurring upto 15-12-1967, as the age of superannuation if to be taken as 58 years, as the age of superannuation was reduced lo 55 years will effect from 15-12-1967.

[M. P.F.D. No.1147/2515/IV/R-II/68. dated 3-7-1968]

(ii) The Pension payable thereafter will be at the rates laid down in para 4 of the F.D. Memorandum 17-8-1966 mentioned above.

(iii) These orders will not be applicable if the Government servant had put in less than 1 year of continuous service prior to his death.

(iv) The other provisions in the existing orders will continue to operate.

Note.- In the case of a person who dies while on extension of service, the date upto which the extension of service has been sanctioned to him before his death will be deemed to be the normal date of superannuation.

(v) The orders in this paragraph will have effect from the 1st November. 1966.

(vi) These orders will not be applicable to those Government Servants who are governed by the workman Compensation Act.

(vii) Government servant who may have opted on or alter the 17 th August, 1966 to retain the old Family Pension Rules. Applicable to them and who may now like to opt for the family pension scheme for the State Government Employees. 1966 in view of the additional benefits mentioned above may exercise fresh options of Family Pension Scheme for the State Government Employees. 1966 up to 15-2-1967.

3. The families of the Government Servant who died on or after the 1st April 1966 or may die after upto the 16 th February. 1967 without exercising an option for the Family Pension Scheme as required in Paras 8 or 9 of F. D. memo of 17-8-1966 referred to above will be sanctioned family pension under the Rules beneficial 10 them.

[M.P.F. D. No. 2661/IV/R-II/66. dated 15-11-1966]

(10)

परिवार पेंशन की दरें-
 
(i) दिनांक 1 जून, 1976 से-  
शासकीय सेवक का वेतन मासिक परिवार पेंशन की राशि
(i) रु. 400/- से कम वेतन का 30% न्यूनतम रु. 60/- अधिकतम रु. 100/-
(ii) रु. 400/- तथा अधिक किन्तु वेतन का 15% न्यूनतम रु. 100/- अधिकतम रु. 160/-
रु. 1200/- से अधिक नहीं  
(iii) रु. 1200/- से अधिक वेतन का 12% न्यूनतम रु. 160/- अधिकतम रु. 250/-

 

(11)
चौधरी वेतन आयोग को अनुशंसाओं पर परिवार पेंशन की राशि का निर्धारण
पुनरीक्षित वेतनमानों के वेतन खण्ड
रु.
परिवार पेंशन की दर
रु.
400 तक
150
401 से 600
175
601 से 800
200
801 से 1000
225
1001 से 1200
250
1201 से 1400
275
1401 से 1600
300
1601 से 1800
325
1801 से 2000
350
2001 से 2200
375
2201 से 2400
400
2401 से 2600
425
2601 से 2800
450
2801 से 3000
475
3001 से और उससे अधिक
500
 
(2) ऐसे शासकीय सेवकों में मामले में जिनकी सेवा में रहते मृत्यु हो जाए, प्रथम सात वर्ष तक उनके परिवार को परिवार पेंशन के रूप में मृत कर्मचारी द्वारा आहरित अन्तिम वेतन का 50% या उसे उस सेवा की भारिता प्रदान करने के पश्चात् जो वह अधिवार्षिकी आयु तक करता उसके द्वारा आहरित अन्तिम वेतन के आधार पर परिगणित पेंशन की रकम, जो भी कम हो, स्वीकार की जावेगी। परंतु यह रकम पैरा 2 (1) के अन्तर्गत जो परिवार पेंशन की पात्रता आती हो उससे कम न हो। [[...] शब्द जोड़े गये। वि.वि. क्र. एफ. बी. 6/6/क्र. एफ. बी. 6/6/83/नि-2 चार, दिनांक 8-12-83।]
(3) ऐसे सेवा निवृत्ति कर्मचारियों के परिवारों की, जिनकी सेवा निवृति के पश्चात् मृत्यु हो जाये, सात वर्ष की आरम्भिक अवधि तक या उस तारीख तक, जब तक कि मृत व्यक्ति जीवित रहने की दशा में 66 वर्ष की आयु प्राप्त करता, इनमें जो भी अवधि पहले हो, परिवार पेंशन उस पूर्ण गेंशन की दर से दी जावेगी जो मृत व्यक्ति को सेवानिवृत्ति पर मंजूर की गई हो। परन्तु यह रकम पैरा 2 (1) के अन्तर्गत, जो परिवार पेंशन की पात्रता आती हो उससे कम न हो।
3. यह आदेश उन कर्मचारियों के मामले में लागू होंगे जो दिनांक 1-4-81 के पश्चात् चौधरी वेतनमानों में वेतन/भत्ते प्राप्त करते हुए दिवंगत होते हैं। उन कर्मचारियों के मामले में जो चौधरी वेतनमानों में वेतन/भत्ते प्राप्त नहीं करते हैं विद्यमान व्यवस्थायें यथावत लागू रहेंगी।
[वित्त विभाग क्र. एफ. बी. 6/6/83/नि-2/चार, दिनांक 10-5-1983]
 
(12)
पुनरीक्षित वेतनमान, 1987 में वेतन की पात्रता प्राप्त कर
सेवानिवृत्त/दिवंगत हुये कर्मचारियों के परिवार को परिवार पेंशन
मध्यप्रदेश सिविल सेवायें (पेंशन), नियम, 1976 के नियम 47 (2) में परिवार पेंशन की दरों को प्रावधानित किया है। इसके पश्चात् वर्ष 1983 में चौधरी वेतन आयोग की अनुशंसाओं के आधार पर वित्त विभाग के ज्ञापन क्र. एफ. बी. 6/6/83/नि-2/चार, दिनांक 10-5-83 द्वारा परिवार पेंशन की नई दरें निर्धारित की गई। राज्य शासन ने दिनांक 1 जनवरी, 1986 से अपने कर्मचारियों के वेतनमानों का पुनरीक्षण किया है। वेतनमानों के पुनरीक्षण के फलस्वरूप परिवार परिवार पेंशन की दरों में भी परिवर्तन किया जाना आवश्यक समझा गया है। अतः राज्य शासन ने इस सम्बन्ध में निर्णय लिया है कि दिनांक 1-1-1986 को या उसके पश्चात् पुनरीक्षित वेतनमान, 1987 में वेतन/भत्तों के पात्र शासकीय सेवकों के दिवंगत होने पर परिवार पेंशन की दरें निम्नानुसार होंगी-
 
पुनरीक्षित वेतनमानों में वेतनखण्ड परिवार पेंशन की दर
(1) रु. 1500/- प्रतिमाह वेतन का 30 प्रतिशत, न्यूनतम रु. 250/- प्रतिमाह
(2) रु. 1500/- प्रतिमाह से अधिक तथा रु. 3000/- प्रतिमाह तक वेतन का 20 प्रतिशत, न्यूनतम रु. 450/- प्रतिमास
(3) रु. 3000/- प्रतिमास से अधिक अधिकतम रु. 850/- प्रतिमास । वेतन का 15 प्रतिशत न्यूनतम रु. 600/- प्रतिमास

