Updated: Feb, 22 2021

Rule 60 of M.P.Civil Services (Pension) Rules, 1976

नियम 60 पेंशन पर प्रभाव डालने वाली किसी घटना के सम्बन्ध में आडिट आफिसर को सूचना देना (Intimation to Audit Officer regarding any event having a bearing on pension) - (1) यदि पेंशन पत्रों को आडिट आफिसर को अग्रेषित करने के पश्चात कोई घटना घटित होती है, जिसका प्रभाव देय पेंशन की धनराशि पर पड़ता है तो, कार्यालय प्रमुख द्वारा आडिट आफिसर को तत्परता से उन तथ्यों की जानकारी दी जावेगी। यदि सेवानिवृत्ति की तिथि से एक सप्ताह के भीतर ऐसी कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं होती है तो आडिट आफिसर यह मान लेगा कि ऐसी कोई घटना घटित नह हुई है।

(2) कार्यालय प्रमुख आडिट आफिसर को शासकीय सेवक की सेवानिवृत्त से कम से कम डेढ़ माहू पूर्व निम्नलिखित ब्यौरे देगा, अर्थात् -

(ए) भुगतान प्राधिकृत किये जाने के पूर्व उपदान से वसूली योग्य शासकीय बकाया, अर्थात् -

(i) अंशदायी परिवार पेंशन के सम्बन्ध में अंशदान, यदि लागू हो,

(ii) शासकीय बकाया जो कि अभिनिश्चित और निर्धारित किये जा चुके हैं।

(बी) शासकीय बकाया के समायोजन के लिये रोकी जाने वाली उपदान की धनराशि :

परन्तु यह कि यदि शासकीय सेवक ने नियम 65 के अधीन नकद धनराशि जमा कर दी है अथवा किसी स्थायी शासकीय सेवक की जमानत दे दी है तो, शासकीय बकाया, जिसका निर्धारण नहीं किया गया है, के समायोजन के लिये उपदान की धनराशि रोकने की आवश्यकता कार्यालय प्रमुख को नहीं होगी।

 

राज्य शासन अनुदेश

रिटायर मेन्ट के दो वर्ष पूर्व ही कर्मचारियों/अधिकारियों की सेवा पुस्तिका/जी.पी. एफ बुक का सत्यापन :

राज्य शासन के अधिकारियों/कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के समय देय स्वत्वों का भुगतान शीघ्रता से हो सके, इसलिये सेवनिवृत्ति के दो वर्ष पूर्व जी पी एफ पास बुक का सत्यापन महालेखाकार ग्वालियर से तथा सेवा पुस्तिका का सत्यापन संयुक्त संचालक, कोष, लेखा और पेंशन से अनिवार्य रूप से कराया जावे।

[वि. वि. क्र. एफ. 5/1/2009/नियम/चार दिनांक 6.4.2009]

 

अनुशासनात्मक कार्यवाही लम्बित रहते कर्मचारी की मृत्यु हो जाने पर प्रकरण का निराकरण

शासकीय सेवक, जिनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही प्रारम्भ की गई, लेकिन अनुशासनिक कार्यवाही लम्बित रहते कर्मचारी की मृत्यु हो जावे तो उसके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही तत्काल समाप्त की जावे म.प्र. शासन विवि क्र. सी. 6-1/2009/3/1 दिनांक 20.5.2009

 

