Updated: Mar, 05 2021

म.प्र. कार्यभारित तथा आकस्मिकता निधि से वेतन पाने वाले कर्मचारियों के लिये पेंशन तथा परिवार पेन्शन योजना 1979
 
राज्य शासन आदेश
 
मध्यप्रदेश (कार्यभारित तथा आकस्किता से वेतन पाने वाले कर्मचारी) पेंशन नियम, 1979 की एक प्रति सलंग्न है। ये नियम दिनांक 1 जनवरी 1974 से प्रवृत्त समझे जावेगें। इस सम्बन्ध में निम्नलिखित बाते जानकारी में लाई जाती है-
(एक) आकस्मिकता से वेतन पाने वाला या कार्यभारित ऐसा कर्मचारी जिसने 1-1-1974 को या उसके बाद पन्द्रह साल की निरन्तर सेवा कर ली है, कार्यभारित तथा आकस्मिकता से वेतन पाने वाले कर्मचारियों की सेवा का स्थाई सदस्य बनने का हकदार होगा। अतः पेंशन के वास्ते अंहकारी सेवा को गिनने के लिए दिनांक 1-1-1959 से आगे की सेवा अवधि को ही हिसाब में लिया जाएगा।
(दो) आकस्मिकता से वेतन पाने वाले कर्मचारियों को मध्यप्रदेश कार्यभारित तथा आकस्मिकता से वेतन पाने वाले कर्मचारी (उपदान लाभ) नियम, 1962 के नियम 3 (क) के अनुसार ही उपदान मिलेगा; अगर उनकी सेवाएं इस सेवा के स्थाई सदस्य बनने के पहले समाप्त कर दी जाती है उन्हें अंशदायी भविष्य निधि के सदस्य बनने की पात्रता न होने से इनके मामलों में, पेंशन तथा अंशदायी भविष्य निधि संबंधी लाभों के देने का प्रश्न ही नहीं उठता है।
(तीन) (क) कार्यभारित कर्मचारियों को, कार्यभारित तथा आकस्मिकता से वेतन पाने वाले कर्मचारियों की सेवा का स्थाई सदस्य बन जाने के पहले, सेवा समाप्त हो जाने की स्थिति में ऊपर बताये गये 1962 के नियमों के अन्तर्गत सेवा निवृत्ति के लाभ मिलेंगे।
(ख) ऐसे कार्यभारित कर्मचारियों को जिन्हें मध्यप्रदेश कार्यभारित तथा आकस्मिकता से वेतन पाने वाले कर्मचारियों की सेवा का स्थाई बन जाने की पात्रता प्राप्त हो चुकी है, इस ज्ञापन के जारी होने की तारीख के तीन माह के अन्दर या तो उपदान (ग्रेच्युटी) तथा अंशदायी भविष्य निधि के वर्तमान लाभों के अन्तर्गत बने रहने या इन पेंशन नियमों को चुन लेने का विकल्प देना आवश्यक होगा।
(ग) ऐसे कार्यभारित कर्मचारी जो इसके पश्चात् 15 साल निरन्तर सेवा पूरी कर लेंगे, उन्हें या तो उपदान (ग्रेच्युटी) तथा अंशदायी भविष्य निधि के वर्तमान लाभों के अन्तर्गत बने रहने या इन पेंशन नियमों को चुन लेने का विकल्प देना होगा।
(घ) उपर्युक्त (ख) तथा (ग) में बताये गये सेवा के स्थाई सदस्यों द्वारा विकल्प, संलग्न प्रारूप में दो प्रतियों में दिया जाएगा और वह कार्यालय प्रमुख को इस ज्ञापन में जारी होने की तारीख के या उस तारीख के, जिसकी वह सेवा का स्थाई सदस्य बन जाए जैसी भी स्थिति हो, तीन माह के अन्दर प्रस्तुत कर दिया जाएगा। विकल्प की एक प्रति, उसमें दिये गये अंशदायी भविष्य निधि लेखा क्रमांक का सत्यापन कर देने के बाद कार्यालय प्रमुख द्वारा महालेखाकार, मध्यप्रदेश, ग्वालियर को भेज दी जाएगी।