2. मध्यप्रदेश सिविल सेवायें (पेंशन) नियम 1976 के नियम 47 के उपनियम 3 (ए) के प्रावधान के अनुसार ऐसे शासकीय सेवक, जिनकी सात वर्ष की लगातार अर्हकारी सेवा करने के पश्चात् सेवा में रहते मृत्यु हो जाती उनके परिवार को प्रारंभिक सात वर्ष या जीवित रहने की दशा में शासकीय सेवक 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, इनमें जो भी पहले हो, की अवधि के लिये परिवार पेंशन की राशि उनके अन्तिम वेतन का .50 प्रतिशत या सामान्य परिवार पेंशन की दुगुनी दर, इसमें जो भी कम हो, देय होती है। उपनियम 3 (बी) के प्रावधान के अनुसार शासकीय सेवक की सेवानिवृत्ति के पश्चात् मृत्यु हो जाने की स्थिति में उसके परिवार को प्रारंभिक 7 वर्ष या जीवित रहने की स्थिति में पेंशनर 65 वर्ष की आयु प्राप्त करता, इसमें जो भी पहले हो, तक के लिये उसके अन्तिम वेतन का 50 प्रतिशत या सामान्य परिवार पेंशन की दुगुनी दर, इसमें जो भी कम हो, परिवार पेंशन देय होती है, किन्तु शर्त यह है कि ऐसी पेंशन उस पेंशन से अधिक नहीं होगी जो उसकी सेवानिवृत्ति पर स्वीकार की होती हो। नियमों के उपरोक्त प्रावधान इन आदेशों के अन्तर्गत देय परिवार पेंशन के प्रकरणों में लागू होंगे।

 
(13)
परिवार पेंशन योजना, 1966 का क्रियान्वयन
उपरोक्त विषय में, वित्त विभाग के ज्ञापन क्रमांक एफ. बी. 6/6/85/नि-2/चार, दिनांक 17-2-36 द्वारा मध्यप्रदेश सिविल सर्विसेस (पेंशन) रूल्स, 1976 के नियम 47 के उपबन्धों के अनुसार शासन की परिवार पेंशन योजना 1966 की प्रसुविधा दिनांक 1.4.66 के पूर्व सेवानिवृत्त अथवा मृत या परिवार पेंशन योजना, 1966 से बाहर रहने वाले पेंशनरों के भुगतान के लिये अपनायी जाने वाली प्रक्रिया का उल्लेख वित्त विभाग के उक्त ज्ञापन दिनांक 17-2-86 की कंडिका 4 (अ) तथा (ब) में किया गया है। उक्त ज्ञाप की कंडिका 4 (ब) के अनुसार परिवार पेंशन के लिये आवेदन-पत्र निर्धारित प्रपत्र में प्राप्त होने पर कार्यालयाध्यक्ष (Head of office) आवेदन-पत्र में दिये गये ब्यौरों का सत्यापन करेंगे तथा मध्यप्रदेश सिविल सर्विसेज (पेंशन) रूल्स, 1976 के नियम 47 के अन्तर्गत देय परिवार पेंशन की राशि की गणना करेंगे। अविज्ञप्त कर्मचारियों के मामलों में वे इस ज्ञाप के परिशिष्ट -2 में बताये प्रपत्र में इस प्रकार परिगणित परिवार पेंशन की स्वीकृति प्रदान कर आवेदन-पत्र मय गणनापत्रक, स्वीकृति आदेश, एवं अन्य आवश्यक अभिलेख के साथ महालेखाकार को भेजेंगे। विज्ञप्ति अधिकारियों के मामलों में प्राप्त आवेदन-पत्र मय गणनापत्रक एवं अन्य आवश्यक अभिलेख के साथ प्रकरण विभागाध्यक्ष को भेजेंगे। विभागाध्यक्ष ज्ञाप दिनांक 17-2-86 के परिशिष्ट-2 में बताये प्रपत्र अनुसार स्वीकृति प्रदान कर स्वीकृति आदेश की एक प्रति के साथ प्रकरण महालेखाकार को भेजेंगे।
2. महालेखाकार मध्यप्रदेश ने शासन को अवगत कराया है कि विभागीय अधिकारियों द्वारा उपर्युक्तानुसार निर्धारित प्रक्रिया का अनुसरण नहीं किया जा रहा है। परिवार पेंशन के आवेदन-पत्र तथ्यों/विवरणों के सत्यापन किये बिना ही महालेखाकार को भेज दिये जाते हैं। उक्त ज्ञाप के परिशिष्ट (1) की कंडिका (15) में उल्लेखित कागजात भी परिवार पेंशन प्रकरणों के साथ नहीं भेजे जाते अथवा अपूर्ण भेजे जाते हैं। मृत्यु प्रमाण-पत्र संलग्न नहीं किये जाते हैं। यदि संलग्न भी किये जाते हैं तो वे निर्धारित प्रारूप में नहीं होते हैं। इस प्रकार अपूर्ण जानकारी के कारण परिवार पेंशन के प्रकरणों के निराकरण में महालेखाकार के कार्यालय में कठिनाई होती है व पत्राचार में अनावश्यक विलम्ब होता है अतः यह निर्देशित किया जाता हैकि कार्यालय प्रमुख-विभागाध्यक्ष यह सुनिश्चित करें कि इन आदेशों के अन्तर्गत प्राप्त पत्रों के सम्बन्ध में निर्धारित प्रक्रिया का अनुसरण किया जाये व आवेदन पत्रों के साथ निम्न प्रमाण-पत्र/संलग्न कर महालेखाकार को अवश्य भेजे जाए-
(1) सेवानिवृत्ति आदेश की प्रति ।
(2) शासकीय कर्मचारी का मृत्यु प्रमाण-पत्र (निर्धारित प्रारूप में)।
(3) शासकीय कर्मचारी के पेंशन भुगतान आदेश की प्रति।
(4) पात्र बच्चों की जन्म-तिथि का प्रमाण-पत्र ।
(5) अन्य कोई प्रमाण-पत्र जो दर्शाते हों कि आवेदक वास्तविक दावेदार है।
3. वित्त विभाग के उपरोक्त सन्दर्भित ज्ञापन दिनांक 17-2-86 की कंडिका 6 के अनुसार इन आदेशों के अन्तर्गत देय परिवार पेंशनभोगियों को समाज कल्याण विभाग द्वारा जारी समाजिक सुरक्षा पेंशन की पात्रता नहीं है। जिन मामलों में ऐसे पेंशनभोगी को सामाजिक सुरक्षा पेंशन का भुगतान किया गया है, उसका समायोजन इन आदेशों के अन्तर्गत देय राशि में से किया जाना है। अतः आवेदक को सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्राप्त हो रही अथवा नहीं इसका स्पष्ट उल्लेख, आवेदक से कराया जाकर, जानकारी सत्यापित होना, अनिवार्य होने से यह निर्णय लिया गया कि वित्त विभाग के ज्ञापन दिनांक 17-2-86 के परिशिष्ट -एक के कालम 10 के नीचे का कॉलम 10 (ए) तथा परिशिष्ट -2 के कॉलम 12 के नीचे कॉलम 13 संलग्न प्रारूप के अनुसार जोड़ा जाए।
4. वित्त विभाग के ज्ञापन दिनांक 17-2-86 के परिशष्ट-2 के कॉलम-7 में आवेदक द्वारा नई परिवार पेंशन योजना, 1966 को अपनाने का विकल्प दिया था अपना नहीं इस विषय की स्पष्ट जानकारी भी प्रकरण के निराकरण हेत आवश्यक है। अतः उक्त ज्ञाप के संलग्न परिशिष्ट -2 में इस प्रयोजनार्थ आवश्यक संशोधन कर एक नया कॉलम 7-ए संलग्न संशोधन के अनुसार जोड़ा जाये।
5. वित्त विभाग के उक्त ज्ञाप दिनांक 17-2-86 के अनुक्रम में वित्त विभाग के ज्ञापन क्रमांक एफ. बी. 6/6/85/नि-2/चार, दिनांक 28-2-87 के संलग्न परिशिष्ट में पेंशनर की सेवानिवृत्ति तिथि को प्राप्त अंतिम वेतन का उल्लेख किया जाना भी आवश्यक है। इसकी पूर्ति हेतु विभाग के ज्ञाप दिनांक 28-2-2987 के परिशिष्ट के कॉलम 4 को संलग्न संशोधन के अनुसार संशोधित किया जाये तथा यह आवेदन पत्र भी महालेखाकार को उस कार्यालय प्रमुख के माध्यम से भेजा जाये जहाँ से सरकारी कर्मचारी सेवानिवृत्त हुआ हो।
6. उपरोक्त प्रकार किये गये संशोधन के अनुसार परिशिष्ट 1, 2 एवं वित्त विभाग के ज्ञाप दिनांक 28-2-87 के संलग्न परिशिष्ट का पुनरीक्षित प्रारूप, संलग्न हैं।
7. समस्त विभागाध्यक्षों/कार्यालय प्रमुखों को पुनः निर्देशित किया जाता है कि वे उनके विभाग/ कार्यालय से सम्बन्धित परिवार पेंशन के आवेदनपत्रों पर वित्त विभाग के उक्त ज्ञाप दिनांक 17-2-86 सहपठित ज्ञापन दिनांक 28-2-1987 तथा इस ज्ञाप में दिये गये निर्देशों के अनुसार शीघ्रता से कार्यवाही सम्पन्न कराने की व्यवस्था की जाए।
[वित्त विभाग ज्ञापन क्र. एफ. बी. 6/6/86/नि-2/चार, दिनांक 28-4-1988]
नियम -47
परिशिष्ट
कर्मचारी द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाला, उसकी मृत्यु के बाद पेंशन वितरण का नामांकन
(वि. वि. क्र. एफ. बी. 6/6/185/नि/दो/चार दिनांक 28.2.37 के पैरा (3) में उल्लेखित)
सेवा में,
महालेखाकार
(लेखा तथा हकदारी)
(मध्यप्रदेश) ग्वालियर
दिनांक 1-1-66 के पूर्व सेवानिवृत्त शासकीय पेंशन भोगियों को परिवार पेंशन योजना 1966 के अनुसार परिवार पेंशन स्वीकृत करने विषयकः
महोदय,
निवेदन है कि मैं म.प्र. शासन, वित्त विभाग/ज्ञाप क्र. 6/6/85/नि-2/चार दिनांक 17-2-86 की कन्डिका (3) के अनुसार, मेरी मृत्यु के बाद, परिवार पेंशन की पात्रता होती है मेरे परिवार का विवरण नीचे दिया गया है।
(1) पेंशन भोगी का नाम …………………………….
(2) पेंशन भोगी का पद …………………………….
(3) पेंशन भोगी की मृत्यु की दशा में …………………………….
पत्नी /पति (जैसी स्थिति हो) और  
पेंशन भोगी के बच्चों के नाम तथा विवरण  
अनु. नाम पेंशन भोगी से सम्बन्ध जन्मतिथि
(1)
(2)
(3)
(4)
(5)
     
