Updated: Feb, 26 2021

Rule 46 of M.P.Civil Services (Pension) Rules, 1976

नियम 46. नामांकन (Nomination) - (1) पेंशन योग्य सेवा अथवा पद अपनी प्रारंभिक नियुक्ति होने पर शासकीय सेवक, नियम 44 के उपनियम (1) के खण्ड (बी) अथवा उपनियम (2) के अधीन मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति उपदान प्राप्त करने का अधिकार एक अथवा एक से अधिक व्यक्तियों को प्रदत्त करते हुए फार्म 1 अथवा फार्म 2 में, प्रकरण की परिस्थितियों के अनुरूप, जो भी उचित हो, नामांकन प्रस्तुत करेगाः

परन्तु यह कि यदि नामांकन करते समय-

(i) शासकीय सेवक का परिवार है तो उसके परिवार के सदस्यों से भिन्न अन्य किसी व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के पक्ष में नामांकन नहीं होगा; अथवा

(ii) शासकीय सेवक का परिवार नहीं है तो किसी व्यक्ति अथवा व्यक्तियों अथवा व्यक्तियों के निकाय चाहे निगमित हों अथवा नहीं, के पक्ष में नामांकन किया जा सकता है।

(2) यदि शासकीय सेवक उपनियम (1) के तहत एक से अधिक व्यक्तियों को नामांकित करता है तो प्रत्येक नामित व्यक्ति को देय राशि का हिस्सा, नामांकन में इस प्रकार निर्दिष्ट करेगा कि उपदान की सम्पूर्ण राशि पूरी हो जाए।

(3) शासकीय सेवक नामांकन में व्यवस्था कर सकता है-

(i) किसी निर्दिष्ट नामांकित व्यक्ति के सम्बन्ध में जिसकी मृत्यु उस शासकीय सेवक से पूर्व हो जाए अथवा जिसकी मृत्यु शासकीय सेवक की मृत्यु के बाद परन्तु उपदान का भुगतान प्राप्त करने के पर्व हो जाय तो उस नाम निर्देशिती (Nominee) को प्रदत्त अधिकार ऐसे अन्य व्यक्ति को स्थानान्तरित हो जाएंगे जैसा कि नामांकन में निर्दिष्ट किया गया है:

परन्तु यह कि यदि नामांकन करते समय शासकीय सेवक के परिवार में एक से अधिक सदस्य हैं तो इस प्रकार निर्दिष्ट व्यक्ति उसके परिवार के सदस्य के अतिरिक्त कोई दूसरा व्यक्ति नहीं होगाः

परन्तु यह और भी कि जहां शासकीय सेवक के परिवार में केवल एक ही सदस्य है और उसके पक्ष में नामांकन किया गया है, तब किसी भी व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के निकाय चाहे निगमित हों अथवा न हों, के पक्ष में वैकल्पिक नाम-निर्देशित अथवा नाम-निर्देशितियों का नामांकन करने का शासकीय सेवक को अधिकार होगाः

(ii) यह कि नामांकन, उसमें उपबन्धित आकस्मिकता के घटित हो जाने की दशा में अविधिमान्य (Invalid) हो जाएगा।

(4) नामांकन करते समय जहाँ शासकीय सेवक का कोई परिवार नहीं है अथवा जहाँ उसके परिवार में केवल एक ही सदस्य है, उपनियम (3) के खण्ड (i) के द्वितीय परन्तुक के अधीन उस शासकीय सेवक द्वारा किया गया नामांकन, शासकीय सेवक के द्वारा पश्चात्वर्ती परिवार अथवा परिवार में एक अतिरिक्त सदस्य अर्जित कर लेने की दशा में, अविधिमान्य (Invalid) हो जाएगा।

(5) शासकीय सेवक किसी भी समय, उपनियम (7) में उल्लेखित प्राधिकारी को लिखित सूचना देकर नामांकन निरस्त करा सकता है परन्तु यह कि वह ऐसी सूचना के साथ, इस नियम के अनुसार एक नया नामांकन भेजेगा।