(ङ) अगर सेवा के ऐसे स्थाई सदस्य द्वारा जो मध्यप्रदेश प्रदेश अंशदायी भविष्य निधि का अभिदाता हो, निर्धारित अवधि के अन्दर कोई विकल्प नहीं दिया जाता है तो यह मान लियाजाएगा कि सम्बन्धित शासकीय कर्मचारी ने इन पेंशन नियमों द्वारा शासित होने का विकल्प दिया है और उसकी अंशदायो भविष्य निधि के समायोजन के सम्बन्ध में मध्यप्रदेश अंशदायी भविष्य नियमों के नियम 30 में बताये अनुसार कार्यवाही की जाएगी।
(च) कार्यभारित सेवा के वे स्थायी सदस्य, जो अंशदायी भविष्य निधि के साथ-साथ उपदान (ग्रेच्युटी) का लाभ का मध्यप्रदेश कार्यभारित कर्मचारी तथा आकस्मिकता से वेतन पाने वाले कर्मचारी (उपदान लाभ) नियम, 1962 के अन्तर्गत प्राप्त नहीं कर रहे थे अपने आप ही मध्यप्रदेश (कार्यभारित तथा आकस्मिकता से वेतन पाने वाले कर्मचारी) पेंशन नियम, 1979 द्वारा शासित होने लगेंगे।
(चार) इन नियमों के अन्तर्गत पेंशन की पात्रता रखने वाले इस सेवा के ऐसे कर्मचारी के मामले में जिनकी मृत्यु 1-1-1974 या उसके बाद किन्तु इस ज्ञापन के जारी होने के तीन माह खत्म होने की तारीख के पहले हो जाय तो उसका मामला इन नियमों के या इस ज्ञापन के जारी होने के पूर्व उस पर लागू नियमों के उपबन्धों द्वारा जो भी उसको ज्यादा लाभप्रद हो, शासित होगा।
(पाँच) इन नियमों के अन्तर्गत परिवार पेंशन की अदायगी के लिये कोई उपबन्ध नहीं है इसलिए वित्त विभागी ज्ञापन क्रमांक 1663 - सी-आर-903/चार-नि-2, तारीख 17 अगस्त, 1966 के पैराग्राफ 7 और मध्यप्रदेश सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1976 के नियम 44 (3) के अनुसार जैसी भी स्थिति हो, मृत्यु एवं निवृत्ति उपदान से दो माह की परिलब्धियों की जो राशि काटी जाती है, वह काटा जाना आवश्यक नहीं है।
2. निवेदन है कि इन नियमों को सर्वसम्बन्धितों की जानकारी में लाया जाए और जो कर्मचारी दिनांक 1-1-1974 या उसके बाद सेवानृत्ति हो चुके हैं या मृत हो गये हैं। उनके मामले संलग्न नियमों के नियम 5 के अनुसार शीघ्रातिशीघ्र महालेखाकार को भेजे जावें।
[वित्त विभाग क्र. एफ. बी. 6/8(1)/नि-2, 79 दिनांक 18-12-1979]
 
विकल्प का प्रारूप
1. मैं वित्त विभाग की अधिसूचना क्र. एफ. बी. 6/8/79/नि-2/चार, दिनांक 18-12-1979 द्वारा प्रसारित (मध्यप्रदेश कार्यभारित तथा आकस्मिकता से वेतन पाने वाले कर्मचारी) पेन्शन नियम, 1979 के अन्तर्गत पेन्शन का लाभ लेने का विकल्प होता हूँ।
अथवा
2. मैं वर्तमान अंशदायी भविष्य निधि की व्यवस्था चालू रखने का विकल्प देता हूँ। मेरा अंशदायी भविष्य निधि खाता क्रमांक..................है।

स्थान…………………….. हस्ताक्षर
दिनांक.............................. वर्तमान पद
 
अभिप्रमाणित
      (कार्यालय -प्रमुख)
टीप - 1. विकल्प दो प्रतियों में प्रस्तुत किया जावे, विकल्प का भाग (1) अथवा (2) जो लागू न हो, वह काट दिया जावे।
2. विकल्प प्रस्तुत होने पर जिन प्रकरणों में मध्यप्रदेश अंशदायी भविष्य निधि के खाते बन्द किये जाते हैं उनके सम्बन्ध में कार्यालय-प्रमुख द्वारा विकल्प की एक प्रति महालेखाकार को भेजकर अग्रिम कार्यवाही की जावेगी।