 
(4) आवेदक के पेंशन भुगतान आदेश ................................................................
का क्रमांक/दिनांक…………………………………………………………………
(5) कार्यालय/विभाग जिसमें आवेदक/
पेंशन भोगी ने सेवानिवत्ति के पर्व सेवा
की हो और उसके द्वारा धारित अन्तिम पद (1) ……………………………………..
अन्तिम वेतन (2) …………………………………….....
(6) (i) सेवा निवृत्ति तिथि .……………………………………………………………
(ii) मासिक पेंशन की राशि रु. ………………………….........................................
(7) पेंशन भुगतान आदेश जारी करने वाला अधिकारी ……………………………………..
(8) कृपया निम्न संलग्न करें :-
(i) आवेदक और उसकी पत्नी/ पति (जैसी भी स्थिति हो) के साथ पासपोर्ट साइज अभिप्रमाणित फोटो (तीन प्रतियों में) (ii) आयु का प्रमाण पत्र - (दो अभि प्रमाणित प्रतियों सहित) तथा जिसमें बच्चों की जन्म तिथि भी दी गई हो जो नगर प्राधिकरण, स्थानीय पंचायत, या मान्यता प्राप्त विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा अधिप्रमाणित हो जहां बच्चा पढ़ रहा है।
(9) निम्न लिखित द्वारा अधिप्रमाणित
 
नाम पूरा पता  हस्ताक्षर
(1)    
(2)    
(10) साक्षी    
नाम पूरा पता  हस्ताक्षर
(1)    
(2)    
 
(11) कोषालय या सरकारी बैंक की शाखा का नाम जहां से पेंशन प्राप्त कर रहे हैं।
(12) संलग्न प्रमाण पत्रों की सूचि
(1) पेंशन भुगतान आदेश की प्रमाणित प्रति
(2) परिवार ऐंशन के पात्र बच्चों की जन्मतिथि का प्रमाण
दिनांक भवदीय
  …………………..