(6) उपनियम (3) के खण्ड के अधीन नाम-निर्देशन में नामिनी जिसके पक्ष में कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया है, की तुरन्त मृत्यु हो जाने की दशा में अथवा कोई घटना-घटित हो जाने पर जिसके कारण इस उपनियम के खण्ड (ii) के अनुसरण में नाम-निर्देशन अविधिमान्य (Invalid) हो जाता है तो शासकीय सेवक उपनियम (7) में उल्लेखित प्राधिकारी को लिखित में नाम-निर्देशन निरस्त करने की एक सूचना भेजेगा और उसके साथ ही इस नियम के अनुसार एक नया नाम निर्देशन देगा।

(7) (ए) इस नियम के अधीन शासकीय सेवक द्वारा किया गया प्रत्येक नामांकन का निरस्तीकरण नोटिस सहित, यदि कोई दिया हो, कार्यालय प्रमुख को भेजा जाएगा। 

(बी) खण्ड (ए) में संदर्भित नामांकन प्राप्त होने पर तुंरत प्राप्ति का दिनांक उपदर्शित करते हुए कार्यालय प्रमुख उसे प्रतिहस्ताक्षरित करेगा और उसे अपनी अभिरक्षा में रखेगा। 

(सी) (i) अराजपत्रित शासकीय सेवकों के नामांकन फार्मों को प्रतिहस्ताक्षरित करने के लिये कार्यालयवाह का प्रमुख उसके अधीनस्थ किसी राजपत्रित अधिकारी को अधिकृत कर सकता है।

(ii) शासकीय सेवक की सेवा पुस्तिका में नामांकन प्राप्ति की यथोचित प्रविष्टि की जाएगी।

(8) शासकीय सेवक द्वारा किया गया प्रत्येक नामांकन तथा निरसन हेतु दी गई प्रत्येक सूचना उपनियम (7) में उल्लिखित प्राधिकारी द्वारा जिस दिनांक को प्राप्त होगी उस दिनांक से वह प्रभावशील मानी जाएगी।

राज्य शासन अनुदेश

विषयः- पेंशनरों के जीवन प्रमाण पत्र के संबंध में

संदर्भ:- भारत सरकार, कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय, पेंशन एवं पेंशन भोगी कल्याण विभाग का अर्धशासकीय पत्र क्र. 1/20/2016 P&PW(E) दिनांक 24 जून, 2016

कृपया उक्त संदर्भित पत्र दिनांक 24 जून, 2016 का अवलोकन करें । भारत सरकार द्वारा निर्देशित किया गया है कि पत्र में उल्लेखित शेड्यूल अनुसार दिसम्बर, 2016 तक प्रत्येक माह एक केम्प आयोजित कर पेंशनरों को "जीवन प्रमाण" के माध्यम से "डिजिटल प्रमाण पत्र" से प्राप्त होने वाले लाभ के संबंध में अवगत कराया जाये ।

2. आपसे अनुरोध है कि पेंशनर्स/पारिवारिक पेंशनर्स के खाते आधार से लिंक कराने एवं "डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र" प्रस्तुत करने संबंधी समुचित कार्यवाही सुनिश्चित करने हेतु निर्देशित करें।

[म.प्र.शा.वि.वि. क्रमांक : एफ 9-7/2016/नियम/चार, दिनांक 4 जुलाई, 2016]

विषय- राज्य शासन के पेंशनरों/परिवार पेंशनरों के लिए डिजीटल जीवन प्रमाण-पत्र (Digital Life Certificate) की व्यवस्था लागू किया जाना

विषयान्तर्गत भारत सरकार. वित्त मंत्रालय. नई दिल्ली के परिपत्र क्रमांक CPAO/Tech/ Amdt-Sch-Book/2014-15 दिनांक 10.11.2014 द्वारा केन्द्र सरकार के पेंशनरों को पेंशन भुगतान की योजना में किये गये संशोधन को प्रदेश के पेंशनरों/परिवार पेंशनरों के लिए भी लागू किये जाने का राज्य शासन द्वारा निर्णय लिया गया है। इस व्यवस्था में Aadhaar based Biometric Authentication के आधार पर ऑनलाईन जीवन प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जाना संभव होगा। यह व्यवस्था ऐसे पेंशनरों/परिवार पेंशनरों के लिए ही लागू होगी, जिनके पास आधार नंबर उपलब्ध है।