3. कर्मचारी- का अभिप्रमाणित विकल्प, सेवा-पुस्तिका/सेवा अभिलेख के साथरखा जावे।
नियम
[मध्यप्रदेश राजपत्र दिनांक 8 फरवरी, 1980 के भाग 4 () में प्रकाशित।]
नियम 1. संक्षिप्त नाम - (1) ये नियम मध्यप्रदेश (कार्यभारित तथा आकस्मिकता से वेतन पाने वाले कर्मचारी पेंशन नियम, 1979) कहलायेंगे।
(2) ये 1 जनवरी, 1974 से प्रवृत्त हुए समझे जायेंगे।
नियम 2. परिभाषाएँ - इन नियमों में जब तक कि सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो
(क) 'आकस्मिकता से वेतन पाने वाले कर्मचारी' से अभिप्रेत है ऐसा व्यक्ति जो किसी कार्यालय या स्थापना में पूर्णकाल से नियोजित है और उसे मासिक आधार पर भुगतान किया जाता है और जिसका वेतन कार्यालय आकस्मिकताएं पर भारित होता है, किन्तु उसमें ऐसे कर्मचारी सम्मिलित नहीं है जो वर्ष में केवल कतिपय कालावधियों के लिये ही नियोजित किये जाते हों।
(ख) 'कार्यभारित कर्मचारी' से अभिप्रेत है किसी विनिर्दिष्ट कार्य के वास्तविक निष्पादन कार्य में जो कि उक्त कार्य में सामान्य पर्यवेक्षण से भिन्न है या ऐसे कार्य के सम्बन्ध में, विभागीय श्रमिकों, स्टोर, विद्युत उपस्कर, और मशीनरी के चालन तथा उनकी मरम्मत के अधीनस्थ पर्यवेक्षण कार्य में नियोजित कोई व्यक्ति, जिसके अन्तर्गत वे श्रमिक जिन्हें कि उस कार्य के सम्बन्ध में दैनिक भुगतान मिलता हो तथा वे कर्मचारी जो कि उस कार्य के सम्बन्ध में मस्टर रोल पद्धति से नियोजित किये जाते हैं, नहीं आते हैं।
(ग) ‘स्थायी कर्मचारी' से अभिप्रेत है आकस्मिकता से वेतन पाने वाला ऐसा कर्मचारी या कार्यभारित ऐसा कर्मचारी जिसने 1 जनवरी, 1974 को या उसके पश्चात् पन्द्रह वर्ष या उससे अधिक की सेवा पूर्ण कर ली हो।
[परन्तु आकस्मिकता से वेतन पाने वाला ऐसा कर्मचारी या कार्यभारित ऐसा कर्मचारी, जिसने 1-4-81 को या उसके पश्चात् अधिवार्षिकी आयु प्राप्त कर ली है, के सम्बन्ध में स्थायी कर्मचारी से अभिप्रेत है ऐसा कर्मचारी जिसने 1-1-1974 को या उसके पश्चात् दस वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली हो।] [मध्यप्रदेश राजपत्र दिनांक 8 फरवरी, 1980 के भाग 4 () में प्रकाशित।]
नियम 3. विस्तार तथा प्रयुक्ति - ये नियम कार्यभारित तथा आकस्मिकता से वेतन पाने वाले कर्मचारियों की सेवा के प्रत्येक स्थायी सदस्य को लागू होंगे।
नियम 4. पेन्शन की रकम का विनियमन - नियम 5 एवं 6 में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, स्थायी कर्मचारियों की पेंशन तथा उपदान का भुगतान नीचे दिये गये अनुसार विनियमित किया जावेगा अर्थात्-
(1) मध्यप्रदेश न्यू पेन्शन रूल्स, 1951 के नियम 5 को छोड़ कर, ऐसे समस्त स्थायी कर्मचारी को लागू होंगे जो 1 जनवरी, 1974 को या उसके पश्चात् किन्तु 1 जून, 1976 से पूर्व सेवानिवृत्त हुए हों।
