Updated: Feb, 26 2021

Rule 44 of M.P.Civil Services (Pension) Rules, 1976

नियम 44. मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति उपदान (Death-cum-Ritirement Gratuity) - (1) (ए) शासकीय सेवक, जिसने 5 वर्ष की अर्हतादायी सेवा पूर्ण कर ली है और नियम 43 के अधीन सेवा उपदान अथवा पेंशन का पात्र हो गया है तो उसके सेवानिवृत्त होने पर, अर्हतादायी सेवा की प्रत्येक पूर्ण छह माही समयावधि के लिए (For each completed six monthly Period), उसकी उपलब्धियों के एक चौथाई के बराबर, उपलब्धियों के 16-1/2 गुना अधिकतम के अध्यधीन रहते हुए, मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति उपदान स्वीकृत किया जाएगाः

[परन्तु यह कि उन शासकीय सेवकों के मामले में जो अप्रैल, 1981 तथा दिसम्बर, 1988 के मध्य सेवा निवृत्त हुए हैं, मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति उपदान, अधिकतम उपलब्धियों का 15 गुना की शर्त के अधीन, अहंकारी सेवा के प्रत्येक पूर्ण छः माही अवधि हेतु उपलब्धियों का 1/4 भाग के बराबर होगा।] [वित्त विभाग अधिसूचना क्रमांक. बी- 25/9/PWC/IV, दिनांक 17-6-96 द्वारा परन्तुक जोड़ा गया।]

(बी) 5 वर्ष की अर्हतादायी सेवा पूर्ण करने के पश्चात् यदि सेवा में रहते हुए किसी शासकीय सेवक की मृत्यु हो जाती है तो मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति उपदान (Death-cum-Retirement Gratuity) की धनराशि उसकी कुल उपलब्धियों की 12 गुना के बराबर अथवा खण्ड (ए) के अधीन निश्चत् की गई धनराशि, जो भी अधिक हो, होगी और उसका भुगतान नियम 45 में बताई गई रीति से किया जाएगाः

[परंतु यह कि इस नियम के अधीन देय मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति उपदान की धनराशि की सीना वह होगी जैसा कि समय-समय पर शासन द्वारा विनिश्चित किया जाए।] [वित्त विभाग अधिसूचना क्रमांक. बी- 25/9/PWC/IV, दिनांक 17-6-96 द्वारा संशोधित और दिनांक 1-4-81 से प्रभावशील माना गया।]

[टिप्पणी- मृत्यु और सेवानिवृत्ति उपदान की रकम पूर्ण रुपयों में अभिव्यक्त की जायेगी और जहाँ मृत्यु सेवावृत्ति उपदान में रुपये का भाग अन्तर्विष्ट है वहां उसे रुपये के निकटतम उच्चतर रुपये तक पूर्णांकित किया जाएगा।] [वित्त विभाग क्रमांक बी-6/5/87/नि-2/चार, दिनांक 9-1-89 द्वारा स्थापित।]

(2) यदि कोई शासकीय सेवक जो सेवा उपदान अथवा पेंशन के लिये पात्र हो गया है तथा उसकी सेवानिवृत्ति के पश्चात् मृत्यु हो जाती है और उसकी मृत्यु के समय उप नियम (1) के खंड (ए) के अधीन स्वीकृत उपदान के साथ ऐसे उपदान अथवा पेंशन की उसके द्वारा वास्तव में प्राप्त धनराशि, उसकी 12 गुना "उपलब्धियों" के बराबर धनराशि से कम है तो कमी के बराबर उपदान (Gratuity) नियम 45 के उपनियम (1) में विनिर्दिष्ट व्यक्ति अथवा व्यक्तियों को स्वीकृत किया जा सकेगा। यदि मृत्यु के पूर्व किसी शासकीय सेवक ने अपनी पेंशन का कुछ भाग लघुकृत (Commute) करा लिया है तो यह लाभ अनुज्ञेय नहीं होगा।

 

अधिकतम उपदान की सीमा

प्रभावी होने का दिनांक
मासिक उपलब्धियों का गुणक
अधिकतम राशि
शासनादेश जिससे प्रभावशील
1-4-81 के पूर्व
6½ माह की उपलब्धियाँ
25,000/-
म.प्र. सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1976 नियम 44 अनुसार
1-4-81 से
15 माह की उपलब्धियाँ
30,000/-
म.प्र. शासन वि.वि. क्र./एफ.बी./6/5/83/नि-2/चार दिनांक 30.4.1983
31.3.1985 से
15 माह -"-
50,000/-
म.प्र. शासन क्र./एफ.बी./6-8/(1)/85-नि/2/चार दिनांक 27.10.1986
 