2. पेंशनर्स/परिवार पेंशनर्स द्वारा "बायोमेट्रिक औथेंटिकेशन" (Biometric Authentication) तथा डिजीटल जीवन प्रमाण पत्र के लिए निम्नानसार कार्यवाही की जाना होगी :-

(अ) डिजीटल जीवन प्रमाण-पत्र (Digital Life Certificate) को जनरेट (Generate) करने हेतु पेंशनर्स/परिवार पेंशनर्स द्वारा वेबसाईट www.jeevanpramaan.gov.in से संबंधित एप्लीकेशन एन्ड्रायड टैब/स्मार्टफोन/विन्डोज कम्प्यूटर पर डाउनलोड की जा सकेगी। पेंशनर्स/परिवार पेंशनर्स, फिंगर प्रिंट स्केनर/आईरिस स्केनर (Finger Print Scanner/Iris Scanner) प्राप्त कर एन्ड्रायड टैब/स्मार्टफोन/विन्डोज कम्प्यूटर के यूएसबी (USB) पर प्लग-इन (plug-in) कर स्वयं का आधार नंबर, बैंक खाता नंबर तथा मोबाईल दूरभाष नंबर दर्ज कर स्वयं को पंजीकृत कर रियल टाईम (Real Time) में “बायोमेट्रिक औथेंटिकेशन" स्वयं कर सकेंगे।

(ब) पेंशनर्स/परिवार पेंशनर्स वेबसाईट पर जाकर लोकेट सेन्टर (Locate Centre) के माध्यम से अपने निकटतम CSC (Common Service Centre) या बैंक शाखा जहाँ स्केनर की सुविधा उपलब्ध हो, से भी "बायोमेट्रिक औथेंटिकेशन" कर सकेंगे।

3. डिजीटल जीवन प्रमाण-पत्र (Digital Life Certificate) जनरेट करने की कार्यवाही सफलतापूर्वक पूर्ण होने पर पेंशनर्स/परिवार पेंशनर्स को उनके द्वारा प्रदत्त मोबाईल दूरभाष नम्बर पर sms द्वारा ट्रांजेक्शन आईजी प्राप्त होगी। इसके आधार पर पेंशनर्स/परिवार पेंशनर्स कम्प्यूटर जनरेटेड डिजीटल जीवन प्रमाण-पत्र www.jeevanpramaan.gov.in वेबसाईट से प्राप्त कर सकेंगे।

4. यदि कोई पेंशनर/परिवार पेंशनर सिस्टम में पैरा 2 अनुसार पूर्व से ही पंजीकृत है तो ऐसी स्थिति में आगामी वर्ष के नवम्बर माह में डिजीटल जीवन प्रमाण-पत्र (Digital Life Certificate) "बायोमेट्रिक औथेंटिकेशन" करने पर संबंधित बैंक के रेकार्ड में स्वयंमेव अपडेट हो जायेगा।

5. पेंशनर/परिवार पेंशनर संबंधित बैंक शाखा को डिजीटल जीवन प्रमाण-पत्र (Digital Life Certificate) के संबंध में निम्नलिखित विधियों से अवगत करा सकेंगे (बैंक शाखा भी संबंधित पेंशनर/परिवार पेंशनर की डिजीटल जीवन प्रमाण-पत्र संबंधी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे):-

(अ) बैंक शाखायें www.jeevanpramaan.gov.in पर लॉगिन कर पेंशनर/परिवार पेंशनर के जीवन प्रमाण पत्र को उसके द्वारा दिए गए आधार नम्बर, बैंक खाता नम्बर तथा ट्रांजेक्शन आईडी के आधार पर प्राप्त कर सकेंगे।

