Updated: Jan, 29 2021

Section 167 of Indian Evidence Act in Hindi and English

अध्याय 11 : साक्ष्य के अनुचित ग्रहण और अग्रहण के विषय में

167. साक्ष्य के अनुचित ग्रहण या अग्रहण के लिए नवीन विचारण नहीं होगा -- साक्ष्य का अनुचित ग्रहण या अग्रहण स्वयंमेव किसी भी मामले में नवीन विचारण के लिए या किसी विनिश्चय के उलटे जाने के लिए आधार नहीं होगा, यदि उस न्यायालय को जिसके समक्ष ऐसा आक्षेप उठाया गया है, यह प्रतीत हो कि आक्षिप्त और गृहीत उस साक्ष्य के बिना भी विनिश्चय के न्यायोचित ठहराने के लिए यथेष्ट साक्ष्य था अथवा यह कि यदि अगृहीत साक्ष्य लिया भी गया होता, तो उससे विनिश्चय में फेरफार न होना चाहिए था।

अनुसूची -- [अधिनियमितियाँ निरसित] निरसन अधिनियम, 1938 (1938 का 1) की धारा 2 और अनुसूची द्वारा निरसित।

CHAPTER XI: OF IMPROPER ADMISSION AND REJECTION OF EVIDENCE

167. No new trial for improper admission or rejection of evidence -- The improper admission or rejection of evidence shall not be ground of itself for a new trial or reversal of any decision in any case, if it shall appear to the Court before which such objection is raised that, independently of the evidence objected to and admitted, there was sufficient evidence to justify the decision, or that, if the rejected evidence had been received, it ought not to have varied the decision.

THE SCHEDULE -- [Enactments repealed] Repealed by the Repealing Act, 1938 (1 of 1938), section 2 and Schedule.