(2) समय-समय पर यथा संशोधित मध्यप्रदेश सिविल (पेन्शन) नियम 1976 के नियम 47 तथा 48 को छोड़ कर ऐसे समस्त स्थायी कर्मचारियों को लागू होंगे जो 1 जून, 1976 को या उसके पश्चात् सेवानिवृत्त हुए हैं। ।
नियम [4. (क)] किसी ऐसे स्थायी कर्मचारी जिसकी सेवा में रहते या सेवा निवृत्ति होने के पश्चात् 1अप्रैल 1981 को या उसके पश्चात् मृत्यु हो जाती है, का परिवार मध्यप्रदेश सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1976 के नियम 47 की विहित दरों पर तथा अन्य शर्तों के अध्यधीन रहते हुए पेंशन पाने का हकदार होगा।] [वित्त विभाग अधिसूचना क्र. बी- 25/17/95/PWC/चार, दिनांक 12/9-11-96 द्वारा संशोधित तथा दिनांक 24-1-84 से प्रभावशील।]
नियम 5. पेन्शन के कागजात, पेन्शन की मन्जूरी तथा भुगतान आदि की तैयारी की प्रक्रिया - म.प्र. सिविल सर्विसेज (पेन्शन) रूल्स, 1976 के अध्याय आठ, ग्यारह तथा बारह के नियम कर्मचारियों के मामले में, जिनमें ऐसे कर्मचारी भी सम्मिलित हैं जो 1 जनवरी, 1974 को या उसके पश्चात् किन्तु 1 जून, 1976 के पूर्व सेवानिवृत्त हो गये हैं, यथा आवश्यक परिवर्तन सहित लागू होंगे।
नियम 6 अर्हक सेवा का प्रारंभ - यथास्थिति मध्यप्रदेश सिविल सर्विसेस (पेन्शन) रूल्स, 1976 के अध्याय तीन या मध्यप्रदेश न्यू पेन्शन रूल्स, 1951 के अनुभाग (सेक्शन) चार के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुए-
(1) किसी स्थायी कर्मचारी के मामले में जो उस रूप में सेवा-निवृत्त होता है, अर्हक सेवा की गणना पार 1 जनवरी, 1959 से की जावेगी;
(2) स्थायो कर्मचारी का बिना किसी व्यवधान के, किसी भी नियमित पेन्शन योग्य पद पर संविलयन किए जाने पर, उसकी अर्हक सेवा की गणना 1 जनवरी, 1959 से आगे गिनी जाएगी यह मानकर कि ऐसी सेवा किसी नियमित पद पर की गई है।
(3) किसी अस्थायी कर्मचारी के, बिना किसी व्यवधान के, किसी भी नियमित पेंशन योग्य पद पर संविलियन किये जाने पर 1 जनवरी, 1974 से आगे की गई सेवा, बशर्ते किऐसी सेवा 6 वर्ष से कम की न हो, पेंशन के लिए गिनी जायेगी मानो कि ऐसी सेवा किसी नियमित पद पर की गई हो।]
[वित्त विभाग अधिसूचना क्र. बी- 25/17/95/PWC/चार, दिनांक 30-1-96 द्वारा जोड़ा गया।]
[वित्त विभाग क्र. एफ.बी.-6/8/79/R-II/IV,दिनांक 13.9.1982 से जोड़ा गया।]
 
शासनादेश
(1)
विषय :- कार्यभारित तथा आकस्मिकता व्यय के वेतन पाने वाले कर्मचारियों की सेवा के सदस्यों की सेवानिवृत्ति तिथि के सम्बन्ध में।
राज्य शासन ने यह निर्णय लिया है कि कार्यभारित तथा आकस्मिकता व्यय से वेतन पाने वाले ऐसे कर्मचारी जो कि इस सेवा के सदस्य हैं, की सेवानिवृत्ति की तिथि वही तिथि होगी जो मूल नियम 56 के प्रावधानों में नियमित शासकीय सेवकों को लागू है अर्थात् इस सेवा के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को छोड़कर अन्य कर्मचारियों को उनकी आयु जिस माह में 58 वर्ष पूर्ण होगी उस माह के अन्तिम दिन अपरान्ह में उन्हें सेवानिवृत्त किया जावेगा। किन्तु यदि किसी कर्मचारी की जन्म तिथि महीने की पहली तारीख हो तो उसे पूर्ववर्ती मास के अन्तिम दिन अपरान्ह में सेवानिवृत्त किया जावेगा।
2. चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को जिस माह में वे 60 वर्ष की आयु पूर्ण करेंगे उस माह के अन्तिम दिन अपरान्ह से सेवानिवृत्त किया जावेगा किन्तु यदि किसी कर्मचारी की जन्म तिथि महीने की पहली तारीख हो तो उसे पूर्ववर्ती मास के अन्तिम दिन अपरान्ह में सेवानिवृत्त किया जावेगा।
 
(2)
विषय :- कार्यभारित तथा आकस्मिक व्यय से वेतन पाने कर्मचारियों की सेवा के सदस्यों की सेवा निवृत्ति तिथि के सम्बन्ध में।
सामान्य प्रशासन विभाग के ज्ञाप क्र. डी. 7/619/1 (3) पे/79, दिनांक 19-1-80 एवं वित्त विभाग का ज्ञापन क्र. 1561/3355/79/नि-2/4, दिनांक 12-5-80 के अनुसार यह स्पष्ट किया गया है कि उक्त सेवा के सदस्यों को अधिवार्षिकी आयु के विषय में वही नियम तथा नीतियाँ लागू होंगी जो कि नियमित नियोजन में समतुल्य प्रवर्गों के शासकीय सेवकों को लागू है। प्रचलित नियमानुसार नियमित नियोजन के शासकीय कर्मचारियों को अधिवार्षिकी आयु के पश्चात् पुनः नियुक्ति अथवा सेवा वृद्धि दी जाने के लिये वित्त विभाग की सहमति की आवश्यकता होती है तथा आदेश, शासन के प्रशासकीय विभाग द्वारा समन्वय में अनुमोदन के पश्चात् जारी किये जाते हैं। ऐसी स्थिति में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा प्रतिपादित नीति के अनुसार कार्यभारित एवं आकस्मिकता निधि से वेतन पाने वाले कर्मचारियों की सेवा के सदस्यों को भी उनकी अधिवार्षिकी आयु के पश्चात् सेवा वृद्धि अथवा पुनर्नियुक्ति शासन की अनुमति के पश्चात् ही दी जानी चाहिये।
 
(3)
विषय :- कार्यभारित तथा आकस्मिकता से वेतन पाने वाले कर्मचारियों की सेवा के सदस्यों को पेन्शन तथा परिवार पेन्शन के सम्बन्ध में।
कार्यभारित तथा आकस्मिकता स्थापना के स्थायी सदस्यों को म.प्र. (कार्यभारित तथा आकस्मिकता से वेतन पाने वाले कर्मचारी) पेन्शन नियम, 1979 के अनुसार पेन्शन की पात्रता होती है। इन नियमों के नियम 2 (ग) के अनुसार दिनांक 1-1-74 को या उसके पश्चात् 15 मई की सेवा पूर्ण करने वाले कर्मचारी को इस सेवा का स्थायी सदस्य माना गया है। इन नियमों में इस सेवा के सदस्यों को परिवार पेन्शन की पात्रता सम्बन्धी प्रावधान नहीं है।
2. कुछ समय से इस सेवा के सदस्यों को अन्य कर्मचारियों के समान दस वर्ष की सेवा की पश्चात सामान्य पेन्शन तथा परिवार पेन्शन दिये जाने का प्रश्न राज्य शासन के विचाराधीन था। सामान्य प्रशासन विभाग ने उनके ज्ञाप क्रमांक डी-19/3000/1(3) वे/81, दिनांक 18-3-82 द्वारा इस स्थापना के कर्मचारियों की भरती तथा सेवा शर्ते नियमों में संशोधन करते हुए दिनांक 1-1-73 को या उसके पश्चात् दस वर्ष की सेवा पूर्ण करने वाले कर्मचारियों को इस स्थापना का स्थायी सदस्य माना है और इन आदेशों को दिनांक 1-4-81 से प्रभावशील किया गया है अतः म.