 

(14)
विषयः राज्य शासन के निगमों/उपक्रमों/स्वशासी संस्थाओं/मंडलों/निकायों आदि में संविलियनित सेवानिवृत्त कर्मचारियों की कम्यूट की गई पेंशन के 1/3 हिस्से का प्रत्यावर्तन (Restoration).
मध्यप्रदेश शासन, वित्त विभाग के ज्ञाप क्रमांक एफ-बी. 17/1/आर-2/1/55, दिनांक 31.7.1985 के अनुसार मध्यप्रदेश सिविल सेवा (पेंशन का कम्प्यूटेशन) नियम, 1976 के प्रावधानों के अन्तर्गत जिन पेंशनरों ने अपनी पेंशन का 1/3 हिस्सा कम्यूट कराया है, उनके द्वारा 70 वर्ष की आयु पूर्ण करने के अगले माह से पेंशन का कम्यूट किया गया हिस्सा प्रत्यावर्तित किया जाता है। यह व्यवस्था दिनांक 1.7.85 से प्रभावशील है। मध्य प्रदेश सिविल सेवा (पेंशन का कम्युटेशन) नियम, 1996 में दिनांक 18.2.2000 से संशोधन के फलस्वरूप ऐसे किसी भी पेंशनर का, जिसने उसकी पेंशन का एक भाग कम्यूट किया हो, उस मास के, जिसमें वह 75 वर्ष की आयु पूर्ण करता है या सेवानिवृत्ति की तारीख से 15 वर्ष के पश्चात्, जो भी पश्चात्वर्ती हो, उसके आगामी मास के प्रथम दिन को उसकी पेंशन का कम्यूट किया गया हिस्सा प्रत्यावर्तित (Restore) हो जायेगा।
2. राज्य शासन के निगमों/उपक्रमों/स्वशासी संस्थाओं/मंडलों/निकायों आदि में संविलियनित सेवानिवृत्त कर्मचारियों, जिन्होंने संविलियन की तिथि पर अपनी सम्पूर्ण पेंशन के 1/3 हिस्से के कम्यूटेड मूल्य के साथ 2/3 पेंशन को समर्पित करते हुए एकमुश्त राशि (अर्थात् 100% कम्यूटेड मूल्य) प्राप्त कर लिया है, उन्हें वित्त विभाग के उक्त ज्ञाप दिनांक 31.7.1985 के अनसार पेंशन के 1/3 हिस्से के प्रत्यावर्तन (Restoration) की पात्रता नहीं है। केन्द्र सरकार ने ऐसे पेंशन भोगियों को, जिनका संविलियन केन्द्र सरकार के निगमों/उपक्रमों में हुआ है एवं जिन्होंने 1/3 हिस्से के कम्यूटेड मूल्य के साथ 2/3 पेंशन को समर्पित करते हुए एकमुश्त राशि (अर्थात् 100% कम्यूटेड मूल्य) प्राप्त कर लिया था, उसकी 1/3 पेंशन को दिनांक 1.4.85 अथवा कम्यूटेशन की तारीख से 15 वर्ष, जो. भी बाद में हो, से प्रत्यावर्तित (Restore) करने का निर्णय लिया है।
3. शासन ने विचारोपरान्त निर्णय लिया है कि ऐसे संविलियनित सेवानिवृत्त कर्मचारियों, जिन्होंने अपनी पेंशन मध्यप्रदेश सिविल सेवा (पेंशन का कम्यूटेशन) नियम, 1976 के प्रावधानों के अंतर्गत कम्यूट कराई है, को 70 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर एवं दिनांक 18.2.2000 के बाद के मामलों में 75 वर्ष की आयु पूर्ण करने या सेवानिवृत्ति की तारीक से 15 वर्ष के पश्चात् जो भी पश्चात्वर्ती हो, उसके आगामी मास के प्रथम दिन से पेंशन के 1/3 हिस्से के प्रत्यावर्तन (Restoration) का लाभ दिया जाए।
4. राज्य शासन के ऐसे संविलियनित सेवानिवृत्त कर्मचारी जो केन्द्र/राज्य शासन के निगम/उपक्रम/ स्वशासी संस्था/मंडल/निकाय आदि में संविलियनित हुए हैं, जहाँ पेंशन की योजना संचालित है एवं जिनके मामलों में 100% कम्यूटेड मूल्य जमा किया जाकर राज्य शासन की सेवा को सम्मिलित कर निगम/उपक्रम स्वशासी संस्ता/मंडल/निकाय आदि से पेंशनरी लाभ प्राप्त किए हैं, उन्हें राज्य शासन की सेवा की पेंशन के 1/3 हिस्से के प्रत्यावर्तन (Restoration) का लाभ देय नहीं होगा।
5. राज्य शासन के निगमों/उपक्रमों/स्वशासी संस्थाओं/मंडलों/निकायों आदि में संविलियनित ऐसे कर्मचारियों को कम्यूट की गई पेंशन के 1/3 हिस्से को प्रत्यावर्तित (Restorc) करने के लिए संलग्न प्ररूप में अपने उस कार्यालय को जहाँ से सेवानिवृत्त होकर पेंशन का कम्यूटेड मूल्य प्राप्त किया है, आवेदन करना होगा।
6. ऐसे प्रकरणों में जहाँ संविलियनित शासकीय सेवक जिन्होंने दिनांक 1.7.85 को अथवा उसके पश्चात् कम्यूटेशन के दिनांक से 70 वर्ष की आयु प्राप्त कर ली है और बाद में मृत हो गये हैं उसके वैधानिक उत्तराधिकारी द्वारा निर्धारित प्ररूप में आवेदन करने पर दिनांक 1.7.85 अथवा कम्यूटेशन के दिनांक से 70 वर्ष की आयु पूर्ण करने के दिनांक से, जो भी बाद में हो, संविलियनित कर्मचारी की मृत्यु की दिनांक तक एरियर्स प्राप्त करने के पात्र होंगे। इस प्रयोजन हेतु वैध उत्तराधिकारियों को उस कार्यालय को निर्धारित प्ररूप में आवेदन करना होगा जहाँ से संविलियनित कर्मचारी सेवानिवृत्त हुआ था।
7. संबंधित कार्यालय पेंशनर के स्वत्व का सुसंगत अभिलेखों से सत्यापन कर संबंधित संभागीय संयुक्त संचालक, कोष लेखा एवं पेंशन/कोषालय अधिकारी को भुगतान आदेश (P.P.0.) जारी करने के लिए प्रकरण प्रेषित करेगा।
8. संबंधित संभागीय संयुक्त संचालक, कोष लेखा एवं पेंशन/कोषालय अधिकारी प्रकरण का नियमानुसार परीक्षण कर पेंशन के 1/3 प्रत्यावर्तित हिस्से का पेंशन भुगतान आदेश (P.P.O.) जारी करेगा।
9. संविलियन के समय स्वीकृत मूल पेंशन काल्पनिक रूप से वित्त विभाग के निम्नलिखित आदेशों के प्रकाश में पुनरीक्षित की जावेगी :-
1. F.B.-6-3-(iii)-87/नियम-2/चार, दिनांक 27.10.87
2. F.B.-6-1/89/R-II/IV, दिनांक 25.1.1989
3. F.B.-6/4/88/नि-2/चार, दिनांक 31.3.1989
4. F.B.-6-1(i)/90/R-II/IV, दिनांक 5.2.1990
5. E.B.-6-1(iii)/90/R-II/IV, दिनांक 5.2.1990
6. B.-25/6/98/PWC/IV (भाग-2), दिनांक 14 जुलाई, 1998 ।
उपरोक्त आदेशों के अनुसार पुनरीक्षित की गई पेंशन के 1/3 हिस्से की गणना कर प्रत्यावर्तन (Restoration) की कार्यवाही की जावेगी। कम्यूटेड पेंशन के 1/3 हिस्से के प्रत्यावर्तन (Restoration) के दिनांक पर न्यूनतम पेंशन का लाभ अनुज्ञेय नहीं होगा। अर्थात् गणना करने पर कम्यूटेड पेंशन का 1/3 हिस्सा न्यूनतम पेंशन से कम आता है तो कम राशि की ही पात्रता होगी।
10. पुनरीक्षित पेंशन के 1/3 हिस्से के प्रत्यावर्तन (Restoration) का लाभ कम्यूटेड हिस्से के प्रत्यावर्तन (Restoration) के दिनांक से देय होगा.
11. महंगाई राहत पुनरीक्षित पूरी पेंशन (Full pension) पर देय होगी अर्थात् वह पुनरीक्षित पेंशन जो संविलियनित कर्मचारी की 1/3 कम्यूटेड हिस्से के प्रत्यावर्तन (Restoration) के दिनांक को प्राप्त हुई होती यदि उसने संविलियन पर एक मुश्कत भुगतान प्राप्त न किया होता।
12. पेंशन प्राधिकृतकर्ता अधिकारी द्वारा इन प्रकरणों में भुगता अधिकृत किये जाने हेतु पी.पी.ओ. तैयार करते समय पी.पी.ओ. के ऊपर स्पष्टतः “निगमों/उपक्रमों/स्वशासी संस्थाओं/मण्डलों/निकायों आदि में संविलियनित" लिखा जाये तथा पी.पी.ओ. में मूलतः स्वीकृत पूरी पेंशन एवं पेंशन के 1/3 कम्यूटेड हिस्से का भी उल्लेख किया जाये।
13. कम्यूटेड पेंशन के 1/3 हिस्से के प्रत्यावर्तन (Restoration) के मामलों में संविलियनित कर्मचारी के परिवार के सदस्य राज्य शासन से परिवार पेंशन की मांग करने के पात्र नहीं होंगे क्योंकि शासकीय सेवक के संविलियन पर परिवार पेंशन की पात्रता के संबंध में शासकीय सेवक पृथक निर्देशों से शासित होते हैं। अतः यह सुनिश्चित किया जाये कि संविलियनित कर्मचारी के परिवार के सदस्यों को पी.पी.ओ. में परिवार पेंशन भुगतान के बारे में कोई उल्लेख न किया जाय।
संलग्न-प्रपत्र-1
प्रपत्र
प्रति,
………………………
………………………
विभाग/कार्यालय का नाम
(पेंशन स्वीकृत कर्ता प्राधिकारी)
विषयः- राज्य शासन के निगमों/उपक्रमों/स्वशासी संस्थाओं/मंडलों/निकायों आदि में संविलियनित सेवानिवृत्त कर्मचारियों की कम्यूट की गई पेंशन के 1/3 हिस्से का प्रत्यावर्तन (Restoration).
महोदय,
मेरे द्वारा ................................................................. (संस्था का नाम) में संविलियन पर 100% कम्यूटेड मूल्य की राशि एकमुश्त प्राप्त की गई है। वित्त विभाग के ज्ञाप क्रमांक ................ दिनांक ............ में निहित शर्तों के अधीन कम्यूट की गई पेंशन का 1/3 हिस्सा प्रत्यावर्तित (Restore) किये जाने का अनुरोध है।
2. सुसंगत अभिलेखों सहित आवश्यक विवरण निम्नानुसार है:-
 