विषय : पेंशन प्रक्रिया का सरलीकरण - जाँच प्रमाण-पत्रों की माँग

राज्य शासन के समक्ष इस आशय की शिकायतें प्राप्त हुई हैं कि न जाँच प्रमाण-पत्र की माँग के कारण पेंशन प्रकरणों के निराकरण में विलम्ब हो.. है। इस संबंध में वित्त विभाग के ज्ञाप क्रमांक एफ. बी. 6/30/ 76/नि-2/चार, दिनांक 25 जनवरी, 1977 द्वारा पेंशन प्रकरण को निराकृत करने के संबंध में न जाँच प्रमाण-पत्र की माँग की आवश्यकता समाप्त की गयी है। वित्त विभाग के ज्ञाप क्रमांक 908/1190/नि-6/चार/86, दिनांक 9 जुलाई, 1986 के साथ सभी विभागों/विभागाध्यक्षों को परिशिष्ट -1 के रूप में भेजी गयी चेकलिस्ट में भी 'न जांच प्रमाण-पत्र' का उल्लेख नहीं है। इन स्पष्ट निर्देशों के बावजूद न जाँच प्रमाण पत्रों के कारण पेंशन प्रकरणों के निराकरण में विलम्ब चिंताजनक है।

2. अतः यह स्पष्ट किया जाता है कि पेंशन प्रकरण तैयार करते समय वित्त विभाग के ज्ञाप क्रमांक एफ. बी. 6/30/76/नि-2/चार, दिनांक 25 जनवरी, 1977 तथा ज्ञाप क्रमांक 908/1190/नि-6/चार/86, दिनांक 9 जुलाई 1986 (प्रतिलिपि संलग्न) में उल्लेखित निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए।

[वित्त विभाग क्रमांक जी. 25/12/98/PWC/चार, दिनांक 21 मई, 1998]

 

विषय - अदेय प्रमाण-पत्र जारी होने के बावजूद भी लंबित पेंशन प्रकरणों के निराकरण में शीघ्रता।

महालेखाकार, मध्यप्रदेश, ग्वालियर ने शासन को सूचित किया है कि अदेय/अजाँच प्रमाण - पत्र जारी न होने के कारण बहुत से पेंशन प्रकरण अंतिम रूप से निराकरण के लिये लंबित हैं। इस प्रकार लंबित पेंशन प्रकरणों की सूची भी महालेखाकार के कार्यालय से प्राप्त हुई है, जिसकी प्रति संबंधित विभागों के लिये संलग्न है। दिनांक 8-9-72 को या उसके पश्चात् सेवा निवृत्त होने वाले कर्मचारियों के संबंध में अजाँच प्रमाण-पत्र की आवश्यकता नहीं है। अदेय प्रमाण पत्र के लिये पेंशन प्रकरण लंबित न रहे, इस हेतु मध्यप्रदेश सिविल सर्विस (पेंशन) रूल्स 1966 के नियम 66 में प्रक्रिया निर्धारित की है। ये नियम 1-6-76 से प्रभावशील हुए हैं। अतः राज्य शासन ने यह निर्णय लिया है कि इन नियमों से शासित न होने वाले लंबित पेंशन प्रकरणों पर नियम 66 लागू किया जाए। अतः समस्त संबंधित प्राधिकारियों को सचित किया जाता है कि अदेय प्रमाण -पत्र के लिये दिनांक 1-6-76 के पर्व सेवा निवृत्ति के लंबित प्रकरणों में उक्त नियम 66 की प्रक्रिया का अनुसरण किया जाकर उसका तुरन्त अन्तिम रूप से निराकरण किया जावे। यदि किसी प्रकरण में इस नियम के अनुसार कार्यवाही की जाना संभव न हो तो वित्त विभाग को कारणों से सूचित किया जाए। जिन प्रकरणों में इस प्रकार की एक मास की अवधि में कार्यवाही नहीं की जाएगी और कार्यवाही न किये जाने के कारणों से भी वित्त विभाग को सूचित नहीं किया जाएगा, ऐसे प्रकरणों के निराकरण के लिये जिम्मेदार प्राधिकारियों के विरुद्ध उचित कार्यवाही के लिये प्रकरण मुख्य सचिव को प्रस्तुत किया जाएगा।

[म.प्र.शा.वि.वि. क्रमांक एफ. बी. 6/30/76/नि-2/चार, दिनांक 25 जनवरी, 1977]