Updated: Feb, 21 2021

Rule 45 of M.P.Civil Services (Pension) Rules, 1976

नियम 45. व्यक्ति जिन्हें उपदान देय हैं (Person to whom gratuity is Payable) - (1) (ए) नियम 44 के उपनियम (1) के खण्ड (बी) अथवा उपनियम (2) के अधीन देय उपदान (Gratuity) का भुगतान उस व्यक्ति अथवा व्यक्तियों का होगा जिन्हें नियम 46 के अधीन नामांकन के माध्यम से उपदान प्राप्त करने का अधिकार प्रदत्त किया गया है।

[(बी) यदि ऐसा कोई नामांकन नहीं है या किया गया नामांकन अस्तित्व में नहीं है तो उपदान नीचे उपदर्शिए किये अनुसार संदत्त किया जायेगा-

(ए) यदि नियम 44 के उपनियम (5) के खण्ड (एक), (दो), (तीन) तथा (चार) के अनुसार परिवार के एक या अधिक उत्तरजीवी सदस्य हों तो समस्त उपरजीवी सदस्यों को ऐसे समान अंशों में,

(दो) यदि ऊपर दिये गये उपखण्ड (एक) के अनुसार परिवार में ऐसे कोई उत्तरदायी सदस्य नहीं हो किन्तु नियम 44 के उपनियम (5) के खण्ड (पांच), (छह), (आठ), (नौ), (दस) तथा (ग्यारह) के अनुसार एक या अधिक सदस्य हों तो समस्त ऐसे सदस्यों को समान अंशों में,

(तीन) यदि किसी दशा में उपदान, ऊपर दिये गये उपखण्ड (एक) तथा (दो) में उपदर्शित किये गये अनुसार संदत्त नहीं कि जा सकता हो तो शासकीय सेवक के विधिक वारिसों को।] [नियम 45 का उपनियम(एक) का खण्ड (बी) वित्त विभाग अधिसूचना क्र. एफ. बी. 6/5/86/नि-2/चार/90, दिनांक 15 नवम्बर, 1990 द्वारा संशोधित पुनः अधि. क्र. 1-13-1-9 जे (2) 72 दि. 26.12.06 द्वारा अधि. क्र. 1-13-1-9-जे (2)-72 दि. 26-12-06 से जो राजपत्र में पृष्ठ भाग 4 () दि. 26-1-07 को प्रकाशित हुई, मन्डल ने नियम 45 () यथावश्यक परिवर्तन सहित ग्राहय की।]

टिप्पणी-(विलोपित) वित्त विभाग क्रमांक एफ.बी.6/5/86/नि-2/चार, दि. 15-11-90

[(2) यदि कोई शासकीय सेवक, सेवानिवृत्ति के पश्चात् नियम 44 के उपनियम (1) के खण्ड (ए) के अधीन अनुज्ञेय उपदान प्राप्त किये बिना ही मृत हो जाता है, तो उपदान का संदाय उपनियम (1) के खण्ड (बी) के उपखण्ड (एक), (दो) अथवा (तीन), जैसी भी स्थिति हो, में उपदर्शित किये गये अनुसार किया जाएगा।] [वित्त विभाग अधिसूचना क्र. एफ. बी. 6/5/86/नि-2/चार/90, भोपाल, दिनांक 15 नवम्बर, 1990 द्वारा संशोधित।]

(3) शासकीय सेवक, जिसकी सेवा में रहते अथवा सेवानिवृत्ति के बाद मृत्यु हो जाए, के परिवार की महिला सदस्य का अथवा उसके भाई का उपदान के अंश को प्राप्त करने का अधिकार प्रभावित नहीं होगा यदि शासकीय सेवक की मृत्यु के बाद वह अपना उपदान का अंश प्राप्त करने के पहले, महिला सदस्य विवाह या पुनर्विवाह कर ले अथवा भाई 18 वर्ष की आयु को प्राप्त कर लें।

[(4) जहाँ मृत शासकीय सेवक के परिवार के अवयस्क सदस्य को नियम 44 के अधीन उपदान स्वीकृत किया गया है, वह अवयस्क की और से संरक्षक को देय होगी:

परन्तु यदि किसी विशिष्ट मामले में, संबंधित प्रशासनिक विभाग के कार्यालय प्रमुख की राय में कोई उपयुक्त संरक्षक मिल पाना संभव नहीं है या अवयस्क द्वारा संरक्षक को उपदान का भुगतान किए जाने में आपत्ति की जाती है तब उपदान की रकम डाकघर में बचत बैंक खाते में जमा की जाएगी, जो कलेक्टर और जिला कोषालय अधिकारी द्वारा संयुक्त रूप से चलाया जाएगा एव अवयस्क को उसकी शिक्षा/उपदान आदि के लिए समय-समय पर आवश्यक रकम उपलब्ध करायी जाएगी। अवयस्क को जब वह वयस्क हो जाता है, संपूर्ण अतिशेष रकम का भुगतान करने के पश्चात् बचत बैंक खाता बन्द कर दिया जाएगा] [उपनियम (4) अधिसूचना क्रमांक एफ- 25/238/2000/PWC, 20 दिसम्बर 2001 द्वारा संशोधित पूर्व में उपनियम (4) निम्नानुसार था-

(4)जहाँ मृत शासकीय सेवक के परिवार के अवयस्क सदस्य का नियम 44 के अधीन उपदान स्वीकृत किया गया है वहां अवयस्क की ओर (on behalf of the minor) संरक्षक (Guardian) को भुगतान होगा।]