1. नाम : ………………………
2. जन्म दिनांक : ………………………
3. उस कार्यालय का नाम जहाँ संविलियन के पूर्व कार्यरत थेः ………………………
4. अर्हकारी सेवाओं के विवरण :  
(अ) शासकीय सेवा में कार्यभार ग्रहण करने का दिनांक : ………………………
(ब) संविलियन के फलस्वरूप शासकीय सेवा, छोड़ने का दिनांक ………………………
(स) शासन के अंतर्गत की गई कुल अहंकारी सेवा जो : ………………………
संविलियन पर अनुपातिक पेंशन स्वीकृत की जाने  
हेतु हिसाब में ली गई थी  
5. राज्य शासन के निगम/उपक्रम/स्वशासी संस्था/मंडल/ : ………………………
निकाय में संविलियन का दिनांक (संविलियन की निबंधन ………………………
एवं शर्तों की एक प्रति संलग्न की जाये)  
6. संविलियन के समय राज्य शासन के अंतर्गत धारित पदनाम/ ………………………
मूलवेतन/वेतनमान  
7. संविलियन के समय आय : ………………………
8. स्वीकृत अनुपातिक पेंशन की राशि (प्राधिकृत पत्र की प्रतिः संलग्न की जाये) ………………………
9. कम्यूट की गई पेंशन की राशि एवं भुगतान का दिनांक : ………………………
प्राधिकारी जिसके द्वारा भुगतान हेतु प्राधिकार पत्र जारी  
किया गया  
  आवेदक के हस्ताक्षर
 
 
वचन-पत्र
मैं ........ ………………………........................... एतद्द्वारा घोषणा करता/करती हूँ कि इस आवेदन पत्र में दी गई जानकारी मेरे विश्वास एवं ज्ञान के अनुसार सत्य, पूर्ण एवं सही है। मैं समझता/समझती हूँ कि बाद में यह जानकारी असत्य अथवा अशुद्ध पाई जाने की स्थिति में, मैं पेंशन की पूरी प्रत्यावर्तित राशि एवं महंगाई राहत राशि शासन को प्राप्ति के दिनांक से वापिसी के दिनांक तक सामान्य भविष्य निधि के लिए लागू दर से ब्याज सहित एकमुश्त वापिस करने के लिए बाध्य रहूँगा/ रहूँगी।
 
दिनांक ………………………..…  
पत्राचार का पता..………………… आवेदक के हस्ताक्षर
……………………………………  

 

