Posted on 05 Nov, 2019 5:25 pm

लघु वनोपज संग्रहण के जरिए 50 हजार नये रोजगार सृजन का लक्ष्य

छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में राजधानी रायपुर स्थित साइंस कॉलेज के मैदान में वन विभाग के ‘लघु वनोपज आधारित विकास‘ पर केंद्रित स्टॉल को लोगों द्वारा खूब सराहा गया। स्टॉल में हर्बल उत्पादों के प्रसंस्करण, विपणन, प्रचार-प्रसार के साथ-साथ प्रस्तावित वन धन विकास केन्द्रों को मॉडल के रूप में आकर्षक ढंग से प्रदर्शित किया गया।

वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर के दिशा-निर्देशन तथा मार्गदर्शन में तैयार वन विभाग के स्टॉल में जिला यूनियन जगदलपुर द्वारा इमली, जिला यूनियन नारायणपुर द्वारा फूलझाडू तथा जिला यूनियन सरगुजा द्वारा लाख के प्रसंस्करण कार्याें का जीवंत प्रदर्शन स्व सहायता समूहों के माध्यम से किया गया। प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि इसमें समूह द्वारा इमली फूल, इमली ब्रिक्स, फूलझाडू तथा लाख के प्राथमिक प्रसंस्करण और लाख से चूड़ी निर्माण कार्य को बेहतर ढंग से प्रदर्शित किया गया। सरकार द्वारा राज्य में लघु वनोपज संग्रह, प्राथमिक संस्करण तथा प्रसंस्करण उद्योग की ठोस व्यवस्था स्थापित कर अधिक से अधिक रोजगार सृजित करने का संकल्प लिया गया है। इसके तहत मार्च 2020 तक वनों में 50 हजार नवीन रोजगार के सृजन का लक्ष्य है।
    अपर प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ श्री संजय शुक्ला ने बताया कि स्टॉल में संजीवनी समूह रायपुर द्वारा स्टॉल में स्थापित विक्रय केन्द्र में पहले तीन दिवस में ही लगभग 69 हजार रूपए की राशि के आंवला तथा जामुन के जूस की बिक्री की गई। राज्य में वर्तमान में अन्य लघु वनोपजों का लगभग एक हजार करोड़ रूपए का व्यापार होता है। इनमें से 80 प्रतिशत से अधिक वनोपज बिना प्रसंस्करण के अन्य राज्यों में कच्चें माल के रूप में विक्रय किया जा रहा है। इसके मद्देनजर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देशानुसार लघु वनोपज संघ द्वारा एक हजार 82 हॉट बाजारों का विस्तृत सर्वेक्षण कर राज्य में उपलब्ध अन्य लघु वनोपजों का चिन्हांकन किया गया है। साथ ही 3 हजार 500 महिला स्व सहायता समूहों का चयन कर लिया गया है। इन महिला समूहों के माध्यम से 821 हॉट बाजारों तथा 3 हजार गांवों से अराष्ट्रीयकृत लघु वनोपजों का क्रय किया जाएगा। साथ ही 140 वन धन प्रसंस्करण केन्द्रों मंे लघु वनोपजों का प्राथमिक प्रसंस्करण भी किया जाएगा। राज्य में आगामी 2 वर्षाें में राज्य के वनांचल क्षेत्रों में लघु वनोपज संग्रहण, प्राथमिक प्रसंस्करण तथा प्रसंस्करण उद्योगों के माध्यम से 50 हजार नए रोजगार सृजन का लक्ष्य रखा गया है। इन उद्योगों से लगभग 3 हजार करोड़ रूपए का व्यापार स्थापित करने का अनुमान संभावित है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग छत्तीसगढ़

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