प्र. (कार्यभारित तथा आकस्मिकता से वेतन वाले कर्मचारी) पेन्शन नियम, 1979 के नियम 2 (ग) में संशोधन किया जाना आवश्यक हो गया है। अतः राज्य शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि इस सेवा के ऐसे कर्मचारी जिन्होंने दिनांक 1-4-81 को या उसके पश्चात् अधिवार्षिकी आयु प्राप्त कर ली है, के सम्बन्ध में पेन्शन प्रयोजन के लिये स्थायी कर्मचारी उसे माना जावेगा जिससे दिनांक 1-1-74 को या उसके पश्चात् दस वर्ष की सेवा पूर्ण की हो।
3. इस सेवा के स्थाई सदस्यों को परिवार पेन्शन दिये जाने का प्रश्न शासन के समक्ष विचाराधीनथा। उसके सम्बन्ध में भी विचारो परान्त यह निर्णय किया गया है कि सेवा के जिन स्थाई कर्मचारियों की दिनांक 1-4-81 को या उसके पश्चात् सेवा में रहते हुए या सेवानिवृत्ति के पश्चात् मृत्यु हो जाए तो उन्हें मृत्यु या निवृत्ति, जो भी स्थिति हो, के समय प्राप्त वेतन के 30% की दर से न्यूनतम रु. 40 प्रतिमाह तथा अधिकतम रु. 100 प्रतिमाह की सीमा में उसके परिवार को परिवार पेन्शन की पात्रता होगी।
4. उपरोक्त निर्णय के अनुसार म.प्र. (कार्यभारित तथा आकस्मिकता से वेतन पाने वाले कर्मचारी) पेन्शन नियम 1979 के नियम 2 तथा 4 में संशोधन किया गया है, जिसकी प्रतिलिपि संलग्न है।
[वि.वि. क्र. एफ. बी. 6/8/79/नि-2/चार, दिनांक 13-9-1982]
 
(4)
विषय :- कार्यभारित/आकस्मिकता से वेतन पाने वाले कर्मचारियों की सेवा के स्थायी सदस्यों को का परिवार पेन्शन देने के सम्बन्ध में।
चौधरी वेतन आयोग की अनुशंसा पर राज्य शासन द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार राज्य शासन के नियमित शासकीय कर्मचारियों को देय परिवार पेन्शनों की दरों का पुनः निर्धारण इस विभाग के ज्ञाप क्र. एफ. बी. 6/6/83/नि-2/चार, दिनांक 10-5-83 द्वारा किया जाकर नई दरों को उक्त ज्ञाप के पैरा 2 में अंकित किया गया है।
2. वर्तमान में कार्यभारित तथा आकस्मिकता से वेतन पाने वाले कर्मचारियों की सेवा में स्थायी सदस्यों को इस विभाग के ज्ञापन क्रमांक एफ. बी. 6/8/79/नि-2/चार, दिनांक 13-9-82 के पैरा 3 के अनुसार जिनकी दिनांक 1-4-81 को या उसके पश्चात् सेवा रहते हुए या सेवानिवृत्ति के पश्चात् मृत्यु हो जाएतो उन्हें मृत्यु हो जाए तो उन्हें मृत्यु या सेवानिवृत्त, जो भी स्थिति हो; के समय प्राप्त वेतन के 30% की दर से न्यूनतम रुपये 40 प्रतिमाह तथा अधिकतम रु. 100 प्रतिमाह की सीमा में उसके परिवार को परिवार पेन्शन स्वीकार्य है।
3. राज्य शासन ने अब यह निर्णय लिया है कि कार्यभारित/आकस्मिकता से वेतन पाने वाले कर्मचारियों की सेवा के स्थायी सदस्यों को उनकी सेवा में रहते या पेन्शन या सेवानिवृत्ति के पश्चात् मृत्यु हो की स्थिति में नियमित शासकीय कर्मचारियों के समान इस विभाग के ज्ञापन क्रमांक एफ.बी.6/6/83/नि-2/चार, दिनांक 10-5-83 के अनुसार परिवार पेन्शन की पात्रता होगी।