(15)
विषय :- संविलयनित वृद्ध पेंशनरों को अतिरिक्त पेंशन का लाभ देने बावत्
मध्यप्रदेश शासन वित्त विभाग के ज्ञापन क्रमांक एफ 9/9/2006/नियम/चार, दिनांक 5.1.2007 द्वारा राज्य शासन के निगमों/उपक्रमों/स्वशासी संस्थाओं/मंडलों/निकायों आदि में संविलयनित सेवानिवृत्त कर्मचारियों की सारांशीकरण की गई पेंशन के 1/3 हिस्से के प्रत्यावर्तन के निर्देश दिये गये हैं।
2. उपरोक्त तारतम्य में राज्य शासन द्वारा संविलयनित वृद्ध पेंशनरों को निम्नानुसार अतिरिक्त पेंशन की पात्रता दी जाती है :-
 
पेंशनर/परिवार पेंशनर की उम्र अतिरिक्त राशि
(1) (2)
80 वर्ष से अधिक तथा 85 वर्ष से कम 1/3 प्रत्यावर्तित पेंशन का 20%
85 वर्ष से अधिक तथा 90 वर्ष से कम 1/3 प्रत्यावर्तित पेंशन का 30%
90 वर्ष से अधिक तथा 95 वर्ष से कम 1/3 प्रत्यावर्तित पेंशन का 40%
95 वर्ष से अधिक तथा 100 वर्ष से कम 1/3 प्रत्यावर्तित पेंशन का 50%
100 वर्ष या उससे अधिक 1/3 प्रत्यावर्तित पेंशन का 100%
यह आदेश जारी होने के दिनांक से प्रभावशील होंगे।  

[म.प्र.शासन वि.वि.क्र. एफ. 9-9/2006/नियम/चार दिनांक 15 जुलाई 2014]

 
(16)
विषयः राज्य शासन के सेवानिवृत्त संविलियनितों को परिवार पेंशन योजना का लाभ देने बाबत्
राज्य शासन के ऐसे कर्मचारी शासन के निगमों/उपक्रमों/स्वायत्तशासी संस्थाओं/मंडलों/निकायों आदि में संविलियन हुए तथा उनकी पेंशन का निर्धारण म.प्र. सिविल सर्विसेज (पेंशन) नियम, 1976 के नियम 34 के अन्तर्गत, अपेन्डिक्स - II में दर्शाये, वित्त विभाग के आदेश दिनांक 28-6-1973 एवं 18-5-76 में निहित निर्देशों के अनुसार किया गया। इस सेवानिवृत्त संविलियनितों के परिवार को परिवार पेंशन योजना का लाभ दिये जाने का मामला कुछ समय से शासन के विचाराधीन था।
2. समुचित विचारोपरान्त शासन ने यह निर्णय लिया है कि सेवानिवृत्त संविलियनितों को निम्न शों/प्रतिबंधों के अधीन परिवार पेंशन का लाभ दिया जाए :-
(अ) जिन सेवानिवृत्त संविलियनितों की, संविलियन के समय शासन में 10 वर्ष से कम अर्हताकरी सेवा होने से सेवा उपदान (Service Gratuity) की पात्र थी, उन्हें परिवार पेंशन की पात्रता नहीं होगी।
(ब) शासन के निगम/उपक्रम/स्वायत्तशासी संस्था/मंडल/निगम आदि में पेंशन/परिवार पेंशन की योजना लागू है एवं संविलियनित कर्मचारी उपक्रमों से सेवानिवृत्त होकर उपक्रम की पेंशन ले रहा है तो उसकी मृत्यु पर परिवार पेंशन उपक्रम के द्वारा ही मंजूर/स्वीकृत की जावेगी। उपक्रम में पेंशन/परिवार पेंशन योजना नहीं होने पर एवं पेंशन/परिवार पेंशन योजना होते हुए सेवानिवृत्त संविलियनित उसकी पात्रता नहीं रखता हो, तो ऐसी स्थिति में शासन की परिवार पेंशन योजना का लाभ मिलेगा। आशय यह है कि परिवार पेंशन केवल एक ही स्त्रोत से मिलेगी।
(स) परिवार पेंशन का निर्धारण सेवानिवृत्ति/संविलियन के समय शासन में प्राप्त अंतिम उपलब्धियों पर किया जावेगा।
3. परिवार पेंशन प्राधिकृत करने के लिए निम्नानुसार प्रक्रिया अपनाई जावेगी -
(अ) सेवानिवृत्ति संविलियनित यदि जीवित है, अथवा मृतक संविलियनित का परिवार संलग्न निर्धारित प्रपत्र-एक में आवेदन (दो प्रति में) कार्यालय प्रमुख (जहां से संविलियन के समय पेंशन स्वीकृत हुई हो) को करेगा। इस संबंध में आवेदक के पास जो भी प्रमाणित अभिलेख जैसे शासन के उपक्रम में संविलियन के आदेश की प्रति/महालेखाकार/मु/व.ले.अ. (पें) संभागीय संयुक्त संचालक, कोष लेखा एवं पेंशन से जारी अंतिम प्रतिवेदन/पेंशन गणना पत्रक/पी.पी.ओ. की प्रति संलग्न करें।
(ब) कार्यालय प्रमुख, ऐसे प्राप्त आवेदनों में दी गई जानकारी का परीक्षण करेगा एवं कार्यालय में उपलब्ध अभिलेख से प्रमाणीकरण करने के पश्चात् संलग्न (परिशिष्ट -दो) में आवश्यक स्वीकृति जारी करेगा।
4. संभागीय संयुक्त संचालक, कोष लेखा एवं पेंशन द्वारा प्रकरणों की छानबीन पश्चात् परिवार पेंशन प्राधिकृत करने के संबंध में निम्न कार्यवाही की जावेगी :-
(अ) ऐसे सेवानिवृत्त संविलियनित जो अभी जीवित हैं एवं कोषालय से प्रतिमाह पेंशन ले रहे हैं उनकी परिवार पेंशन उसी पी.पी.ओ. क्रमांक पर प्राधिकृत की जावेगी, इसके लिये जिला कोषालय अधिकारी को संशोधन प्राधिकार - पत्र भेजा जावेगा, इसके साथ अभिप्रणाणित संयुक्त छायाचित्र भी सलंग्न भेजे जावेंगे।
(ब) ऐसे सेवानिवृत्त संविलियनित जो अभी जवित हैं परन्तु वे जिला कोषालय से नियमित पेंशन इसलिए नहीं ले रहे हैं, कि उन्होंने अपनी स्वीकृत संपूर्ण पेंशन का लघुकरण (Commutation) कराकर एक मुश्त पूंजीकृत मूल्य प्राप्त कर लिया है उनके पी.पी.ओ. आगे भुगतान नहीं होने से जिला कोषालय अधिकारी द्वारा महालेखाकार/विभागीय प्राधिकारी को वापस कर दिये गये होंगे तथा ऐसे प्रकरणों में परिवार पेंशन का भुगतान भी सेवानिवृत्त संविलियनित की मृत्यु से अगले दिनांक से होगा। जिला कोषालय पर परिवार पेंशन के लिये नया पी.पी.ओ. जारी किया जाएगा। भुगतान करने के पहले यह शर्त पी. पी. ओ. पर अंकित की जाये कि, सेवानिवृत्त संविलियनित का मृत्यु प्रमाणपत्र प्राप्त कर लें।
(स) ऐसे सेवानिवृत्त संविलियनित जिनकी मृत्यु इस आदेश के जारी होने के पूर्व हो चुकी है, उनके परिवार को परिवार पेंशन इस आदेश के प्रसारण की तिथि से देय होगी। जिला कोषालय पर नया पी.पी. ओ. परिवार पेंशनभोगी के नाम से जारी किया जावेगा।
(द) प्राधिकार पत्र जारी करने की सूचना कार्यालय प्रमुख एवं आवेदक को भी दी जावेगी।
5. म.प्र. सिविल सर्विसेज (पेंशन) नियम, 1976 के नियम 34 में संदर्भित अपेडिक्स-में दर्शाये वित्त विभाग के ज्ञापन दिनांक 28-6-1973 एवं दिनांक 18-5-1976 के क्रमशः पैरा - 2 (डी) एवं 8 के वर्तमान प्रावधान एतद्द्वारा विलोपित किये जाते हैं। पेंशन नियमों में यथा स्थान संशोधन पृथक् से जारी किया जावेगा।
 