1.1.1989 से
16½ गुना
75,000/-
म.प्र. शासन वि. वि. क्र./एफ.बी. 6/1/89/आर-II/IV दिनांक 6.1.1989
1.8.1989 से
16½ गुना
1,00,000/-
म.प्र. शासन वि. वि. क्र./एफ.बी. 6/1/ (ii)/90/R-II/IV दिनांक 23.1.1990
1.4.1995 से
16½ गुना
2,50,000/-
1.1.1996 से
16½ गुना
3,50,000/-
म.प्र. शासन वि.वि. क्र./बी/25/7/98/पी.डब्ल्यू.सी./चार, दिनांक 14.7.1998
1.1.2006 से
16½ गुना
10,00,000/-
1.1.2016 से
16½ गुना
20,00,000/-

 

टिप्पणी 1.- अवशिष्ट उपदान (Residuary Gratuity) केवल तभी स्वीकार्य हैं जब सेवानिवृत्ति के दिनांक से 5 वर्ष के अंदर शासकीय सेवक की मृत्यु हो जाए। इस नियम के अधीन भुगतान योग्य अवशिष्ट उपदान की धनराशि अवधारित करने के लिए मृतक के द्वारा आहरित अस्थायी वृद्धि/तदर्थ वृद्धि अथवा दोनों को हिसाब में लिया जाएगा।

[वित्त विभाग अधिसूचना क्र. बी- 6/5/87/नि-4/चार, दिनांक 9.1.1989 द्वारा प्रतिस्थापित।]

[टिप्पणी 2. अवशिष्ट उपदान की रकम पूर्ण रुपयों में अभिव्यक्त की जाएगी और जहाँ अवशिष्ट उपदान में रुपये का भाग अन्तर्विष्ट है वहाँ उसे रुपये के निकटतम उच्चतर रुपये तक पूर्णांकित किया जाएगा।

(3) टिप्पणी - 3 विलोपित। [वित्त विभाग अधिसूचना क्रमांक बी-25/9/96/PWC/चार, दिनांक 17-6-96]

टिप्पणी - 4 विलोपित । [वि. वि. अधि. क्र. बी- 25-9-96 (PWC/चार दि. 17-6-96]

(5) इस नियम और नियम 45 और 46 के प्रयोजनार्थ शासकीय सेवक के "परिवार" (Family) से अभिप्रेत है-

(i) पुरुष शासकीय सेवक के मामले में उसकी पत्नी;

(ii) महिला शासकीय सेवक के मामले में उसका पति;

(iii) सौतेले पुत्र सहित पुत्र और गोद लिए पुत्र ;

(iv) सौतेली पुत्रियों सहित अविवाहित पुत्रियाँ और गोद ली गई पुत्रियाँ;

(v) सौतेली पुत्रियों सहित विधवा पुत्रियाँ और गोद ली गई पुत्रियाँ;

(vi) पिता/माता उन व्यक्तियों के प्रकरण में जिनका व्यक्तिगत कानून धर्म पिता; एवं धर्म माता बनाने की अनुमति देता है,

(vii) अट्ठारह वर्ष से कम आयु के भाई, सौतेले भाइयों सहित;

(viii) अविवाहित बहनें और विधवा बहनें सौतेली बहनों सहित;"

(ix) विवाहित पुत्रियाँ; और

(x) मृत पुत्र के बच्चे।

शासनादेश

चौधरी वेतन आयोग की सिफारिशों पर राज्य शासन के निर्णय - डी. सी. आर. ग्रेच्युटी की राशि का विलम्ब से भुगतान होने पर ब्याज।

सेवानिवृत्त कर्मचारियों के मामले में डी.सी. आर. ग्रेच्युटी के भुगतान में विलम्ब को टालने एवं प्रशासकीय कारणों से विलम्ब होने की दशा में ब्याज देने के प्रश्न पर चौधरी वेतन आयोग ने विचार कर अनुशंसा की है कि डी.सी.आर. ग्रेच्युटी की राशि, छः माह में भुगतान नहीं की जाती है तो के बाद की अवधि के लिए [12%] [ब्याज की दर 12% की गई। वित्त विभाग क्र. एफ. बी. 6-1 /94/नि-4/चार, देनांक 8-3-94 आदेश दिनांक से प्रभावशील।] [8%] [वि.वि. एफ.09/10/2006/नियम/चार दिनांक 27.01.2007 द्वारा ब्याज दर 12% से घटाकर 8% की गई है। आदेश दिनांक से प्रभावशील।] की दर से साधारण ब्याज दिया जावे। इस तरह भुगतान की गई ब्याज की राशि विलम्ब के लिये उत्तरदायी शासकीय सेवक से वसूली की जावे। 

2. राज्य शासन ने आयोग की इस अनुशंसा को स्वीकार कर यह निर्देश प्रदान किये जाते हैं कि सेवानिवृत्त कर्मचारी के डी.सी.आर. ग्रेच्युटी के भुगतान में देरी होने पर उपरोक्तानुसार ब्याज का भुगतान किया जावे। ब्याज का भुगतान निम्न प्रतिबन्धों के अध्यधीन होगा-