(ब) कोर बैंकिग सिस्टम के अंतर्गत बैंकों द्वारा डिजीटल लाईफ रजिस्ट्रेशन डिपॉजिटरी से स्वयंमेव संबंधित पेंशनर्स/परिवार पेंशनर्स के डिजीटल जीवन प्रमाण पत्र (Digital Life Certificate) प्राप्त कर, पेंशनर/परिवार पेंशन की जीवित होने की स्थिति को अद्यतन किया जा सकेगा।

(स) पेंशनर्स/परिवार पेंशनर्स संबंधित बैंक शाखा को डिजीटल जीवन प्रमाण पत्र (Digital me Life Certificate) ई-मेल के माध्यम से अथवा sms के माध्यम से बैंक शाखा को ( भेज सकेंगे। बैंक शाखा प्राप्त लिंक के द्वारा डिजीटल जीवन प्रमाण पत्र (Digital Life Certificate) डाउनलोड कर सकेगी।

6. ऐसे पेंशनर्स/परिवार पेंशनर्स जो कि www.jeevanpramaan.gov.in में पंजीकृत हैं, उन्हें sms के द्वारा प्रति वर्ष निर्धारित तिथि को डिजीटल जीवन प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने हेतु स्मरण कराया जाएगा।

7. उक्त नवीन व्यवस्था वर्तमान में प्रचलित व्यवस्था के अतिरिक्त होगी। नवीन व्यवस्था को लागू किए जाने से संबंधित किसी भी प्रक्रियात्मक जानकारी हेतु वेबसाईट www.jeevanpramaan.gov.in पर जाकर अथवा संचालनालय पेंशन, भविष्य निधि एवं बीमा म.प्र. के श्री इन्द्रमणिप्रसाद तिवारी, सहायक प्रोग्रामर से मोबाईल नंबर 9425841355 पर संपर्क किया जा सकता है।

8. यह सुविधा उपलब्ध हो चुकी है, अतः ऐसे पेंशनर्स/परिवार पेंशनर्स जिनके द्वारा अभी तक (माह नवम्बर, 2014) जीवन प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है, इस नवीन व्यवस्था का लाभ ले सकेंगे।

9. मध्यप्रदेश कोषालय संहिता भाग-1 के सहायक नियम 363 में संशोधन की कार्यवाही पृथक से की जायेगी।

[म.प्र. शासन वि.वि. क्र. एफ 9-10/2014/नियम/चार, दिनांक 29 नवम्बर 2014]

विषयः- परिवार पेंशन हेतु प्रपत्र 42 '' के संबंध में।

म.प्र. सिविल सेवाएं (पेंशन) नियम 1976 के नियम 77(iv) के अंतर्गत मध्यप्रदेश कोषालय संहिता के सहायक नियम 374 में वर्णित परिवार पेंशन हेतु निर्धारित प्रपत्र MPTC-42-A में संबंधित आवेदक को बैंक/कोषालय में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने का प्रावधान है।

2. परिवार पेंशन प्रारम्भ करने के लिए परिवार पेंशन के व्यक्तिगत विवरण, जिसमें उसके पहचान चिह्न, नमूना हस्ताक्षर, अंगूठे का निशान, जन्मतिथि/उम्र का प्रमाणिक दस्तावेज पीपीओ में संयुक्त छाया चित्र (फोटो) एवं अधिक भुगतान की वसूली संबंधी घोषणा पत्र प्रपत्र 42-ए के साथ बैंक में प्रस्तुत किया जाना होता है। बैंक में संयुक्त खाता खुलवाते समय पहचान हेतु छाया चित्र (फोटो) आयु, नमूना हस्ताक्षर, पहचान चिह्न, पता आदि के दस्तावेज के.वाई.सी. (Know Your Customer) (अपने ग्राहक को जानो) योजना के तहत प्राप्त किये जाते हैं जिससे पेंशनर की पूर्ण पहचान सुनिश्चित हो जाती है। अतः बैंक में संयुक्त खाता संधारित होने की स्थिति में परिवार पेंशनर प्रारम्भ करने के लिए बैंक में MPTC-42-ए प्रस्तुत करने की आवश्यकता समाप्त की जाती है।