परिशिष्ट - एक
परिवार पेंशन के लिये आवेदन-पत्र (दो प्रतियों में)
प्रति,
………………………
………………………
(कार्यालय प्रमुख का नाम)
विषय - परिवार पेंशन प्राधिकृत करने के संबंध में।
महोदय,
निवेदन है कि म.प्र. शासन, वित्त विभाग के ज्ञापन क्रमांक................. दिनांक.............. अनुसार परिवार पेंशन प्राधिकृत करने के संबंध में जानकारी निम्नानुसार है :-
 
(1) सेवानिवृत्त संविलियनित कर्मचारी का पूरा नाम ………………………
(2) शासन से सेवानिवृत्ति/संविलियन की तारीख ………………………
(3) शासन के उपक्रम का नाम जिसमें संविलियन हुआ ………………………
(4) शासन के उपक्रम से सेवानिवृत्त (यदि हुआ तो) की तारीख ………………………
(5) संविलियन/सेवानिवृत्ति के समय शासन में ………………………
अंतिम उपलब्धियां (प्रमाण सहित) ………………………
(6) पी.पी.ओ. क्रमांक ………………………
(7) पी.पी.ओ. किसने जारी किया ………………………
(8) शासन द्वारा स्वीकृत पेंशन की राशि ………………………
(9) कोषालय का नाम जहां पेंशन प्राधिकृत हुई ………………………
(10) पेंशन प्रतिमाह प्राप्त कर रहे हैं अथवा संपूर्ण ………………………
पेंशन की एकमुश्त राशि ली  
(11) यदि सेवानिवृत्त/संविलियनित कर्मचारी की ………………………
मृत्यु हो गई तो तारीख (प्रमाणपत्र संलग्न करें)  
(12) परिवार पेंशन की जिसे पात्रता है, उसका नाम ………………………
(13) सेवानिवृत्त /संविलियत का नाम/परिवार पेंशनर का संबंध ………………………
 (14) जिला कोषालय का नाम जहां से परिवार पेंशन लेना चाहते हैं। ………………………

मैं सत्यनिष्ठा/शपथपूर्वक घोषणा करता हूँ मेरे द्वारा ऊपर दी गई समस्त जानकारी मेरे पास उपलब्ध अभिलेखों पर आधारित एवं सही है।

आवेदक के हस्ताक्षर
पूरा पता…………………....
…………………................
दूरभाष क्रमांक....................
टीप :- संलग्न करें- अभिप्रमाणित छायाचित्रों की प्रतियाँ, नमूना हस्ताक्षर, कद एवं पहचान चिन्ह उपलब्ध प्रमाणित अभिलेख आदि।
परिशिष्ट -दो
कार्यालय प्रमुख द्वारा भरा जाए
 
(1) सेवानिवृत्त/संविलियनित कर्मचारी का नाम एवं पद ……………………………..
(2) जन्म तिथि ……………………………..
(3) शासकीय सेवा में प्रथम नियुक्ति ……………………………..
(4) सेवानिवृत्ति/संविलियन की तारीख ……………………………..
(5) किस उपक्रम में संविलियन हुआ ……………………………..
(6) संविलियन के समय शासन से प्राप्त अंतिम उपलब्धियाँ ……………………………..
(7) सेवानिवृत्ति/संविलियन की तिथि पर स्वीकृत पेंशन ……………………………..
(8) नियमित पेंशन ले रहे हैं अथवा एकमुश्त कम्युटेशन का लाभ लिया ……………………………..
(9) संविलियनित कर्मचारी की मृत्यु की तारीख (यदि हुई हो तो)  
प्रमाणपत्र सहित  
(10) जिला कोषालय का नाम जहाँ से परिवार पेंशन लेना चाहता हैं  
(11) परिवार पेंशनभोगी का नाम एवं संबंध  
(12) परिवार पेंशन की राशि  
(13) उपक्रम में परिवार पेंशन की पात्रता है या नहीं  
(प्रमाणपत्र संलग्न करें)  
(14) अन्य विवरण यदि हो तो  
  कार्यालय प्रमुख के हस्ताक्षर/सील

 

नियम - 47
परिशिष्ट -1
वित्त विभाग क्र. एफ. बी. 6/6/85/नि-2/चार
दिनांक 17.2.86 के पैरा 4 () के अनुसार आवेदन का प्ररूप
सेवा में :-
……………………………..
……………………………..
विषय - 1.4.66 के पूर्व सेवानिवृत्त/मृत कर्मचारी को परिवार पेंशन नियम 1966 के अनुसार परिवार पेंशन की स्वीकृति बाबत
महोदय,
(1) निवेदन है कि मैं मध्यप्रदेश शासन वित्त विभाग के ज्ञा.प्र.क्र एफ बी. 6/6/85/नि-2/चार, दिनांक 17.2.86 के अनुसार परिवार पेंशन योजना 1966 के अन्तर्गत परिवार पेंशन स्वीकृति हेतु आवेदन करता हूँ/करती हूं :-
(2) आपेक्षित विवरण नीचे दिये हैं :-
(1) आवेदक/आवेदिका का नाम
स्थिति (i) विधुर/विधवा/नाबालिग
(ii) संरक्षक
(2) आवेदक का पूरा पता
(3) विधवा/विधुर/दिवंगत शासकीय कर्मचारी/पेंशन भोगी के बच्चों के नाम तथा आयु.
क्रमांक नाम दिवंगत व्यक्ति से सम्बन्ध जन्म तिथि
(1)
(2)
(3)
(4)
     