टिप्पणी . इस मामले में जहां मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति उपदान में का अवयस्क के हिस्से का भुगतान अवयस्क के प्राकृतिक अभिभावक को किया जाना है अथवा अवयस्क के प्राकृतिक अभिभावक के अभाव में, उस व्यक्ति को जो संरक्षकता प्रमाण पत्र पेश करे, स्वीकृत आदेश में प्राकतिक/विधिक संरक्षक का नाम महालेखाकार के ध्यान में लाने के लिए दिया जाना चाहिए इसलिए कि ऐसे मामले में कोई प्राधिकारी जारी करने के पहले उन्हें यह ज्ञात हो सके कि भुगतान किसे किया जाना है।

स्पष्टीकरण- अवयस्क के नैसर्गिक/विधिक संरक्षक की हैसियम से अवयस्क का हिस्सा किसको देय होगा, की विधिक स्थिति निम्नानुसार होगी-

(i) जहां विधिमान्य नामांकन अस्तित्व में नहीं है-

(ए) जब कोई हिस्सा अवयस्क पुत्रों अथवा अवयस्क अविवाहित पुत्रियों को देय हो, उन प्रकरणों को छोड़कर, जहाँ जीवित माता एक मुस्लिम महिला है अथवा सौतेली माता हो, वह जीवित पिता माता को भुगतान किया जाना चाहिए। यद्यपि जहां जीवित पिता-माता नहीं है अथवा जीवित माता मुस्लिम महिला अथवा सौतेली माता है, संरक्षक प्रमाण-पत्र देने वाले व्यक्ति को भुगतान होगा।

(बी) संरक्षकता प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना आवश्यक होगा जहां विधवा अवयस्क पुत्री (पुत्रियों) को हिस्सा भुगातन योग्य है।

(सी) यदि किसी बिरले ही प्रकरण में पत्नी स्वतः अवयस्क ही है तो उसको देय मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति पर उपदान का भुगतान संरक्षकता प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने वाले व्यक्ति को किया जावेगा।

(डी) जहाँ मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति उपदान, अवयस्क भाई अथवा अवयस्क अविवाहित बहन को भुगतान योग्य हो तब भुगतान पिता को अथवा उनकी अनुपस्थिति में हितग्राही की माता को; केवल ऐसे प्रकरण को छोड़कर, जहाँ जीवित माता मुस्लिम महिला है अथवा सौतेली माता है, किया जाना चाहिए। ऐसे प्रकरण में भी, यदि जीवित पिता-माता नहीं है अथवा जीवित माता मुस्लिम महिला अथवा सौतेली माता है, संरक्षकता प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने वाले व्यक्ति को भुगतान होगा। यदि कोई हिस्सा विधवा अवयस्क बहन को भुगतान योग्य है तो संरक्षकता प्रमाण-पत्र का प्रस्तुतीकरण आवश्यक होगा।

(ii) जहाँ विधिमान्य नामांकन अस्तित्व में हैं-

(ए) जहाँ नामांकन परिवार के एक अथवा अधिक सदस्यों के पक्ष में हो तब पैरा (i) में वर्णित स्थिति लागू होगी।

(बी) जहां परिवार नहीं है वहां अधर्मज बच्चा, अविवाहित पुत्री अथवा विवाहित बहन के रूप में नामांकन विधिमान्य होगा। अतएव, स्थिति निम्नलिखित रूप में होगी-

(1) यदि नाम निर्देशिती (Nominee) अधर्मज (Illegitimate) बच्चा है तो हिस्सा माता को भुगतान योग्य होगा और उस (माता) की अनुपस्थिति में संरक्षकता प्रमाण-पत्र का प्रस्तुतीकरण आवश्यक होगा।

(2) यदि हिस्सा विवाहित अवयस्क लड़की को भुगतान योग्य है तब हिस्सा उसके पति को भुगतान योग्य होगा और यदि ऐसी लड़की मुस्लिम है तो धनराशि उस व्यक्ति को भुगतान की जाना चाहिए जो संरक्षकता प्रमाणपत्र प्रस्तुत करें।

टिप्पणी- जिन प्रकरणों में किसी अवयस्क (अवयस्कों) के जीवित पिता-माता नहीं है अथवा जीवित माता मुस्लिम महिला अथवा सौतेली माता है और संरक्षकता प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने में असुविधा और कठिनाई हो सकती है। ऐसे प्रकरणों में, अवयस्क के पक्ष का (In favour of Minor) मृत्युसह-सेवानिवृत्ति उपदान 5000/- रुपये (अथवा जब भुगतान योग्य धनराशि 5000/- रुपये से अधिक है तो प्रथम 5000/- रुपये) तक भुगतान उसके/उसकी वास्तविक संरक्षक (De-factoguardina) को जिसका अवयस्क (अवयस्कों) व्यक्ति और उसके/उसकी सम्पत्ति पर कब्जा है इस आशय के शपथ-पत्र प्रस्तुत करने पर और स्वीकृतकर्ता प्राधिकारी की संतुष्टि के अनुरूप दो जमानतदार के साथ फार्म क्रमांक 23 में सादे कागज पर (स्टाम्प ड्यूटी राज्य शासन द्वारा वहन की जावेगी) इनडेमिनीटी- बांड प्रस्तुत करने के अध्यधीन किया जा सकेगा। रुपये 5000/- से अधिक अतिशेष यदि कुछ हो, संरक्षकता प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने पर ही केवल भुगतान योग्य होगा।