3. सेवानिवृत्ति पश्चात् पेंशन भुगतान हेतु पति/पत्नि के संयुक्त बैंक खाते के न खुले होने की स्थिति में उन परिवार पेंशनर के मामले में प्रक्रिया पूर्ववत ही रहेगी।

[म.प्र. शासन वि.वि. क्र. 9-5/2014/नियम/चार, दिनांक 3.9.2014]

विषय- पति या पत्नी के साथ संयुक्त खाते के माध्यम से पेंशन भुगतान

“सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों द्वारा मध्यप्रदेश शासन के सिविल पेंशन भोगियों के पेंशन की भुगतान योजन" के पैरा 13.9 के अनुसार पेंशनर को उसकी पेंशन व्यक्तिगत बचत/चालू बैंक खाते में जमा कर भुगतान की सुविधा है। पेंशन भुगतान की उक्त योजना की कंडिका 5, 6, 7 एवं 13 में पेंशनरों के बैंक खातों में पेंशन जमा करने की वर्तमान प्रक्रिया वर्णित है, परन्तु विद्यमान योजना के अंतर्गत “संयुक्त या दोनों में से एक या उत्तरजीवी" खाते में जमा की अनुमति नहीं है।

2. शासन द्वारा निर्णय लिया गया है कि पेंशनर के पति या पत्नी, जिसके पक्ष में पी.पी.ओ. में परिवार पेंशन का प्राधिकरण विद्यमान है, के “संयुक्त बैंक खाते" मे पेंशन जमा करने की अनुमति दी जाए। पेंशनर का पति या पत्नी, के साथ संयुक्त खाते (“पहले अथवा उत्तरजीवी" अथवा “दों मे से एक या उत्तरजीवी खाता") के माध्यम से निम्नलिखित शर्तों के अधीन पेंशन का भुगतान किया जा सकता है-

(i) एक बार जब पेंशनर के बैंक खाते में पेंशन जमा हो जाती है तो शासन/बैंक का दायित्व समाप्त हो जाएगा। इसके बाद यदि पति या पत्नी खाते से भूल से राशि आहरित करता है तो बैंक या शासन का कोई दायित्व नहीं रहेगा।

(ii) चूँकि पेशन, पेंशनर के जीवनकाल के लिए ही देय होती है, अतः उसकी मृत्यु की सूचना बैंक को शीघ्रातिशीघ्र दी जाना चाहिए। यह सूचना मृत्यु के एक माह के भीतर अनिवार्यतः दी जाए ताकि पेंशनर की मृत्यु के बाद बैंक संयुक्त खाते में पेंशन जमा करना निरन्तर न रखे। यदि कोई राशि भूल से संयुक्त खाते में जमा हो जाती है तो यह राशि पेंशनर के खाते अथवा अन्य खाते से वसूली योग्य होगी, चाहे यह खाता एकल हो या पति या पत्नि के साथ संयुक्त रूप से हो। कानूनी वारिस, उत्तराधिकारी, निष्पादक, आदि भी संयुक्त खाते में भूल से जमा राशि की वापसी के लिए दायी होंगे।

(iii) संयुक्त खाते की व्यवस्था की स्थिति में भी पेंशन के एरियर्स के लिए नामांकन किलि के अनुसार भुगतान किए जाने के निर्देश लागू होंगे।

3. विद्यमान पेंशन जो उपर्युक्तानुसार संयुक्त खाते में पेंशन जमा कराने हेतु इच्छुक हो वे उस बैंक शाखा, जहाँ से वे पेंशन आहरित कर रहे हैं, को संलग्न प्रपत्र में आवेदन करेंगे। यह आवेदन-पत्र, इस ज्ञाप के निबंधन एवं शर्ते स्वीकार होने की स्वीकृति के प्रतीक स्वरूप, पेंशनर के पति अथवा पत्नी द्वारा भी हस्ताक्षरित किया जाएगा। ह निर्देश ऐसे शासकीय सेवकों को भी लागू होंगे जो यह ज्ञाप जारी हो के बाद सेवानिवृत्त होंगे।

4. विद्यमान योजना ऊपर इंगित किए अनुसार संशोधित समझी जावेगी। योजना में औपचारिक संशोधन यथा समय जारी किया जाएगा।