 
(4) दिवंगत शासकीय कर्मचारी का नाम
(5) शासकीय कर्मचारी पेंशन भोगी के दिवगंत होने की तिथि
(मृत्यु प्रमाण पत्र संलग्न करे)
(6) कार्यालय/विभाग जहां दिवगंत
शासकीय कर्मचारी/पेंशनर सेवानिवृत्ति पूर्व कार्यरत था-
(7) दिवगंत द्वारा धारित पद
आदेश क्रमांक/दिनांक
(8) पेंशन भुगतान आदेश जारी करने वाला अधिकारी
(9) यदि आवेदक संरक्षक है तो उसका नाम
तथा कर्मचारी से सम्बन्ध तथा,
(10) क्या आवेदक (संरक्षक के अतिरिक्त)
पेंशन भोगी है, यदि हां तो मासिक पेंशन
(a) क्या आवेदक सामाजिक सुरक्षा पेंशन भोगी
है, यदि हां तो समाजिक सुरक्षा पेंशन का
भुगतान प्रारम्भ होने का दिनांक तथा राशि
(11) कृपया निम्न सलंग्न करें :-
(i) आवेदक के नमूने के विधिवत प्रमाणित, दो हस्ताक्षर
(ii) आवेदक की पास पोर्ट साइज के दो विधिवत प्रमाणित फोटो
(iii) यदि आवेदक पढ़ा लिखा न हो तो बायें हाथ के अंगूठे तथा उंगलियों के निशान दो प्रतियों में तथा विधिवत प्रमाणित
(iv) आवेदक की विधिवत प्रमाणित विवरण पंजी :                    
(क) जिसमें आवेदक का कद (उंचाई)
(ख) वेयक्तिक चिन्ह
(कम से कम दो) (दो प्रतियों में)
(v) आयु का प्रमाण पत्र (कर्मचारी के बच्चों का)
(दो अभिप्रमाणित प्रतियों में)
अनुक्रमांक नाम जन्मतिथि
(1)
(2)
   

यह प्रमाण पत्र नगर प्राधिकरण/स्थानीय पंचायत/ मान्यता प्राप्त विद्यालय के प्रधान अध्यापक का जिसमें बच्चा पढ़ रहा है, का होना चाहिये।

(12) निम्नलिखित द्वारा अभिप्रमाणित :
 
नाम पता हस्ताक्षर
(1)
(2)
   
    
(13) साक्षी (1) ................................. .................................
  (2) ................................. .................................
 
(14) कोषालय या सरकारी बैंक की शाखा का नाम
जहां से परिवार पेंशन का भुगतान होगा
(15) संलग्न किये प्रमाण/साक्ष्य
(i) सेवानिवृति आदेश को अनुप्रमाणित प्रति (1) .................................
(ii) शासकीय कर्मचारी की मृत्यु का प्रमाण पत्र (2) .................................
(iii) शासकीय कर्मचारी के पेंशन भुगतान आदेश की प्रति (3) .................................
(4) पेंशन के लिये पात्र बच्चों की जन्मतिथि का प्रमाण पत्र (4) .................................
(5) अन्य कोई प्रमाण पत्र जो यह दर्शावे के आवेदक (5) .................................
वास्तविक दावेदार है  

भवदीय

(आवेदक के हस्ताक्षर)
नाम तथा पूरा पता
नोट :अधि प्रमाणन दो शासकीय राजपत्रित अधिकारियों द्वारा किया जाना चाहिए?
परिशिष्ट (2)
Form of Sanction of Family Pension (As per para 4 (B) Finance Department memo no F. B. 6/6/85/नि/IV/दिनांक 17.2.86)
 
(1) Name. of Government Servant ……………………….
(2) Father/Husband's Name ……………………….
(as the case may be)  
(3) Religion ……………………….
(4) Last appointment held including ……………………….
name of establishment  
(5) Date of Joining Service ……………………….
(6) Date of ending service and reason ……………………….
thereof eg retirement/Death etc  
(7) Pension Rules eligible ……………………….
(7a) Whether the Government servant ……………………….
opted for new Family Pension Scheme 1966  
[Added vide govt of MP F. D. No. F B 6/6/86/R-II/IV dated 28.4.88]
(8) Length of continuous qualifying service ……………………….
(9) Last pay drawn ……………………….
(10) Amount of Family Pension admissible ……………………….
(11) Date from which pension will commence ……………………….
(12) Name of Treasury where pension is payable ……………………….
(13) Whether the applicant/ Pensioner is in receipt ……………………….
of social security Pension ? of yes, indicate ……………………….
the date of commencement and amount of ……………………….
pension paid so fer  

The undersigned having satisfying himself to the above particulars of late shri/smt. ...................... hare by grants Rs....................... as family pension to shri/smt .................. subject to admissibility under rules by Accountant general.

Signature and designation
of sanctioning Authority
 
(17)
विषय : संविलयनित वृद्ध पेंशनरों को अतिरिक्त पेंशन का लाभ देने बाबत।
मध्यप्रदेश शासन, वित्त विभाग के ज्ञापन क्रमांक एफ 9/9/2006/नियम/चार, दिनांक 05-01.2007 द्वारा राज्य शासन के निगमों/उपक्रमों/स्वशासी संस्थाओं/मंडलों/निकायों आदि में संविलयनित सेवानिवृत्त कर्मचारियों की सारांशीकरण की गई पेंशन के 1/3/हिस्से के प्रत्यावर्तन के निर्देश दिये गये हैं।
2. उपरोक्त तारतम्य में राज्य शासन द्वारा संविलयनित वृद्ध पेंशनरों को निम्नानुसार अतिरिक्त पेंशन की पात्रता दी जाती है-
 
पेंशनर/परिवार पेंशनर की उम्र अतिरिक्त सशि
80 वर्ष से अधिक तथा 85 वर्ष से कम 1/3 प्रत्यावर्तित पेंशन का 20%
85 वर्ष से अधिक तथा 90 वर्ष से कम 1/3 प्रत्यावर्तित पेंशन का 30%
90 वर्ष से अधिक तथा 95 वर्ष से कम 1/3 प्रत्यावर्तित पेंशन का 40%
95 वर्ष से अधिक तथा 100 वर्ष से कम 1/3 प्रत्यावर्तित पेंशन का 50%
100 वर्ष या उससे अधिक 1/3 प्रत्यावर्तित पेंशन का 100%
यह आदेश जारी होने के दिनांक से प्रभावशील होंगे।  

[म.प्र. शासन वि.वि. क्र. एफ 9-9/2006/नियम/चार दिनांक 15 जुलाई 2014]