4. ये आदेश जारी होने के दिनांक से लाग होंगे।
[वि.वि. क्र. एफ. बी. 6/14/83/नि-2/चार, दिनांक 24-1-984]
 
(5)
विषय :- कार्यभारित कर्मचारियों को पेन्शन संराशिकरण का लाभ दिये जाने बाबत
संदर्भ :- आपका पत्र क्रमांक पी. आर. XI/1173-76, दिनांक 4-1-89
आपके उपरोक्त पत्र को कृपया संदर्भित कीजिये। इस सम्बन्ध में लेख है कि कार्यभारित तथा आकस्मिकता से वेतन पाने वाले कर्मचारियों के लिये म.प्र. (कार्यभारित तथा आकस्मिकता से वेतन पाने वाले कर्मचारी) पेन्शन नियम, 1979, लागू है। इन नियमों के नियम - 4 के अनुसार इस सेवा के सदस्यों को देय पेन्शन का विनियमन समय-समय पर यथा संशोधित, म.प्र. सिविल सर्विसेज (पेंशन) रूल्स, 1976 (नियम 47 तथा 48 को छोड़) के अनुसार होगा। नियम 47 तथा 48 परिवार पेंशन संबंधी हैं तथा वाद में इस सेवा के कर्मचारियों के स्थायी सदस्यों को परिवार पेन्शन देने के संबंध में वित्त विभाग के ज्ञापन क्रमांक एफ. बी 6/14/63/नि-25/चार, दिनांक 24-1-84 द्वारा आदेश जारी किये गये हैं अर्थात् इस सेवा के सदस्यों को पेन्शन की रकम का विनियमन मध्यप्रदेश सिविल (पेन्शन) नियम 1976 के अनुसार होगा, जो शासन के अन्य कर्मचारियों को लागू
(2) मध्यप्रदेश सिविल (कम्युटेशन) नियम, 1976 के नियम -3 के अनुसार एक शासकीय सेवक या पेन्शन भोगी. जो राज्य शासन के प्रशासकीय नियंत्रण में हो उसे पेन्शन के कम्यटेशन की पात्रता है। कार्यभारित तथा आकस्मिकता से वेतन पाने वाले राज्य शासन के कर्मचारियों को वहीं पेन्शन नियम लागू होते हैं जो राज्य शासन के अन्य नियमित कर्मचारियों को लागू होते हैं।
(3) अतः कार्यभारित तथा आकस्मिकता निधि से वेतन पाने वाले कर्मचारियों को भी म.प्र. सिविल पेंशन (कम्युटेशन) नियम, 1976 के प्रावधानों के अधीन संराशिकरण की पात्रता है।
[म.प्र. शासन, वित्त विभाग क्र. 1137/373/नि-2/चार/89, दिनांक 25-5-89]
 
(6)
विषय :- कार्यभारित तथा आकस्मिकता से वेतन पाने वाले कर्मचारियों की नियमित स्थापना में नियुक्ति होने पर अर्हतादायी सेवा का निर्धारण
मध्यप्रदेश (कार्यभारित तथा आकस्मिकता से वेतन पाने वाले कर्मचारी) पेंशन नियम 1979 के नियम 6 (2) में यह प्रावधान है कि कार्यभारित तथा आकस्मिकता से वेतन पाने वाले स्थायी कर्मचारी का यदि नियमित स्थापना में संविलियन होता है तो 1-1-59 से आगे की गई सेवा पेंशन प्रयोजन के लिए अर्हतादायी सेवा मानी जाएगी।
2. राज्य शासन ने विचारोपरान्त अब यह निर्णय लिया है. कि कार्यभारित तथा आकस्मिकता सेवा के किसी कर्मचारी का जिसने कम से कम 6 वर्ष का सेवा काल पूर्ण कर लिया हो यदि बिना किसी व्यवधान के किसी नियमित पेंशन योग्य पद पर संविलियन किया जाता है तो ऐसे कर्मचारी द्वारा कार्यभारित/आकस्मिकता सेवा में की गई सेवा पेंशन प्रयोजन हेतु अर्हतादायी सेवा मानी जावेगी।
[वित्त विभाग ज्ञापन क्रमांक बी - 25/17/95/PWC/चार, दिनांक 30 जनवरी, 1996]