Updated: Apr, 23 2020

477 क. लेखा का मिथ्याकरण -

जो कोई, लिपिक, ऑफिसर या सेवक होते हुए, या लिपिक, ऑफिसर या सेवक के नाते नियोजित होते हुए या कार्य करते हुए, किसी ऐसी पुस्तक, इलेक्ट्रानिक अभिलेख, कागज, लेख, मूल्यवान प्रतिभूति या लेखा को, जो उसके नियोजक का हो या उसके नियोजक के कब्जे में हो, या जिसे उसके नियोजक के लिए या उसकी ओर से प्राप्त किया हो, जानबूझकर और कपट करने के आशय से नष्ट, परिवर्तित, विकृत या मिथ्याकृत करेगा अथवा किसी ऐसी पुस्तक, इलेक्ट्रानिक अभिलेख, कागज, लेख, मूल्यवान प्रतिभूति या लेखा में जानबूझकर और कपट करने के आशय से कोई मिथ्या प्रविष्टि करेगा या करने के लिए दुष्प्रेरण करेगा, या उसमें से या उसमें किसी तात्विक विशिष्टि का लोप या परिवर्तन करेगा या करने का दुष्प्रेरण करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।

स्पष्टीकरण - इस धारा के अधीन किसी आरोप में, किसी विशिष्ट व्यक्ति का, जिससे कपट करना आशयित था, नाम बताए बिना या किसी विशिष्ट धनराशि का जिसके विषय में कपट किया जाना आशयित था या किसी विशिष्ट दिन का, जिस दिन अपराध किया गया था, विनिर्देश किए बिना, कपट करने के साधारण आशय का अभिकथन पर्याप्त होगा।

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राज्य संशोधन

मध्यप्रदेश - धारा 477क के अधीन अपराध "सत्र न्यायालय" द्वारा विचारणीय है।

[देखें म.प्र. अधिनियम क्रमांक 2 सन्‌ 2008 की धारा 4. म.प्र. राजपत्र (असाधारण) दिनांक 22-2-2608 पृष्ठ 157-158 पर प्रकाशित ।]

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477 A. Falsification of accounts -

Whoever, being a clerk, officer or servant, or employed or acting in the capacity of a clerk, officer or servant, wilfully, and with intent to defraud, destroys, alters, mutilates or falsifies any book, electronic record, paper, writing, valuable security or account which belongs to or is in the possession of his employer, or has been received by him for or on behalf of his employer, or wilfully, and with intent to defraud, makes or abets the making of any false entry in, or omits or alters or abets the omission or alteration of any material particular from or in, any such book, electronic record, paper, writing, valuable security or account, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, or with fine, or with both.

Explanation - It shall be sufficient in any charge under this section to allege a general intent to defraud without naming any particular person intended to be defrauded or specifying any particular sum of money intended to be the subject of the fraud, or any particular day on which the offence was committed.

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STATE AMENDMENT

Madhya Pradesh — Offence under section 477A is triable by “Court of Session”.

[Vide Madhya Pradesh Act 2 of 2008, section 4. Published in M.P. Rajpatra (Asadharan) dated 22-2-2008 page 158-158(1).]

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