(1) ब्याज की पात्रता, ग्रेच्युटी की राशि देय होने के दिनांक से छः माह के भीतर भुगतान नहीं किये जाने पर होगी तथा ब्याज उपरोक्त छः माह की अवधि के पश्चात् उस महीने के पूर्ववर्ती महीने के अन्त तक देय होगा जिस माह में ग्रेच्युटी भुगतान आदेश जारी हुआ है। उपरोक्त अवधि के लिये पांच प्रतिशत अब 12% (जि. वि. क्र. एफ. बी. 6-1-94/नि-चार) दि. 8.3.94 की दर से साधारण ब्याज देय होगा।

(2) ब्याज की पात्रता उस स्थिति में ही होगी जहाँ यह स्पष्ट रूप से सिद्ध हो जाता है कि डी.सी. आर. ग्रेच्युटी भुगतान में विलम्ब प्रशासकीय कारणों से हुआ है जो सम्बन्धित शासकीय सेवक के नियंत्रण के बाहर थे।

(3) ब्याज भुगतान के प्रत्येक मामले में प्रशासकीय विभाग द्वारा, गुण- दोष के आधार पर विचार कर ब्याज के भुगतान की मंजूरी राज्यपाल के नाम से जारी की जावेगी। जिन मामलों में ब्याज का भुगतान किया जाता है उन सभी में विलम्ब के लिए उत्तरदायित्व निर्धारित करने की कार्यवाही की जाकर ब्याज की राशि विलम्ब के लिए उत्तरदायी शासकीय सेवक/सेवकों से वसूल की जाये। जिन मामलों में ब्याज का भुगतान किया जाना उपयुक्त समझा जाता है किन्तु जहाँ विलम्ब के लिये उत्तरदायित्व का निर्धारण सम्भव न हो वहाँ ब्याज की राशि का भुगतान वित्त विभाग की सहमति के पश्चात् किया जावेगा।

(4) जब किसी सरकारी कर्मचारी की सेवानिवृत्ति की तारीख पर उनके विरुद्ध अनुशासनिक अथवा न्यायिक कार्यवाही लम्बित है तो उन्हें म.प्र. सिविल सेवायें (पेंशन) नियम, 1976 के नियम 64 के अंतर्गत, अन्तिम पेंशन जो अधिकतम पेंशन से अधिक न हो तथा 50% ग्रेच्युटी का भुगतान कार्यालय प्रमुख द्वारा प्राधिकृत किया जा सकता है। यदि कार्यवाही समाप्त होने पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा उपदान देने की अनुमति दी जाती है तो ऐसा उपदान सक्षम प्राधिकारी द्वारा आदेश जारी किये जाने की तारीख से देय समझा जावेगा।

(5) ग्रेच्युटी की बकाया राशियों के ऐसे भुगतान पर ब्याज देय नहीं होगा जो सेवानिवृत्ति के बाद परिलब्धियों में वृद्धि या पेंशन नियमों के उदारीकरण के फलस्वरूप देय हों।

(6) यह आदेश उन्हीं प्रकरणों में लागू होंगे जहाँ डी.सी. आर. ग्रेच्युटी की पात्रता म.प्र. सिविल सर्विसेस (पेंशन) रूल्स, 1976 के अन्तर्गत की गयी हो।

3. यह आदेश जारी होने के दिनांक से लागू होंगे। यह आदेश उन सेवानिवृत्त/मृत्त शासकीय कर्मचारियों के मामलों में भी लागू होंगे जो यह आदेश जारी होने की तिथि से पूर्व सेवानिवृत हए हैं या मृत हो गए हैं तथा जिनके डी.सी.आर. ग्रेच्युटी भगतान में उनकी सेवा निवत्ति निधन की तारीख से छः मास से अधिक की देरी प्रशासकीय कारणों से हुई हों किन्तु ऐसे मामलों में ब्याज का भुगतान यह आदेश जारी होने के दिनांक अथवा सेवानिवृत्ति/निधन की तारीख से छ: माह, इनमें जो भी बाद की हो, से देय होगा।

4. प्रशासकीय विभाग द्वारा आदेश प्रसारण के पश्चात् ब्याज की राशि का भुगतान उस कार्यालय द्वारा आहरण कर वितरित किया जावेगा जहाँ वह कर्मचारी सेवानिवृत्ति के तत्काल पूर्व कार्यरत था । ब्याज की राशि का भुगतान लेखा शीर्ष “249-ब्याज की अदायगी- अन्य दायित्वों पर ब्याजविविध-मृत्यु सह-सेवानिवृत्ति उपदान के विलम्ब से भुगतान पर ब्याज'’ को विकलनीय होगा।

[वित्त विभाग क्र. एफ. बी. 6/19/33/नि-2/चार, दिनांक 25-4-1984]