5. सभी विभागों/विभागाध्यक्षों तथा तभी अधिकृत बैंकों से अनुरोध है कि वे इस ज्ञाप द्वारा लागू व्यवस्ता का पर्याप्त प्रचार एवं प्रसार करें ताकि पेंशनर इस सुविधा का लाभ ले सकें।

[म.प्र. शा. वित्त विभाग क्रमांक एफ-9/9/2006/नियम/चार, दिनांक 04 नवम्बर, 2006]

 

संदर्भ - वित्त विभाग के ज्ञापन क्र. एफ. बी. 6/1/85/नि-2/चार, दिनांक 17-11-1986 एवं क्र. एफ. बी. 6/1/87/नि-2/चार, दिनांक 11-3-1987।

मध्यप्रदेश सिविल सर्विसेज (पेंशन) नियम, 1976 के नियम 45 के अनुसार डी.सी. आर. ग्रेच्युटी का भुगतान उन व्यक्तियों को होगा जिन्हें नियम 36 के अनुसार शासकीय सेवक द्वारा डी.सी.आर. ग्रेच्युटी के लिये नामांकित किया गया है। नियम 46 (7) (सी) (i) के अनुसार डी.सी. आर. ग्रेच्युटी के नामांकन -पत्र की प्राप्ति का इन्द्राज संबंधित कर्मचारी की सेवा पुस्तिका में कार्यालय प्रमुख द्वारा करने का प्रावधान भी निहित है।

(2) पेंशन प्रकरणों की समीक्षा के समय यह पाया गया कि कई कार्यालय प्रमुखों द्वारा संदर्भाकित वित्त विभाग के ज्ञापन क्रमांक एफ. बी. -6/1/5/नि-2/चार, दिनांक 17-11-1986 एवं एफ. बी. 6/1/87/नि-2/चार, दिनांक 11-3-1987 में दिये गये निर्देशों का कड़ाई से पालन नहीं किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप दिवगंत शासकीय कर्मचारियों के डी.सी.आर. ग्रेच्युटी के भुगतान के प्रकरणों में अनावश्यक विलम्ब की स्थिति निर्मित होती है और संबंधित के परिवारजनों को ग्रेच्युटी का भुगातन प्राप्त करने में विलम्ब और कठिनाई होती है। अतः शासन द्वारा यह पुनः निर्देशित किया जाता है कि वित्त विभाग के उक्त ज्ञापन क्रमांक 17-11-86 एवं 11-3-87 में दिय गये निर्देशों का कार्यालय प्रमुखों द्वारा कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए।

[वित्त विभाग क्र. एफ. बी. 6/6/89/नि-2/चार, दिनांक 30-3-89]

मध्यप्रदेश सिविल सेवायें (पेंशन) नियम, 1976 के नियम 46 (7) (सी) (ii) के अनुसार डी.सी.आर. ग्रेच्युटी के नामांकन पत्र की प्राप्ति का इन्द्राज सम्बन्धित कर्मचारी की सेवा पुस्तिका में कार्यालय प्रमुख द्वारा करने का प्रावधान है।

2. पेंशन प्रकरणों की समीक्षा के समय यह पाया गया है कि नियम के उक्त प्रावधान के पश्चात् भी नामांकन पत्रों की प्राप्ति के सम्बन्ध में कार्यालय प्रमुख द्वारा संबंधित कर्मचारी की सेवा पुस्तिका में आवश्यक इन्द्राज नहीं किया जाता है जिनके परिणामस्वरूप दिवगंत शासकीय कर्मचारियों को ग्रेच्युटी भुगतान के प्रकरणों में अनावश्यक विलम्ब की स्थिति निर्मित होती है और उनके परिवारजनों को ग्रेच्युटी का भुगतान प्राप्त करने में कठिनाई होती है तथा पर्याप्त समय लगता है। अतः वित्त विभाग के ज्ञापन क्रमांक एफ. बी. 6/1/85/नि-2/चार, दिनांक 17-11-1986 के तारतम्य में राज्य शासन ने निर्णय लिया है कि प्रत्येक कार्यालय प्रमुख उनके कार्यालय में पदस्थ कर्मचारी द्वारा नामांकनपत्र प्रस्तुत किये जाने की पुष्टि हो जाने पर सम्बन्धित कर्मचारी की सेवा पुस्तिका में निम्नानुसार रबर स्टाम्प इन्ट्री करवायेगा.-

