Updated: Mar, 29 2020

 

135. संदाय के स्थान की विधि अनादर को शासित करती है --- जहाँ कि वचन-पत्र, विनिमयपत्र या चैक उस स्थान से भिन्न स्थान में देय किया गया है, जिसमें वह रचित या पृष्ठांकित किया गया है वहाँ उस स्थान की विधि, जहाँ वह देय किया गया है. अवधारित करती है कि अनादर किस बात से गठित होता है और अनादर की कैसी सूचना प्राप्त होती है ।

दृष्टान्त

एक विनिमय -पत्र, जो भारत में लिखा और पृष्ठांकित किया गया, किन्तु फ्रांस में देय के तौर पर प्रतिगृहीत किया गया था, अनादृत हो जाता है | पृष्ठांकिती से अनादर के लिए उसका प्रसाक्ष्य कराता है और फ्रांस की विधि के अनुसार उसकी सूचना दे देता है यद्यपि जो विनिमय-पत्र विदेशी नहीं है उनके बारे में एतस्मिन् अन्तर्विष्ट नियमों के अनुसार वह सूचना नहीं है । तथापि वह सूचना पर्याप्त है ।

135. Law of place of payment governs dishonour – Where a promissory note, bill of exchange or cheque is made payable in a different place from that in which it is made or indorsed, the law of the place where it is made payable deterinines what constitutes dishonour and what notice of dishonour is sufticient.

Illustration

A bill of exchange drawn and indorsed in '[India], but accepted payable in France, is dishonoured. The indorsee causes it to be protested for such dishonour, and gives notice thereof in accordance with the law of France though not in accordance with the rules herein contained in respect of bills which are not foreign. The notice is sufficient

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