No: -- Dated: Dec, 08 2023

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 8 दिसंबर2023 को जूट वर्ष 2023 -24 (1 जुलाई2023 से 30 जून2024) के लिए पैकेजिंग में जूट के अनिवार्य उपयोग के लिए आरक्षण मानदंडों को मंजूरी दे दी है। जूट वर्ष 2023-24 के लिए अनुमोदित अनिवार्य पैकेजिंग मानदंड खाद्यान्नों के शत-प्रतिशत आरक्षण और 20 प्रतिशत चीनी को अनिवार्य रूप से जूट के थैलों में पैक करने का प्रावधान करते हैं।

वर्तमान प्रस्ताव में निहित आरक्षण संबंधी मानदंड भारत को ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना के अनुरूप आत्मनिर्भर बनाते हुए देश में कच्चे जूट और जूट पैकेजिंग सामग्री के घरेलू उत्पादन के हितों की रक्षा करेंगे। जूट पैकेजिंग सामग्री में पैकेजिंग के लिए आरक्षण से देश में उत्पादित कच्चे जूट (2022-23 में) का लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा खपत होता है। जेपीएम अधिनियम के प्रावधान को लागू करकेसरकार जूट मिलों व सहायक इकाइयों में कार्यरत चार लाख श्रमिकों को राहत प्रदान करेगी और साथ ही लगभग 40 लाख किसान परिवारों की आजीविका में सहायता करेगी। इसके अलावायह पर्यावरण की रक्षा में मदद करेगा क्योंकि जूट प्राकृतिकजैविक रूप से अपघटित होने योग्यनवीकरणीय एवं पुनः उपयोग योग्य रेशा है और इसलिए यह टिकाऊ होने के सभी मानकों को पूरा करता है।

जूट उद्योग आम तौर पर भारत की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और विशेष तौर पर पूर्वी क्षेत्र यानी पश्चिम बंगालबिहारओडिशाअसमत्रिपुरामेघालयआंध्र प्रदेश और तेलंगाना में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह पूर्वी क्षेत्रविशेषकर पश्चिम बंगाल के प्रमुख उद्योगों में से एक है।

जेपीएम अधिनियम के तहत आरक्षण संबंधी मानदंड जूट के क्षेत्र में चार लाख श्रमिकों और 40 लाख किसानों को सीधे रोजगार प्रदान करते हैं। जेपीएम अधिनियम1987 जूट किसानोंश्रमिकों और जूट के सामान के उत्पादन में लगे लोगों के हितों की रक्षा करता है। जूट उद्योग के कुल उत्पादन का 75 प्रतिशत हिस्सा जूट के थैले हैंजिसमें से 85 प्रतिशत हिस्से को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) एवं राज्य खरीद एजेंसियों (एसपीए) को आपूर्ति की जाती है और शेष को सीधे निर्यात / बेचा जाता है।

भारत सरकार खाद्यान्नों की पैकिंग के लिए हर साल लगभग 12,000 करोड़ रुपये मूल्य के जूट की बोरियां खरीदती है। यह कदम जूट किसानों एवं श्रमिकों की उपज के लिए गारंटीकृत बाजार सुनिश्चित करता है।

जूट की बोरियों का औसत उत्पादन लगभग 30 लाख गांठ (9 लाख मीट्रिक टन) है और सरकार जूट किसानोंश्रमिकों तथा जूट उद्योग में लगे लोगों के हितों की रक्षा के लिए जूट की बोरियों के उत्पादन का पूरा उठाव सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

Courtesy – Press Information Bureau, Government of India​​