"श्री.......... (नाम तथा पदनाम) द्वारा दिनांक............... को श्री...................... (नामांकित व्यक्ति का नाम एवं पता) के पक्ष में डी.सी. आर. ग्रेच्युटी के लिये नामांकन प्रस्तुत किया गया है।"

सेवा पुस्तिका में संबंधित कर्मचारी की उपस्थिति में उपरोक्तानुसार रबर स्टाम्प एन्ट्री पर कार्यालय प्रमुख द्वारा हस्ताक्षर किये जाएंगे।

शासन द्वारा यह निर्देशित किया जाता है कि जहां किसी कर्मचारी द्वारा नामांकन प्रस्तुत नहीं किया गया हो तो उसे यथाशीघ्र प्राप्त कर इस परिपत्र में दी गई व्यवस्था के अनुसार कार्यवाही कर सेवा पुस्तिका में रबर स्टाम्प एन्ट्री सुनिश्चित करके उसे अभिप्रमाणित कर दें।

[वित्त विभाग क्र. एफ. बी. 6/1/87/नि-2/चार, दिनांक 11 मार्च, 1987]

 

डी.सी.आर. ग्रेच्युटी के नामांकन की प्रविष्टि सेवा पुस्तिका में करने बाबत

म.प्र. सिविल सेवायें (पेंशन) नियम 1976 के नियम 45 के अनुसार डेथ-कम-रिटायरमेंट ग्रेच्युटी का भुगतान उस व्यक्ति या व्यक्तियों को होगा, जिन्हें नियम, 46 के अनुसार शासकीय सेवक द्वारा नामांकित किया गया है। निगम 46 (7) (सी) (ii) के अनुसार डी.सी.आर. ग्रेच्युटी के नामाकंन पत्र की प्राप्ति का इन्द्राज, सम्बन्धित कर्मचारी की सेवा पुस्तिका में कार्यालय प्रमुख द्वारा करने का प्रावधान है।

2. महालेखाकार मध्यप्रदेश, ग्वालियर द्वारा शासन के ध्यान में यह लाया गया है कि नियमों के उक्त प्रावधानों के बावजूद नामांकन पत्रों की प्राप्ति के संबंध में कार्यालय प्रमुख द्वारा सेवा पुस्तिका में आवश्यक इन्द्राज नहीं किया जाता है या संबंधित कर्मचारियों के मामलों में उनके ग्रेच्युटी भुगतान प्रकरणों में अनावश्यक विलम्ब की स्थिति निर्मित होती है और उनके परिवारजनों को भुगतान प्राप्त करने में बहुत कठिनाई होती है तथा पर्याप्त समय लगता है। अतःराज्य शासन एतद्द्वार निर्देश देता है कि प्रत्येक कार्यालय प्रमुख, व्यक्तिगत रूप से इस बात को पुनः सुनिश्चित कर लें कि पेंशन नियमों के नियम 46 के प्रावधानानुसार उनके कार्यालय में पदस्थ प्रत्येक कर्मचारी द्वारा नामंकन प्रस्तुत कर दिया गया है इस तथ्य की सेवा पुस्तिका में भी प्रविष्टि की गई है। शासन द्वारा यह भी निर्देशित किया जाता है कि तथा सेवा पुस्तिकाओं के सत्यापन के समय इन दस्तावेज की भी जांच की जावे। और जहां कहीं किसी कर्मचारी द्वारा नामांकन प्रस्तुत नहीं किया गया है, यह पाया जाता है तो उसे प्राप्त करें व सेवा पुस्तिका में उनकी अभिप्रमाणित प्रविष्टि कर दें।

[वित्त विभाग क्र. एफ. बी.6/1/85/नि-2/चार, दिनांक 17.11-1986]