Updated: Feb, 26 2021

Rule 45A of M.P.Civil Services (Pension) Rules, 1976

नियम 45-ए. किसी व्यक्ति का उपदान प्राप्त करने का विवर्जन (Debarring a person from receiving Gratuity) - (1) यदि कोई व्यक्ति, जो शासकीय सेवक की सेवाकाल के दौरान हुई मृत्यु की दशा में, नियम 45 के प्रावधानों के अनुसार उपदान प्राप्त करने के लिये पात्र है उस शासकीय सेवक की हत्या के अपराध करने अथवा ऐसे किसी अपराध को करने के दुष्प्रेरण के लिये आरोपित किया गया है तो उसके विरुद्ध संस्थित दाण्डिक कार्यवाही की समाप्ति तक उपदान के उसके हिस्से को प्राप्त करने का उसका दावा निलम्बित रहेगा।

(2) यदि सम्बन्धित व्यक्ति, उपनियम (1) में संदर्भित दाण्डिक कार्यवाही की समाप्ति पर-

(ए) शासकीय सेवक की हत्या अथवा हत्या के दुष्प्रेरण करने के लिये सिद्धदोष ठहराया जाता है तो उपदान का उसको हिस्सा प्राप्त करने से विवर्जित कर दिया जाएगा जो कि परिवार के अन्य किन्हीं पात्र सदस्यों को भुगतान योग्य होगा;

(बी) शासकीय सेवक की हत्या के अथवा हत्या के दुष्प्रेरण करने के आरोप से दोषमुक्त कर दिया जाता है तो उपदान का उसका हिस्सा उसे भुगतान हो जाएगा।

(3) उपनियम (1) और उपनियम (2) के प्रावधान नियम 45 के उपनियम (2) में निर्दिष्ट अंसवितरित उपदान को भी लागू होंगे।

राज्य शासन अनुदेश

विषय - मृत शासकीय कर्मचारियों की पत्नियों को उपदान की राशि भुगतान करने के संबंध में।

राज्य शासन के ध्यान में यह तथ्य आया है कि मृत शासकीय सेवकों की पत्नियों को नामांकन के अभाव में उपदान की राशि का भुगतान करने के संबंध में उत्तरदायित्व प्रमाण-पत्र की मांग की जा रही है। इस संबंध में मध्यप्रदेश सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1976 के नियम 45 के उपनियम 1 के खण्ड (ख) (प्रतिलिपि संलग्न) में स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि नामांकन न होने की स्थिति में राशि का भुगतान मृत शासकीय सेवक के उत्तराधिकारियों को मध्यप्रदेश सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1976 के नियम 44 में उल्लिखित क्रम अनुसार किया जाना है। इस क्रम में शासकीय सेवक की पत्नी/पति जैसी भी स्थिति हो, को प्रथमतः भुगतान किया जाना है।

2. वित्त विभाग द्वारा जारी किये गये नियम स्पष्ट हैं। अतः अपने अधीनस्थ कार्यालय प्रमुखों को निर्देशित करें कि उक्त निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जावे तथा अनावश्यक रूप से उत्तराधिकारी प्रमाण-पत्र की मांग न की जावे। यदि इन निर्देशों की अवहेलना करते हुए उत्तराधिकारी प्रमाण-पत्र की मांग की जाती है तो संबंधित आहरण एवं संवितरण के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।

[वित्त विभाग क्र. एफ. 25/50/2001/चार/PWC/दिनांक 28-4-2001]

 

(II) डी.सी. आर. ग्रेच्युटी का नामांकित व्यक्ति या कानूनी उत्तराधिकारी को भुगतान

वित्त विभाग के ज्ञापन क्र. एफ. बी. 6/12/77/आर-दो/चार, दिनांक 28-5-77 द्वारा यह निर्देश दिये गये हैं कि दिनांक 1-6-76 को या उसके पश्चात् मृत शासकीय कर्मचारियों के मामलों में डी.सी. आर. ग्रेच्युटी के दावे म.प्र. सिविल सर्विसेस (पेंशन) रूल्स 1976 में निर्धारित फार्म 17 पर प्रस्तुत किये जाना आवश्यक होगा। इस फार्म 17 के कॉलम 22 का तात्पर्य यह है कि जिन व्यक्तियों को डी.सी. आर. ग्रेच्युटी देय हो, के नाम उसमें दर्शाये जाना है। इसी फार्म के कॉलम 18 में नामांकन है या नहीं यह बताया जाना है तथापि नामांकन न हो तो वैसा कार्यालय प्रमुख द्वारा कॉलम 18 के आयटम (1) में बताया जाना चाहिए। उन्हें कॉलम 22 में यह भी बताना चाहिये कि उसमें अंकित व्यक्ति किस प्रकार डी.सी.आर. ग्रेच्युटी के भुगतान के लिये पात्र हैं अर्थात् नामिनेशन के आधार पर अथवा फार्म 24 पर प्रस्तुत क्षतिपूरक बन्ध (Indemnity Gond) के आधार पर या सक्षम न्यायालय से प्राप्त उत्तराधिकारी प्रमाण-पत्र के आधार पर किन्तु महालेखाकार मध्यप्रदेश, ग्वालियर द्वारा शासन की दृष्टि में यह बात लायी गई है कि शासन के इन निर्देशों का कार्यालय प्रमुखों द्वारा पालन नहीं किया जाता है। इस कारण डी.सी. आर. ग्रेच्युटी के सम्बन्ध में भुगतान आदेश प्रसारण में अनावश्यक देरी होती है। अतः पुन निर्देश है कि उपरोक्त निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाए तथा अधीनस्थ कार्यालय प्रमुखों द्वारा उनका पालन कराया जावे।

[म.प्र. शासन, वित्त विभाग क्र. एफ. बी. 6/19/78/नि-2/चार, दिनांक 25-11-1978]

 

नामिनी अथवा वैध उत्तराधिकारी को भुगतान

According to the C.S. Pension Rules the amount of D. C. R. Gratuity is payable to the nominee or legal heir where no nomination exists. In order to enable the Accountant General to mention the names of recipients of the D. C. R. Gratuity in the Gratuity Payment Order, it is necessary that:

(i) In cases where the Govt. servant died before 1-6-76 the name of the gratuitant should be indicated in the order of sanctioning authority with the clear indication whether the gratuitant is entitled to the amount of the D. C. R. Gratuity as nominee or his title has been accepted on filling of indemnity bond prescribed under Finance Deptt. memo No./B/6/5/74/R-II-IV, dated 22-6-74.

(ii) In case Government servant died on or after 1-6-76 issue of sanction in from 5 of M. P. civil Service (Pension) Ruls, 1976 is not necessary however in all such cases, form 17 of the rules ibid will have to be submitted. Column 22 of this form is meant for mentioning the names of persons to whom D. C. R., Gratuity is payable. In column 18 of the said Form. the fact whether nomination exists will have to be mentioned. However where nomination does not exists this fact should be indicated against the item 18 (i) by the Head of Office. He should also indicate against the same item how the person mentioned in item 22 are entitled to D. C. R. Gratuity i.e. whether they have furnished indemnity bond under the rules ibid or have submitted succession certificate of competent Court of Law.

The Accountant General has informed to the State Government that the above provision of rules generally being not complied with in most of the cases therby making if difficult for him to issue Gratuity Payment Order. All concerned under your control may kindly be asked to follow strictly the above provisions of rules while sending cases to the Accountant General Madhya Pradesh Gwalior.

[F. D. No. E B. 6/12/77/R-II/IV, dt. May. 1977]